औरंगाबादः जिले के देवकुंड में च्यवन ऋषि के आश्रम के पास बने भगवान शिव की पांच हजार वर्ष पुरानी मंदिर है. जहां श्रावण मास और महाशिवरात्रि के दिन काफी भीड़ होती है. वैसे तो यहां हर त्रयोदशी को भीड़ होती है. लेकिन महाशिवरात्रि के दिन खास भीड़ होती है.
देवकुंड का प्रसिद्ध दूधेश्वर महादेव मंदिर ना सिर्फ औरंगाबाद जिले, बल्कि बिहार के प्रमुख तीर्थ स्थानों में गिना जाता है. यहां नीलम पत्थर से निर्मित भगवान शिव का शिवलिंग स्थापित है. जो पांच हजार वर्ष से भी अधिक पुराना है. मान्यताओं के अनुसार यह कई हजार वर्ष पुराना है क्योंकि भगवान श्रीराम ने भी यहां पर पूजा की थी. देवकुंड धाम पर महाशिवरात्रि के दिन काफी भीड़ होती है. जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.
मंदिर के पीछे और बगल का तालाब हो चुका हैं गंदा
मंदिर के पीछे जलजमाव की स्थिति बनी हुई है और बगल का पवित्र सरोवर भी गंदा हो चुका है. बीच में महंत के प्रयास से पवित्र सरोवर में गंदे नाले का पानी जाना तो बंद हो गया. लेकिन अभी भी साफ-सफाई नहीं होने के कारण तालाब परिसर और पानी गंदा ही है. इसके अलावा मंदिर के पीछे कई एकड़ जमीन में पानी जमा रहता है. जिसे साफ करा कर स्वच्छ वातावरण बनाने की आवश्यकता है. मंदिर के आसपास के जमीन पर स्थानीय लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है.
मंदिर का इतिहास
विभिन्न धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भृगु ऋषि के पुत्र च्यवन ऋषि यहां तप करने पहुंचे थे, तब यह घना जंगल हुआ करता था. च्यवन ऋषि ने यहां आश्रम बनाया और एक कुंड की स्थापना की थी. बगल में एक पवित्र सरोवर है, जिसकी स्थापना भी च्यवन ऋषि ने ही किया था. बताया जाता है कि भगवान श्रीराम यहां पहुंचकर पवित्र सरोवर में स्नान करके ऋषि का दर्शन किया था और शिवलिंग का निर्माण करके पूजा अर्चना की थी, तभी से यह शिवलिंग यहां स्थापित है.