बक्सर: मकर संक्राति (Makar Sankranti 2022) पर भी कोरोना का साया गहराता जा रहा है. गाइडलाइंस के मुताबिक इस बार श्रद्धालु गंगा स्नान नहीं कर पाएंगे. कोरोना के बढ़ते मामले (Corona Cases In Buxar) और नए वैरिएंट ओमीक्रोन के खतरे के बीच अधिकारियों ने गंगा स्नान पर पाबंदियां लगा दी है. बिहार के बक्सर जिले में भी मकर संक्रांति के दिन श्रद्धालु उत्तरायणी गंगा में आस्था की डुबकी नहीं लगा सकेंगे. पड़ोसी जिला के प्रशासन के अधिकारियों को भी बक्सर प्रशासन ने पत्र भेजा है. जिसमें श्रद्धालुओं को गंगा घाट नहीं आने देने के की अपील की है.
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बक्सर जिला समेत पूरे प्रदेश में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. संक्रमित मरीजों की संख्या 211 पहुंच गई है. जिलाधिकारी अमन समीर से लेकर, सिविल सर्जन जितेंद्र नाथ एवं कई चिकित्सक संक्रमित हैं. जिसे देखते हुए गृह विभाग के द्वारा गंगा स्नान पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है. जिससे इस बार मकर संक्रांति के दिन श्रद्धालु उत्तरायणी गंगा में आस्था की डुबकी नहीं लगा पाएंगे.
बढ़ते कोरोना संक्रमण को देख जिला प्रशासन के अधिकारियों के द्वारा गंगा स्नान पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया गया है. जिसके बाद जिले में गंगा नदी पर निर्भर परिवारों के रोजी-रोटी पर संकट मंडराने लगा है. अब पूजा पाठ कराने वालों से लेकर, नाविक एवं भिक्षाटन कर जीवन यापन करने वाले लोगों को भोजन, बच्चों की पढ़ाई और दवाई की चिंता सताने लगी है.
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'कोरोना संक्रमण धीरे-धीरे बेकाबू होते जा रहा है. संक्रमित मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. सभी जिले वासियों एवं दूसरे प्रदेश से आने वाले श्रद्धालुओं से भी अपील की जा रही है कि वह घर में ही स्नान कर मकर संक्रांति का त्योहार मनाए. इसके लिए जगह-जगह पोस्टर बैनर के अलावा पड़ोसी जिला और पड़ोसी राज्य के प्रशासन को भी पत्र लिखा गया है कि वह श्रद्धालुओं को गंगा स्नान के लिए बक्सर नहीं आने दे.' -नीरज कुमार सिंह, पुलिस कप्तान
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन उत्तरायणी गंगा में आस्था की डुबकी लगाने से 10 अश्वमेध यज्ञ करने से 1 हजार गौ दान करने का पुण्य मिलता है. यही कारण है कि बिहार ही नहीं उत्तर प्रदेश, झारखंड से भी बड़े पैमाने पर श्रद्धालु बक्सर के रामरेखा घाट पर स्नान एवं दान करने के लिए आते हैं. वहीं, गंगा नदी पर निर्भर लोगों ने कहा हमारे भोजन का व्यवस्था कराया जाए. गंगा नदी पर निर्भर रहने वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ गई है.
'2020 से लेकर 2022 तक तीसरी बार गंगा नदी के स्नान पर प्रतिबंध लगाया गया है. केवल रामरेखा घाट पर 20 हजार परिवार का भोजन, पढ़ाई और दवाई निर्भर है. हम सभी भूमिहीन हैं. पूजा-पाठ, भिक्षाटन एवं अन्य माध्यम से अपना भोजन चलाते हैं. प्रशासन की हर आदेश हमे स्वीकार है लेकिन अधिकारी यह बताए कि हमारे भोजन, बच्चों के पढ़ाई और उनका दवाई कौन कराएगा. हमारे पास तो दो ही रास्ता है या तो आत्महत्या कर ले या अपराधी बनकर अपने भोजन की व्यवस्था करें. उन्होंने कहा कि अब तक राशन कार्ड क्यों नहीं बन पाया.' -लाला बाबा, पुजारी
बता दें कि10 मई 2021 को जब कोरोना संक्रमण से मरे हुए सैकड़ों लोगों की लाशें गंगा नदी में तैर रही थी, तो नाविकों ने लाशों का दफन कराने में प्रशासन का सहयोग किया था. उसके बाद भी किसी की नजर उनके घर मे ठंडा पड़े चूल्हे पर नहीं जा रही है. जिससे ऐसे लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट गहरा रहा है.
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