औरंगाबाद: जिले में बाल न्यायालय का उद्घाटन किया गया. संजय कुमार उपाध्याय ने कहा कि बाल न्यायालय की स्थापना का उद्देश्य है कि जो बच्चे पीड़ित हैं. वे यहां पर खुद को सहज समझ सकें. बच्चे बाल न्यायालय में डरें नहीं बल्कि न्यायालय को घर जैसा समझ सकें. न्यायालय का उद्घाटन निरीक्षी न्यायाधीश न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद ने दीप प्रज्वलित कर और फीता काटकर किया.
न्यायालय के उद्घाटन पर जाहिर की खुशी
प्रथम अपर जिला सत्र न्यायाधीश संजय कुमार उपाध्याय ने कहा कि इस न्यायालय का उद्देश्य है कि जब बच्चे न्यायालय आएं या न्याय की प्रक्रिया की जाय तो उन्हें यह अनुभव न हो कि यहां का वातावरण खराब है. वे यहां पर खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें. इसके लिए बाल न्यायालय का गठन किया गया है. उद्घाटन समारोह में उपस्थित लोगों ने व्यवहार न्यायालय के उद्घाटन पर खुशी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि न्यायालय की स्थापना का एकमात्र उद्देश्य है कि बच्चों के लिए न्यायपालिका में वर्णित जो अधिकार है वह उन्हें मिल सके.
बच्चों के मन से खत्म हो डर
न्यायाधीश ने कहा कि न्यायालय के माध्यम से ऐसे बच्चे जो किसी कारण से अपराध कर बैठे हैं. उन्हें उचित वातावरण मिले जिससे बच्चों के मन से अपराध के प्रति डर खतम हो सके. बता दें कि उद्घाटन समारोह में जिले के व्यवहार न्यायालय जिला सत्र न्यायाधीश शिव गोपाल मिश्र, अपर जिला सत्र न्यायाधीश प्रथम संजय कुमार उपाध्याय, जिला पदाधिकारी राहुल रंजन महिवाल, एसपी दीपक वर्णवाल मौजूद रहे.