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औरंगाबाद: देव सूर्य मंदिर में छठ की तैयारियों को लेकर DM ने लिया सुरक्षा का जायजा - छठ गीतों से देव गुंजायमान

भगवान सूर्य की नगरी कहे जाने वाले इस मंदिर में छठ व्रतियों के स्वागत के लिए जिले के डीएम और एसपी कई तैयारियों और सुरक्षा का जायजा लिया. व्रतियों की भारी भीड़ की संभावना को देखते हुए जिलाधिकारी और एसपी ने खुद इसकी कमान संभाल रखी है.

छठ की तैयारियों को लेकर DM ने लिया सुरक्षा का जायजा
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Published : Oct 13, 2019, 4:24 PM IST

Updated : Oct 13, 2019, 6:07 PM IST

औरंगाबाद: भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है. यहां अलग-अलग सभ्यता, धर्म और संस्कृति से जुड़े लोग रहते हैं. इसी कारण यहां सालों भर विभिन्न तरह के त्योहार मनाए जाते हैं. सूबे में दशहरा संपन्न होने के बाद लोग अब आने वाले पर्व दीवाली और छठ पूजा की तैयारियों में जुट गए हैं. वहीं, जिले के ऐतिहासिक और पौराणिक देव सूर्य मंदिर में आने वाले पर्व छठ को लेकर जिला प्रशासन अभी से ही तैयारियों में जुट गई है.

तीन रूपों की प्रतिमा मौजूद
तीन रूपों की प्रतिमा मौजूद

डीएम ने लिया सुरक्षा जायजा
भगवान सूर्य की नगरी कहे जाने वाले इस मंदिर में छठ व्रतियों के स्वागत के लिए जिले के डीएम और एसपी कई तैयारियों और सुरक्षा का जायजा लिया. व्रतियों की भारी भीड़ की संभावना को देखते हुए डीएम और एसपी ने खुद इसकी कमान संभाल रखी है. इस मसले पर जिले के डीएम राहुल रंजन महिवाल ने बताया कि यहां हर साल लगभग 12 से 15 लाख लोग आस्था के इस महाकुंभ में आते हैं. इसको लेकर जिला प्रशासन अभी से ही आवश्यक तैयारियां में जुट गई है. सुरक्षा को लेकर कार्तिक छठ 2019 के पदाधिकारी और जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक किया जा रहा है.

देव मंदिर, औरंगाबाद
देव मंदिर, औरंगाबाद

छठ में देव मंदिर में लगता है विशाल मेला
बिहार के लोगों की छठ पर्व में विशेष आस्था होती है. इस दौरान जिले के एतिहासिक देव मंदिर में लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती है. इस अवसर पर यहां विशाल मेला लगता है. पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन के प्रयास से हर साल 'सूर्य अचला सप्तमी' को महोत्सव का भी आयोजन होता है. कार्तिक छठ करने कई राज्यों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है. बताया जाता है कि इस मंदिर के सूर्यकुंड तालाब का विशेष महत्व है. छठ मेले के समय देव का कस्बा लघु कुंभ बन जाता है. छठ गीतों से देव गुंजायमान हो उठता है.

मंदिर का द्वार
मंदिर का द्वार

छठ में जातियों के आधार पर कहीं कोई भेदभाव नहीं
इस पर्व की सबसे बड़ी खासियत है कि इस त्योहार में समाज में सभी को बराबरी का दर्जा दिया गया है. सूर्य देवता को बांस के बने सूप और डाले में रखकर प्रसाद अर्पित किया जाता है. इस सूप-डाले को सामा‍जिक रूप से अत्‍यंत पिछड़ी जाति के लोग बनाते हैं. इस त्योहार को बिहार का सबसे बड़ा त्योहार भी कहा जाता है. हालांकि अब यह पर्व बिहार के अलावा देश के कई अन्य स्थानों पर भी मनाया जाने लगा है. इस पर्व में सूर्य की पूजा के साथ-साथ षष्‍ठी देवी की पूजा-अर्चना की जाती है. जिले के प्रसिद्ध देव सूर्य मंदिर में सालों भर दूर-दूर से लोग मनोकामनाओं को लेकर और दर्शन करने आते हैं. कार्तिक और चैत महीने में छठ के दौरान व्रत करने वालों और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है.

रंजन महिवाल, डीएम
राहुल रंजन महिवाल, डीएम

सौ फीट ऊंचा है सूर्य मंदिर
जानकारी के अनुसार यह मंदिर अति प्राचीन और अनोखा है. कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने सिर्फ एक रात में की थी. यह देश का एकमात्र ऐसा सूर्य मंदिर है, जिसका दरवाजा पश्चिम की ओर है. मंदिर करीब डेढ़ लाख साल पुराना बताया जाता है. मंदिर के निर्माणकाल के संबंध में मंदिर के बाहर ब्राह्मी लिपि में लिखा हुआ एक शिलालेख मौजूद है. यह मंदिर लगभग 100 फीट ऊंचा बताया जाता है. इस मंदिर में सात रथों के साथ भगवान भास्कर की तीन रूपों की प्रतिमा मौजूद है. पहला रूप उदयाचल सूर्य यानी सुबह का रूप, दूसरा मध्याचल यानी दोपहर का रूप और तीसरा अस्ताचल अर्थात शाम का अस्त रूप मौजूद है.

छठ की तैयारियों को लेकर DM ने लिया सुरक्षा का जायजा

मंदिर का पौराणिक महत्व
दंतकथाओं के अनुसार क्षेत्र के राजा 'ऐल' एक बार जंगल में शिकार खेलने गए थे. इस दौरान उन्हें काफी जोर का प्यास लगी. जिसके बाद उन्होंने अपने सेवादार को पानी लाने को कहा. सेवादार पानी की तलाश करते हुए एक जलकुंड के पास पहुंचा. जिसके बाद उसने राजा पीने के लिए जल दिया. राजा को कुष्ठ रोग था. राजा ने कुंड में स्नान किया और उनका कुष्ठ रोग ठीक हो गया. जिसके बाद राजा के स्वप्न में स्वयं भगवान भास्कर आए और कुंड से तीन मूर्तियों को निकालकर मंदिर बनाने का आदेश दिया. जिसके बाद राजा ने वहां पर एक भव्य मंदिर बनवाया.

औरंगाबाद: भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है. यहां अलग-अलग सभ्यता, धर्म और संस्कृति से जुड़े लोग रहते हैं. इसी कारण यहां सालों भर विभिन्न तरह के त्योहार मनाए जाते हैं. सूबे में दशहरा संपन्न होने के बाद लोग अब आने वाले पर्व दीवाली और छठ पूजा की तैयारियों में जुट गए हैं. वहीं, जिले के ऐतिहासिक और पौराणिक देव सूर्य मंदिर में आने वाले पर्व छठ को लेकर जिला प्रशासन अभी से ही तैयारियों में जुट गई है.

तीन रूपों की प्रतिमा मौजूद
तीन रूपों की प्रतिमा मौजूद

डीएम ने लिया सुरक्षा जायजा
भगवान सूर्य की नगरी कहे जाने वाले इस मंदिर में छठ व्रतियों के स्वागत के लिए जिले के डीएम और एसपी कई तैयारियों और सुरक्षा का जायजा लिया. व्रतियों की भारी भीड़ की संभावना को देखते हुए डीएम और एसपी ने खुद इसकी कमान संभाल रखी है. इस मसले पर जिले के डीएम राहुल रंजन महिवाल ने बताया कि यहां हर साल लगभग 12 से 15 लाख लोग आस्था के इस महाकुंभ में आते हैं. इसको लेकर जिला प्रशासन अभी से ही आवश्यक तैयारियां में जुट गई है. सुरक्षा को लेकर कार्तिक छठ 2019 के पदाधिकारी और जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक किया जा रहा है.

देव मंदिर, औरंगाबाद
देव मंदिर, औरंगाबाद

छठ में देव मंदिर में लगता है विशाल मेला
बिहार के लोगों की छठ पर्व में विशेष आस्था होती है. इस दौरान जिले के एतिहासिक देव मंदिर में लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती है. इस अवसर पर यहां विशाल मेला लगता है. पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन के प्रयास से हर साल 'सूर्य अचला सप्तमी' को महोत्सव का भी आयोजन होता है. कार्तिक छठ करने कई राज्यों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है. बताया जाता है कि इस मंदिर के सूर्यकुंड तालाब का विशेष महत्व है. छठ मेले के समय देव का कस्बा लघु कुंभ बन जाता है. छठ गीतों से देव गुंजायमान हो उठता है.

मंदिर का द्वार
मंदिर का द्वार

छठ में जातियों के आधार पर कहीं कोई भेदभाव नहीं
इस पर्व की सबसे बड़ी खासियत है कि इस त्योहार में समाज में सभी को बराबरी का दर्जा दिया गया है. सूर्य देवता को बांस के बने सूप और डाले में रखकर प्रसाद अर्पित किया जाता है. इस सूप-डाले को सामा‍जिक रूप से अत्‍यंत पिछड़ी जाति के लोग बनाते हैं. इस त्योहार को बिहार का सबसे बड़ा त्योहार भी कहा जाता है. हालांकि अब यह पर्व बिहार के अलावा देश के कई अन्य स्थानों पर भी मनाया जाने लगा है. इस पर्व में सूर्य की पूजा के साथ-साथ षष्‍ठी देवी की पूजा-अर्चना की जाती है. जिले के प्रसिद्ध देव सूर्य मंदिर में सालों भर दूर-दूर से लोग मनोकामनाओं को लेकर और दर्शन करने आते हैं. कार्तिक और चैत महीने में छठ के दौरान व्रत करने वालों और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है.

रंजन महिवाल, डीएम
राहुल रंजन महिवाल, डीएम

सौ फीट ऊंचा है सूर्य मंदिर
जानकारी के अनुसार यह मंदिर अति प्राचीन और अनोखा है. कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने सिर्फ एक रात में की थी. यह देश का एकमात्र ऐसा सूर्य मंदिर है, जिसका दरवाजा पश्चिम की ओर है. मंदिर करीब डेढ़ लाख साल पुराना बताया जाता है. मंदिर के निर्माणकाल के संबंध में मंदिर के बाहर ब्राह्मी लिपि में लिखा हुआ एक शिलालेख मौजूद है. यह मंदिर लगभग 100 फीट ऊंचा बताया जाता है. इस मंदिर में सात रथों के साथ भगवान भास्कर की तीन रूपों की प्रतिमा मौजूद है. पहला रूप उदयाचल सूर्य यानी सुबह का रूप, दूसरा मध्याचल यानी दोपहर का रूप और तीसरा अस्ताचल अर्थात शाम का अस्त रूप मौजूद है.

छठ की तैयारियों को लेकर DM ने लिया सुरक्षा का जायजा

मंदिर का पौराणिक महत्व
दंतकथाओं के अनुसार क्षेत्र के राजा 'ऐल' एक बार जंगल में शिकार खेलने गए थे. इस दौरान उन्हें काफी जोर का प्यास लगी. जिसके बाद उन्होंने अपने सेवादार को पानी लाने को कहा. सेवादार पानी की तलाश करते हुए एक जलकुंड के पास पहुंचा. जिसके बाद उसने राजा पीने के लिए जल दिया. राजा को कुष्ठ रोग था. राजा ने कुंड में स्नान किया और उनका कुष्ठ रोग ठीक हो गया. जिसके बाद राजा के स्वप्न में स्वयं भगवान भास्कर आए और कुंड से तीन मूर्तियों को निकालकर मंदिर बनाने का आदेश दिया. जिसके बाद राजा ने वहां पर एक भव्य मंदिर बनवाया.

Intro:bh_au_01_Deo_chhath_ki_taiyari_vis_byte_special_pkg_bh10003
एंकर:-बिहार के औरंगाबाद जिले के ऐतिहासिक एवं पौराणिक देव सूर्य मंदिर चार दिवसीय कार्तिक छठ को लेकर जिला प्रशासन तैयारी शुरू। देश-विदेश लाखों के श्रद्धालु पहुंचते हैं इस देव मंदिर।
स्पेशल रिपोर्ट संतोष कुमार ईटीवी भारत औरंगाबाद


Body:v.o.1.गौरतलब है कि भारत के 12 सूर्य मंदिर में से एक देवार्क के नाम से विख्यात देव सूर्य मंदिर में भगवान भास्कर के दर्शन हेतु प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास एवं चैत्र मास में देश विदेश में से लाखों की संख्या में श्रद्धालु की भीड़ मरती है प्रत्येक वर्ष की भांति जिला प्रशासन ने चार दिवसीय छठ पर के अनुष्ठान को लेकर व्यापक प्रबंध करने की तैयारी में जुट गया है ताकि श्रद्धालुओं को इसी प्रकार का कोई भी परेशानी ना हो सके श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं देने के लिए जिले के जिलाधिकारी एवं एसपी कई आला अधिकारी तैयारी का जायजा लिया।


Conclusion:v.o.2 औरंगाबाद जिलाधिकारी राहुल रंजन महिवाल ने बताया कि कार्तिक छठ 2019 पदाधिकारी एवं जनप्रतिनिधि के साथ बैठक कर रहे हैं पूरा इलाका में सड़क बिजली पेयजल स्वास्थ्य यातायात विधि व्यवस्था पूरी तैयारी की विशेष समीक्षा हुई है पिछले वर्ष के तुलना इस वर्ष देव सूर्य मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगभग लाखों में होने की उम्मीद है।
1.बाईट :- राहुल रंजन महिवाल जिलाधिकारी औरंगाबाद।
2. पीटीसी संतोष कुमार ईटीवी भारत औरंगाबाद।

स्पेशल रिपोर्ट संतोष कुमार ईटीवी भारत औरंगाबाद
Last Updated : Oct 13, 2019, 6:07 PM IST
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