औरंगाबाद: नीतीश सरकार के बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के दावों की आए दिन पोल खुलती रहता है. जिले के ओबरा प्रखंड के हरीना गांव की शीला देवी के शव को उनके परिजनों को अपने कंधे पर रखकर सदर अस्पताल से लाना पड़ा. ये तस्वीर सुशासन बाबू के सरकार की पूरी हेल्थ सिस्टम को मुंह चिढ़ा रही है.
हेल्थ सिस्टम की खुली पोल
सदर अस्पताल की ये हालत न सिर्फ सड़ चुके हेल्थ सिस्टम की पोल खोल कर रख देती है, बल्कि हमारे समाज को भी शर्मिंदा होने पर मजबूर कर देती है. जी हां कुछ ऐसा ही मंजर उस वक्त दिखा, जब एक बुजुर्ग महिला की मौत इलाज के दौरान हो गयी. लेकिन हॉस्पिटल से उसके शव को ले जाने के लिए ना तो स्ट्रेचर मिला और ना ही शव वाहन उपलब्ध कराया गया. ऐसा तब है जबकि इसके लिए आउटसोर्सिंग के तहत सरकार ने कई कर्मियों को नियुक्त कर रखा है.
अस्पताल प्रबंधन ने झाड़ा पल्ला
इस मामले में जब औरंगाबाद जिले के सिविल सर्जन से बात की गई, तब उन्होंने पहले तो सब कुछ दुरुस्त होने का दावा किया, लेकिन जब उन्हें हकीकत बताई गई, तब उन्होंने ऐसी परिस्थिति में सिविल सर्जन से संपर्क करने की सलाह देकर अपना पल्ला झाड़ लिया.