बक्सरः स्थानीय बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने बक्सर वासियों को फिर डिजिटल एक्स-रे की सौगात दी है. जिस पर सियासत तेज हो गई है. वर्ष 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में जाने से पहले भी उन्होंने बक्सर के सिमरी प्रखंड में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति के लिए वाटर एटीएम, सदर अस्पताल में एम्स टेलिमेडिसीन सेवाऔर कैंसर डिटेक्शन सेंटर की सौगात दी थी.
कांग्रेस का आरोप है कि चुनाव बीतने के साथ ही सभी सुविधाओं में ताला बंद हो गया. एक बार फिर 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए सांसद ने बक्सर वासियों को फिर से डिजिटल एक्स-रे की सौगात दी है. ये सिर्फ बीजेपी का चुनावी जुमला है.
क्या कहते हैं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी
जिले को डिजिटल एक्स-रे की सौगात मिलने के बाद सिविल सर्जन जितेंद्र नाथ ने बताया कि 20 लाख लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिए कंट्रोल अधिकारी समेत 56 लोग हैं. जिसमे से 10 लोगों को अन्य जगह पर ड्यूटी में लगा दिया गया है. अर्थात 40 हजार लोगों के इलाज की जिम्मेदारी एक डॉक्टर पर है. यदि प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्र पर एक डॉक्टर की तैनाती कर दी जाए, तो उसके अनुसार भी डॉक्टर कम हो जाएंगे. उसके बाद भी व्यवस्था को चलाया जा रहा है.
क्या कहते हैं मरीज
अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे मरीज सत्येंद्र कुमार एवं ज्योति कुमारी ने बताया कि दुर्भाग्य है कि मंत्री के संसदीय क्षेत्र में मरीजों को एम्बुलेंस तक नहीं मिल पाता है. लोग मरीज को खाट पर उठाकर सदर अस्पताल में लाते है. डिजिटल एक्सरे चुनाव के बाद कितना दिन चलेगा यह तो भगवान ही जाने.
बताएं कि फरवरी माह में ही तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ. उषा किरण ने मंत्री के करीबी पर पैसा मांगने का आरोप लगाया था. जिसके बाद आनन-फानन में सिविल सर्जन का तबादला कर, मामले की लीपापोती कर दी गई. ऐसे में सवाल यह उठता है कि, जिस जनप्रतिनिधि के कंधे पर जनता की सुविधाओं को मुहैया कराने की जिम्मेदारी है. अगर उनके ही करीबी पैसों की वसूली करने लगेंगे तो योजना जमीन पर कैसे उतरेगी.