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औरंगाबाद: संविदा कर्मियों के हड़ताल पर जाने से स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई, कोविड जांच भी प्रभावित

संविदा पर कार्यरत जिले के विभिन्न स्वास्थ्य कर्मी अपनी मांगों को लेकर रविवार से हड़ताल पर हैं. उनके हड़ताल पर चले जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग में कामकाज प्रभावित हुआ है. इस में कोरोना वायरस की जांच भी प्रमुख रूप से शामिल हैं.

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Published : Aug 25, 2020, 3:55 AM IST

औरंगाबाद: एनएचएम के तहत कार्यरत सभी संविदा स्वास्थ्य कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने के कारण जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति चरमरा गई है. सदर अस्पताल से लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक इसका असर पड़ा है. इसके अलावा कोरोना जांच भी पूर्ण रूप से प्रभावित हुई है. इस हड़ताल से ना सिर्फ जिला मुख्यालय स्थित सदर हॉस्पिटल बल्कि प्रखंड मुख्यालय पर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी प्रभाव पड़ा है.

हड़ताल के दौरान कर्मचारी नेताओं ने कहा कि जिलेवासियों को कोरोना वायरस महामारी से बचाने में दिन रात काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को कई माह से वेतन नहीं मिल रहा है. विगत अप्रैल महीने से ही वेतन नहीं मिलने के कारण कर्मचारी बदहाल और भूखमरी के कगार पर है.

'भुगतान नहीं करना दुर्भाग्यपूर्ण'
इस मौके पर संघ के नेताओं ने कहा कि कोरोना की भयावहता के कारण जनसेवा के लिए मार्च महीने से ही स्वास्थ्य कर्मियों का सभी तरह का अवकाश को रद्द कर दिया गया है. सभी कर्मियों को कोरोना ड्युटी के दौरान पूर्ण सुरक्षा साधन भी मुहैया नहीं है. स्वास्थ्य कर्मियों का वेतन चार महीने से भुगतान नहीं करना दुर्भाग्यपूर्ण है.

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प्रदर्शन करते : संविदा कर्मी

संविदाकर्मियों की प्रमुख मांग:-
संविदाकर्मियों का कहना है कि सैलरी रिवीजन दो बार से बकाया है. 2011 के बाद से रिविजन नहीं हुई है. 2010 का 2011 में हुआ था. एक बार 2015 मे होना चाहिए और 2020 में यानी 2 बार वेतन रिवीजन बाकी है. साथ में इंक्रीमेंट प्रत्येक वर्ष जो 10 % था , उसको 5% कर दिया गया है. दो बार का वेतन रिवीजन के साथ 10% का इंक्रीमेंट की मांग की गई है.

औरंगाबाद: एनएचएम के तहत कार्यरत सभी संविदा स्वास्थ्य कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने के कारण जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति चरमरा गई है. सदर अस्पताल से लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक इसका असर पड़ा है. इसके अलावा कोरोना जांच भी पूर्ण रूप से प्रभावित हुई है. इस हड़ताल से ना सिर्फ जिला मुख्यालय स्थित सदर हॉस्पिटल बल्कि प्रखंड मुख्यालय पर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी प्रभाव पड़ा है.

हड़ताल के दौरान कर्मचारी नेताओं ने कहा कि जिलेवासियों को कोरोना वायरस महामारी से बचाने में दिन रात काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को कई माह से वेतन नहीं मिल रहा है. विगत अप्रैल महीने से ही वेतन नहीं मिलने के कारण कर्मचारी बदहाल और भूखमरी के कगार पर है.

'भुगतान नहीं करना दुर्भाग्यपूर्ण'
इस मौके पर संघ के नेताओं ने कहा कि कोरोना की भयावहता के कारण जनसेवा के लिए मार्च महीने से ही स्वास्थ्य कर्मियों का सभी तरह का अवकाश को रद्द कर दिया गया है. सभी कर्मियों को कोरोना ड्युटी के दौरान पूर्ण सुरक्षा साधन भी मुहैया नहीं है. स्वास्थ्य कर्मियों का वेतन चार महीने से भुगतान नहीं करना दुर्भाग्यपूर्ण है.

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प्रदर्शन करते : संविदा कर्मी

संविदाकर्मियों की प्रमुख मांग:-
संविदाकर्मियों का कहना है कि सैलरी रिवीजन दो बार से बकाया है. 2011 के बाद से रिविजन नहीं हुई है. 2010 का 2011 में हुआ था. एक बार 2015 मे होना चाहिए और 2020 में यानी 2 बार वेतन रिवीजन बाकी है. साथ में इंक्रीमेंट प्रत्येक वर्ष जो 10 % था , उसको 5% कर दिया गया है. दो बार का वेतन रिवीजन के साथ 10% का इंक्रीमेंट की मांग की गई है.

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