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औरंगाबाद में 'बीमार' हेल्थ सिस्टम: अस्पताल से नहीं मिला स्ट्रेचर तो कंधे पर शव ले गए परिजन

सदर अस्पताल की यह तस्वीर न सिर्फ सड़ चुके हेल्थ सिस्टम की पोल खोलकर रख देती है, बल्कि हमारे समाज को भी शर्मिंदा होने पर मजबूर कर देती है.

कंधे पर शव ले जाते परिजन
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Published : Jul 27, 2019, 12:07 PM IST

औरंगाबाद: नीतीश सरकार के बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के दावों की आए दिन पोल खुलती रहता है. जिले के ओबरा प्रखंड के हरीना गांव की शीला देवी के शव को उनके परिजनों को अपने कंधे पर रखकर सदर अस्पताल से लाना पड़ा. ये तस्वीर सुशासन बाबू के सरकार की पूरी हेल्थ सिस्टम को मुंह चिढ़ा रही है.

हेल्थ सिस्टम की खुली पोल
सदर अस्पताल की ये हालत न सिर्फ सड़ चुके हेल्थ सिस्टम की पोल खोल कर रख देती है, बल्कि हमारे समाज को भी शर्मिंदा होने पर मजबूर कर देती है. जी हां कुछ ऐसा ही मंजर उस वक्त दिखा, जब एक बुजुर्ग महिला की मौत इलाज के दौरान हो गयी. लेकिन हॉस्पिटल से उसके शव को ले जाने के लिए ना तो स्ट्रेचर मिला और ना ही शव वाहन उपलब्ध कराया गया. ऐसा तब है जबकि इसके लिए आउटसोर्सिंग के तहत सरकार ने कई कर्मियों को नियुक्त कर रखा है.

औरंगाबाद में बदहाल अस्पताल

अस्पताल प्रबंधन ने झाड़ा पल्ला
इस मामले में जब औरंगाबाद जिले के सिविल सर्जन से बात की गई, तब उन्होंने पहले तो सब कुछ दुरुस्त होने का दावा किया, लेकिन जब उन्हें हकीकत बताई गई, तब उन्होंने ऐसी परिस्थिति में सिविल सर्जन से संपर्क करने की सलाह देकर अपना पल्ला झाड़ लिया.

औरंगाबाद: नीतीश सरकार के बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के दावों की आए दिन पोल खुलती रहता है. जिले के ओबरा प्रखंड के हरीना गांव की शीला देवी के शव को उनके परिजनों को अपने कंधे पर रखकर सदर अस्पताल से लाना पड़ा. ये तस्वीर सुशासन बाबू के सरकार की पूरी हेल्थ सिस्टम को मुंह चिढ़ा रही है.

हेल्थ सिस्टम की खुली पोल
सदर अस्पताल की ये हालत न सिर्फ सड़ चुके हेल्थ सिस्टम की पोल खोल कर रख देती है, बल्कि हमारे समाज को भी शर्मिंदा होने पर मजबूर कर देती है. जी हां कुछ ऐसा ही मंजर उस वक्त दिखा, जब एक बुजुर्ग महिला की मौत इलाज के दौरान हो गयी. लेकिन हॉस्पिटल से उसके शव को ले जाने के लिए ना तो स्ट्रेचर मिला और ना ही शव वाहन उपलब्ध कराया गया. ऐसा तब है जबकि इसके लिए आउटसोर्सिंग के तहत सरकार ने कई कर्मियों को नियुक्त कर रखा है.

औरंगाबाद में बदहाल अस्पताल

अस्पताल प्रबंधन ने झाड़ा पल्ला
इस मामले में जब औरंगाबाद जिले के सिविल सर्जन से बात की गई, तब उन्होंने पहले तो सब कुछ दुरुस्त होने का दावा किया, लेकिन जब उन्हें हकीकत बताई गई, तब उन्होंने ऐसी परिस्थिति में सिविल सर्जन से संपर्क करने की सलाह देकर अपना पल्ला झाड़ लिया.

Intro:bh_au_01_kandhe_par_system_vis_ bite_pkg_bh10003
एंकर :- औरंगाबाद जिले के ओबरा प्रखंड के हरीना गांव के मृतक शीला देवी का शव उसके पोते ने अपने कंधे पर रखकर सदर अस्पताल से लाना पड़ा। इस तस्वीर सामने आने के बाद पूरी हेल्थ सिस्टम पोल खोल कर रखती है ,देखिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, एक स्पेशल रिपोर्ट


Body:v.o.1.गौरतलब है कि सदर अस्पताल से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जो न सिर्फ सड़ चुके हेल्थ सिस्टम की पोल खोल कर धर देती है बल्कि हमारे समाज को भी शर्मिंदा होने पर मजबूर कर देती है, जी हां कुछ ऐसा ही मंजर उस वक्त दिखा जब एक बुजुर्ग महिला की मौत इलाज के दौरान हो गयी मगर हॉस्पिटल से उसके शव को ले जाने के लिए ना तो स्ट्रेचर मिला और ना ही शव वाहन की उपलब्ध कराया गया ऐसा तब है जबकि इसके लिए आउटसोर्सिंग के तहत सरकार ने कई कर्मियों को नियुक्त रखा है।
1.वाईट :- अमित कुमार, मृतका शांति देवी का पोता


Conclusion:v.o.2. इस मामले में औरंगाबाद जिले के सिविल सर्जन से बात की गई है तब उन्होंने पहले तो सब कुछ दुरुस्त होने का दवा किया, मगर जब उन्हें हकीकत बताई गई तब उन्होंने ऐसी परिस्थिति में सिविल सर्जन से संपर्क करने की सलाह देकर अपना पल्ला झाड़ लिया।
2.वाईट :- अमरेंद्र कुमार झा, सिविल सर्जन औरंगाबाद।
फाइनल वीओ. हाय रे सिस्टम बिहार का स्वास्थ्य महकमा गौर करके इस सिस्टम को देखिए पोता अपनी दादी का शव अपने कंधे पर लाद घर ले जाने पर उन्हें मजबूर होना पड़ा। परिजन का रो रो को हुआ बुरा हाल।
3.पीटीसी संतोष कुमार ईटीवी भारत औरंगाबाद ।
औरंगाबाद से स्पेशल रिपोर्ट संतोष कुमार ईटीवी भारत औरंगाबाद।
नोट :- नक्सल मुठभेड़ वाली खबर है, इसलिए इस खबर को मेल से भेज रहे हैं।
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