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औरंगाबाद: राज्य के दूसरे 'सुरक्षित भवन' का उद्घाटन, जिल सत्र न्यायाधीश ने काटा फीता - जिला बाल संरक्षण इकाई का उद्धाटन

राज्य के दूसरे जिला बाल संरक्षण इकाई का उद्धाटन किया गया. जिला सत्र न्यायाधीश शिव गोपाल मिश्रा एवं पुलिस अधीक्षक सुधीर पोरिका ने संंयक्त रूप से फीता काटकर उद्घाटन किया.

District Child Protection Unit
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Published : Mar 18, 2021, 9:11 PM IST

औरंगाबाद: मुफस्सिल थाना क्षेत्र के बभंडी गांव में जिला बाल संरक्षण इकाई औरंगाबाद के तत्वाधान में नवनिर्मित 'सुरक्षित भवन' का उद्घाटन किया गया. जिला सत्र न्यायाधीश शिव गोपाल मिश्रा एवं पुलिस अधीक्षक सुधीर पोरिका ने संंयक्त रूप से फीता काटकर उद्घाटन किया.

'सुरक्षित भवन' का संचालन समाज कल्याण विभाग के द्वारा किया जाएगा. इसमें किशोर न्याय परिषद के निर्देशानुसार मगध के जिलों के अलावे रोहतास, आरा कैमूर के अभियुक्त बच्चों को रखा जाएगा. अधिकारियों ने कहा कि यह कोई कारागार नहीं है, कोई जन्म से अपराधी नहीं होता है. बल्कि बच्चों के परिजन जब बचपन में उनके द्वारा छोटे-छोटे बुरे कामों को नजर अंदाज कर देते हैं तो वह बच्चा धीरे धीरे उस गलत काम को अपनी आदत में शामिल कर लेता है और फिर वह बड़ा अपराध कर बैठता है.

ये भी पढ़ें- सीआरपीएफ 47वीं बटालियन की 82वीं स्थापना दिवस पर मैराथन दौड़ का हुआ आयोजन

जिला सत्र न्यायाधीश श्री शिव गोपाल मिश्रा ने बताया कि यह जिला के लिए बड़ी उपलब्धि है. बिहार में यह दूसरा जिला बाल संरक्षण इकाई का उद्धाटन किया गया है, जबकि पहला शेखपुरा में निर्मित है, इसमें उन बच्चों को रखा जाएगा. जो कम उम्र में जघन्य अपराध कर देते हैं. जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम हो, और उसका वाद न्यायालय में चल रहा हो. इसके माध्यम से उनके व्यवहारों में सुधार लाने के लिए उन्हें साइको ट्रीटमेंट किया जाएगा.

औरंगाबाद: मुफस्सिल थाना क्षेत्र के बभंडी गांव में जिला बाल संरक्षण इकाई औरंगाबाद के तत्वाधान में नवनिर्मित 'सुरक्षित भवन' का उद्घाटन किया गया. जिला सत्र न्यायाधीश शिव गोपाल मिश्रा एवं पुलिस अधीक्षक सुधीर पोरिका ने संंयक्त रूप से फीता काटकर उद्घाटन किया.

'सुरक्षित भवन' का संचालन समाज कल्याण विभाग के द्वारा किया जाएगा. इसमें किशोर न्याय परिषद के निर्देशानुसार मगध के जिलों के अलावे रोहतास, आरा कैमूर के अभियुक्त बच्चों को रखा जाएगा. अधिकारियों ने कहा कि यह कोई कारागार नहीं है, कोई जन्म से अपराधी नहीं होता है. बल्कि बच्चों के परिजन जब बचपन में उनके द्वारा छोटे-छोटे बुरे कामों को नजर अंदाज कर देते हैं तो वह बच्चा धीरे धीरे उस गलत काम को अपनी आदत में शामिल कर लेता है और फिर वह बड़ा अपराध कर बैठता है.

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जिला सत्र न्यायाधीश श्री शिव गोपाल मिश्रा ने बताया कि यह जिला के लिए बड़ी उपलब्धि है. बिहार में यह दूसरा जिला बाल संरक्षण इकाई का उद्धाटन किया गया है, जबकि पहला शेखपुरा में निर्मित है, इसमें उन बच्चों को रखा जाएगा. जो कम उम्र में जघन्य अपराध कर देते हैं. जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम हो, और उसका वाद न्यायालय में चल रहा हो. इसके माध्यम से उनके व्यवहारों में सुधार लाने के लिए उन्हें साइको ट्रीटमेंट किया जाएगा.

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