औरंगाबाद: जिले के ओबरा प्रखंड के खरांटी गांव के सात शहीद में शहीद हुए जगतपति कुमार का भवन खंडहर में तब्दील हो गया है. इस भवन पर प्रशासन के किसी अधिकारी का ध्यान नहीं गया है. प्रशासन के उदासीन रवैये के कारण यह भवन खंडर बना हुआ है. जबकि जिलाधिकारी ने इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करवाने का अश्वासन दिया है.
देश की आजादी के लिए हुए थे शहीद
गौरतलब है कि 11 अगस्त 1942 को पटना में भारत मां को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए मतवाले युवाओं की टोली तिरंगा लिए सचिवालय पहुंची. वहां तिरंगा फहराने के इरादा से पहुंचे युवओं पर बर्बर ब्रिटिश हुकूमत ने बंदूकों से गोलियां बरसा दी. देखते ही देखते 79 जवान शहीद हो गए. लेकिन शहीद होते-होते इन्होंने हिंदुस्तान का तिरंगा झंडा फहरा दिया.
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पर्यटक स्थल के रूप में इसे विकसित करने की अपील
पर्यटक मामले के जानकार आलोक कुमार सिंह बताते हैं कि शहीदों की शहादत पर हर साल सरकारी कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. लेकिन उसके बाद शहीदों को लोग भूल जाते हैं. ऐसा ही मामला शहीद जगतपति के साथ हुआ है. उनका भवन आज खंडहर में तब्दील हो गया है. इस भवन में सांप बिच्छू ने अपना बसेरा बना लिया है. सरकार को चाहिए कि इस भवन को पर्यटक स्थल के रूप में संरक्षित करें ताकि आने वाली पीढ़ी को शहीद जगतपति के बारे में पता चल पाये.
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जिलाधिकारी ने दिया आश्वासन
वहीं, औरंगाबाद जिले के जिलाधिकारी राहुल रंजन महिवाल ने बताया कि शहीद जगतपति के भवन और स्मारक स्थल को विकसित करने के लिए प्राक्कलन बनाया गया है. इसे बिहार सरकार के पास भेजा जाएगा ताकि पुरातत्व विभाग की ओर से निरीक्षण कर इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाए.