औरंगाबाद: जिले में खरीफ फसल की तैयारी शुरू हो गई है. खरीफ फसल में धान बुआई का लक्ष्य इस बार 10,000 हेक्टेयर कम रखा गया है. बाकि बचे हुए जमीन पर कोदो, सांवा आदि कम वर्षा आधारित फसल लगाने का लक्ष्य रखा गया है. जिला कृषि विभाग सभी किसानों को अनुदानित दर पर बीज उपलब्ध कराएगा. इसके लिए प्रशिक्षण और प्रचार-प्रसार भी शुरू कर दिया गया है.
औरंगाबाद जिले के किसानों के लिए खरीफ के मौसम में खेती में सुधार के लिए कृषि विभाग द्वारा जगह-जगह प्रशिक्षण कार्यक्रम और जैविक खेती के लिए प्रोत्साहन कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है. बिहार सरकार के कृषि विभाग ने इसके लिए विशेष योजना की शुरुआत की है. इसके अंतर्गत हर प्रखण्ड में किसानों का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे.
सूखे कारण लिया गया फैसला
जिले में कम बारिश होने के कारण कृषि विभाग ने इस वर्ष 10 हजार हेक्टेयर कम रकबे में धान की फसल लगाने का निर्णय लिया है. जिला कृषि पदाधिकारी राजेश प्रताप सिंह ने बताया कि औरंगाबाद जिले में हर वर्ष कुल 1 लाख 65 हजार हेक्टेयर में धान की खेती होती थी. लेकिन पिछले वर्ष सूखे की चपेट में 8 प्रखंडों के आने के कारण धान की कम फसल लगाने का निर्णय लिया गया है. इस वर्ष कुल 1 लाख 55 हजार हेक्टेयर में धान की फसल लगाई जाएगी. अन्य जमीनों पर धान की फसल के बदले में कोदो, सावां,मक्का और अन्य फसलें लगाने का निर्णय लिया गया है. जिससे कि कम पानी में ही फसल लगाई जा सके.
अनुदानित दर पर दिए जाएंगे बीज
जिला कृषि पदाधिकारी राजेश प्रताप सिंह ने बताया कि बिहार सरकार द्वारा किसानों को अनुदानित दर पर बीज देने की योजना है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री तिलहन बीज योजना, बीज विस्तार योजना, मिनी किट योजना, बीज दान योजना, एकीकृत बीज दान योजना है. इन सभी योजनाओं में अनुदानित दर पर बीज देने का प्रावधान है. जिसमें मुख्यमंत्री तिलहन बीज योजना में 90% , बीज दान योजना में 50%, मिनी किट योजना में 80% अनुदान की योजना है.
30 जून तक सभी जगह पर उपलब्ध होंगे बीज
धान के बीज में जिस बीज की किस्म 10 वर्ष से कम पुरानी होगी प्रति किलो 20 रुपये का अनुदान मिलेगा और 10 साल से ऊपर की धान की किस्मों पर प्रति किलो 15 रुपये का अनुदान दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि सभी प्रखंडों में दुकानें चिन्हित कर ली गई है और 30 जून तक सभी जगह पर बीज उपलब्ध होंगे.
किसानों का आरोप- नहीं मिल रही जानकारी
खरीफ फसल योजना में समेकित खेती, कम पानी वाले फसलों की खेती और जैविक खेती के लिए लगातार प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. लेकिन किसान अरविंद सिंह और अशोक यादव बताते हैं कि उनके गांव में किसी भी तरह का कोई प्रचार-प्रसार नहीं हुआ है. कृषि विभाग से कोई अधिकारी या कर्मचारी उन्हें यह बताने भी नहीं आया है कि खरीफ फसल के अंतर्गत सरकार की कौन सी योजना चल रही है.
खरीफ फसल योजना का किया जा रहा है प्रचार
किसानों के इन सवालों के बारे में पूछने पर जिला कृषि पदाधिकारी राजेश प्रताप सिंह ने कहा कि सभी गांवों में कृषि समन्वयकों को भेजा जा रहा है और जो गांव छूट गए हैं वहां भी कृषि समन्वयक भेजे जाएंगे. सरकार की सभी योजनाओं को पूर्णरूपेण प्रचार-प्रसार किया जाएगा.