औरंगाबादः बिहार के औरंगाबाद में उपहारा थाना क्षेत्र में 22 साल पहले साल 2001 में विवाहिता की हत्या कर शव को बधार में फेंक दिया गया था. हत्या का कारण दहेज में रंगीन टेलीविजन ना मिलना बताया गया था. इस मामले में 22 साल बाद फैसला आया है. इसमें मृतक के साथ ससुर को आरोप से मुक्त कर दिया गया है, जबकि हत्यारा पति और उसके एक दोस्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.
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आजीवन कारावास के साथ आर्थिक जुर्माना लगाया: औरंगाबाद एडीजे- 2, धनंजय कुमार मिश्रा ने उपहारा थाना में दर्ज मामले में सजा की बिन्दु पर सुनवाई करते हुए हत्या मामले के अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा दी है. इस बारे में एपीपी देवीनंदन सिंह ने बताया कि उपहारा थाना के बुधई निवासी अभियुक्त रामप्रवेश साव और राजेंद्र साव को भारतीय दंड विधान की धारा 302/34 में कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. जुर्माना राशि नहीं देने पर एक वर्ष अतिरिक्त साधारण कारावास होगी.
"उपहारा थाना के बुधई निवासी अभियुक्त रामप्रवेश साव और राजेंद्र साव को भारतीय दंड विधान की धारा 302/34 में कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. जुर्माना राशि नहीं देने पर एक वर्ष अतिरिक्त साधारण कारावास होगी" - देवी नंदन सिंह, एपीपी
25 अप्रैल को ही कोर्ट ने ठहरा दिया था दोषीः बताया जाता है कि दोनों अभियुक्तों को 25 अप्रैल को ही दोषी ठहराया गया था और जमानत रद्द कर जेल भेज दिया गया था. अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि प्राथमिकी सूचक एकबाली साव जो कि उपहारा थाना क्षेत्र के सहरसा गांव का रहने वाला था ने 12 मार्च 2001 को बताया था कि गांव के पूरब बघार में एक महिला का शव मिलने की खबर मिली, तो जाकर देखा तो विवाहित पुत्री की लाश थी. उसकी विदाई एक दिन पूर्व दामाद रामप्रवेश साव के साथ किया था.
टीवी और गाय की करते थे मांगः लड़की के पिता ने बताया कि उनकी बेटी को ससुराल में दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाता था. ससुराल पक्ष से दामाद रामप्रवेश साव, उनके मित्र राजेन्द्र साव, ससुर रामचन्द्र साव, समधीन राजमणि देवी मिलकर सदैव एक टीवी और गाय की मांग करते थे, नहीं देने पर गाली गलौज मारपीट कर धमकी देते थे. इन चारों ने मिलकर षड्यंत्र के तहत उनकी बेटी की विदाई कराकर हत्या कर दी और लाश बधार में फेंक दिया.
आरोपी ने कर ली है दूसरी शादीः इस मामले में घटनास्थल निरीक्षण, मृत्यु समीक्षा रिपोर्ट, आरोप पत्र और गवाही से घटना की सत्यता प्रकट हुई थी. 25 अप्रैल 2023 को मृतका के सास और ससुर को निर्दोष पाते हुए रिहा किया गया था. गुरुवार को फैसले के वक्त सजा के बिंदु पर अभियुक्त के छोटे छोटे बच्चों की दुहाई लगाते हुए बचाव पक्ष के वकील ने कम से कम सजा देने की मांग की. वहीं एपीपी देवीनंदन सिंह ने कहा कि दूसरी शादी कर लेने से पहली पत्नी के हत्या का पाप खत्म नहीं होता. समाज में अच्छा संदेश जाए, इसलिए आरोपी को अधिकतम सजा हो.