बक्सर: एक तरफ जहां गंगा अपने तट पर स्थित जगहों के लिए वरदान बनती हैं तो दूसरी तरफ अभिशाप भी साबित होती है. धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से गंगा अपने किनारे बसे लोगों के लिए वरदान है किंतु भौतिक दृष्टिकोण से विनाश का कारण बन जाती है. गंगा किनारे का बहुत बड़ा भू-भाग कटाव का शिकार को कर इसमें शामिल हो गया है.
बक्सर में होता रहता है कटाव
गंगा के किनारे बसा बक्सर भी इस अभिशाप से बच नहीं सका है. करीब 50 किलोमीटर का तट गंगा से मिलता है. अतः काफी लंबा भू-भाग गंगा के कटाव से प्रभावित होता है. रिहायशी इलाके हो या कृषि भूमि या फिर ऐतिहासिक धरोहर हर जगह गंगा का रौद्र रूप अपना कुप्रभाव डालता रहा है.
गंगा कटाव को लेकर सरकार गंभीर
समय समय पर गंगा कटाव को लेकर कई मांगे उठती रही हैं. कुछ-कुछ काम भी हुए हैं किंतु आज भी बक्सर गंगा कटाव का दंश बड़ी तीव्रता से झेल रहा है. खुद बक्सर के ऐतिहासिक किला का अस्तित्व खतरे में है. किला का कटाव लगातार जारी है. हालांकि इस बारे में जब स्थानीय सांसद और केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे से बात की गई तो उन्होंने ने कहा कि गंगा कटाव से रोक थाम के लिए राज्य और केंद्र सरकार सक्रिय है. इसके लिए 2 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है.