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ये है बिहार जहां मुर्दे भी कराते हैं जमीन की रजिस्ट्री

सरकारी विभाग की लापरवाही का ताजा नमूना औरंगाबाद जिला निबंधन कार्यालय से सामने आया है. जहां एक मृत व्यक्ति के जमीन की रजिस्ट्री कराने का मामला संज्ञान में आया.

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Published : Jul 27, 2020, 9:47 PM IST

औरंगाबाद: जिले में एक मृत व्यक्ति के जमीन रिजस्ट्रेशन कराने पहुंचने का मामला सामने आया है. सुनने में अजीब है लेकिन ऐसा औरंगाबाद के जिला निबंधन कार्यालय में हुआ है. मामले का खुलासा तब हुआ जब परिजन मृतक के दस्तावेज लेकर कार्यालय पहुंचे. परिजनों ने जांच की मांग करते हुए जमीन वापस दिलाए जाने की बात कही.

दरअसल, सदर प्रखंड के पोईवां निवासी परमेश्वर चौधरी की मौत बीते 2 मार्च को हुई. जबकि रजिस्ट्री ऑफिस का दस्तावेज यह बताता है कि परमेश्वर 6 मार्च को रजिस्ट्री कार्यालय आया और अपनी 1 एकड़ 10 डिसमिल जमीन की रजिस्ट्री कर कर चुपचाप चला गया. जब परिजनों को इसकी जानकारी लगी तो वे आनन-फानन में कार्यालय पहुंचे.

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मृतक की तस्वीर के साथ परिजन

विभागीय लापरवाही का उदाहरण
प्रावधान के मुताबिक जमीन की बिक्री से पहले क्रेता और विक्रेता दोनों की पहचान तीन चरणों में की जाती है. आधार कार्ड, अंगूठे का निशान और दस्तावेज पर लगाए गए तस्वीर के साथ विक्रेता के चेहरे का आमने-सामने मिलान किया जाता है. अंततः रजिस्ट्रार के समक्ष जमीन की खरीद-बिक्री के दस्तावेज पर हस्ताक्षर भी कराया जाता है ताकि किसी तरह के फर्जीवाड़े की गुंजाइश ही न बचे.

देखें रिपोर्ट.

जानकारी मिलते ही पहुंचे परिजन
इस बात का पता जैसे ही मृतक के बेटे बिंदेश्वर को लगा तो उसने रजिस्ट्रार ऑफिस पहुंचकर एक आवेदन दिया और फर्ज़ीवाड़े की जानकारी देते हुए आवश्यक कानूनी कार्रवाई की मांग की. साथ ही उसने अपनी जमीन वापस दिलाये जाने की मांग की. बावजूद इसके रजिस्ट्रार ने चुप्पी साधे रखी. लेकिन पीड़ित बिंदेश्वर ने इसकी जानकारी जब डीएम को दी, तब मामले की गंभीरता को देखते हुए रजिस्ट्रार ने आनन-फानन में 4 लोगों के खिलाफ नगर थाने में आवेदन देते हुए प्राथमिकी दर्ज करा दी. एसपी ने मामले पर संज्ञान लिया और बताया की जांच जारी है. जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

औरंगाबाद: जिले में एक मृत व्यक्ति के जमीन रिजस्ट्रेशन कराने पहुंचने का मामला सामने आया है. सुनने में अजीब है लेकिन ऐसा औरंगाबाद के जिला निबंधन कार्यालय में हुआ है. मामले का खुलासा तब हुआ जब परिजन मृतक के दस्तावेज लेकर कार्यालय पहुंचे. परिजनों ने जांच की मांग करते हुए जमीन वापस दिलाए जाने की बात कही.

दरअसल, सदर प्रखंड के पोईवां निवासी परमेश्वर चौधरी की मौत बीते 2 मार्च को हुई. जबकि रजिस्ट्री ऑफिस का दस्तावेज यह बताता है कि परमेश्वर 6 मार्च को रजिस्ट्री कार्यालय आया और अपनी 1 एकड़ 10 डिसमिल जमीन की रजिस्ट्री कर कर चुपचाप चला गया. जब परिजनों को इसकी जानकारी लगी तो वे आनन-फानन में कार्यालय पहुंचे.

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मृतक की तस्वीर के साथ परिजन

विभागीय लापरवाही का उदाहरण
प्रावधान के मुताबिक जमीन की बिक्री से पहले क्रेता और विक्रेता दोनों की पहचान तीन चरणों में की जाती है. आधार कार्ड, अंगूठे का निशान और दस्तावेज पर लगाए गए तस्वीर के साथ विक्रेता के चेहरे का आमने-सामने मिलान किया जाता है. अंततः रजिस्ट्रार के समक्ष जमीन की खरीद-बिक्री के दस्तावेज पर हस्ताक्षर भी कराया जाता है ताकि किसी तरह के फर्जीवाड़े की गुंजाइश ही न बचे.

देखें रिपोर्ट.

जानकारी मिलते ही पहुंचे परिजन
इस बात का पता जैसे ही मृतक के बेटे बिंदेश्वर को लगा तो उसने रजिस्ट्रार ऑफिस पहुंचकर एक आवेदन दिया और फर्ज़ीवाड़े की जानकारी देते हुए आवश्यक कानूनी कार्रवाई की मांग की. साथ ही उसने अपनी जमीन वापस दिलाये जाने की मांग की. बावजूद इसके रजिस्ट्रार ने चुप्पी साधे रखी. लेकिन पीड़ित बिंदेश्वर ने इसकी जानकारी जब डीएम को दी, तब मामले की गंभीरता को देखते हुए रजिस्ट्रार ने आनन-फानन में 4 लोगों के खिलाफ नगर थाने में आवेदन देते हुए प्राथमिकी दर्ज करा दी. एसपी ने मामले पर संज्ञान लिया और बताया की जांच जारी है. जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

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