बक्सर: लॉकडाउन के बाद टिड्डियों के आतंक और फॉल आर्मीवॉर्म के दस्तक से किसान परेशान हैं. किसानों की परेशानियों को दूर करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने किसानों से अपील की है कि वह धान का बिचड़ा ना डालकर सीधे खेतों में धान बुवाई करें. इससे लागत कम और मुनाफा ज्यादा होगा. हालांकि वैज्ञानिकों के इस फार्मूला को किसानों ने नकार दिया है.
धान की सीधी बुवाई
किसानों का दावा है कि वैज्ञानिकों का यह फार्मूला ढलान और दोमट मिट्टी वाले खेतों में ही संभव है. क्योंकि अधिक पानी लग गया तो फसल जमीन के अंदर ही सड़ जाएगी. जिला कृषि विज्ञान केन्द्र लालगंज के वैज्ञानिक डॉक्टर मान्धाता सिंह ने कहा कि किसान यदि अपने खेतों की खरपतवार साफ करने के बाद जीरो टिल विधि से या सीडील से धान की सीधी बुवाई खेतों में करें तो कम लागत में मुनाफा ज्यादा होगा. क्योंकि किसानों को धान का बिचड़ा डालने और रोपनी कराने से मुक्ति मिल जाएगी. इससे कम अवधि में फसल भी तैयार हो जाएगी.
फसल का उत्पादन कम
कृषि वैज्ञानिकों के इस दावे को केवल कागजी फार्मूला करार देते हुए जिला के किसानों ने बताया कि जिस खेत में धान की सीधी बुवाई होती है, उस खेत में इतने खरपतवार उग जाते हैं कि दवा का छिड़काव करना पड़ता है. जिन खेतों में खरपतवार को मारने के लिए दवा का छिड़काव किया जाता है, उसमें फसल का उत्पादन कम होता है.
किसानों को अधिक नुकसान
किसानों ने बताया कि अधिक वर्षा हो गई तो, फसल मिट्टी में दबकर ही सड़ जाएगी. जिससे किसानों को अधिक नुकसान उठाना पड़ता है. इस तरह की खेती 3 दशक पहले की जाती थी. जब हमारे पास संसाधन नहीं होता था. बता दें बक्सर जिले के 55 प्रतिशत से अधिक किसान रोहिणी नक्षत्र में ही धान का बीज डालकर रोपनी की तैयारी में लगे थे. लेकिन लगभग 40 प्रतिशत लोगों के धान के बिचड़ा को टिड्डियों ने बर्बाद कर दिया है. जो फिर से अदरा नक्षत्र में बीज डालने की तैयारी कर रहे हैं.