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औरंगाबाद के देव सूर्य मंदिर से जुड़े अद्भुत तथ्य, मन मांगी मुरादें होती हैं यहां पूरी - chhath pooja

देश भर में भगवान सूर्य के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं और सभी का अपना अलग महत्व है. बिहार के औरंगाबाद जिले में स्थित देव सूर्य मंदिर का अपना ही एक इतिहास है. छठ पर्व के दौरान इस मंदिर की खासियत और बढ़ जाती है. यहां हर साल सूर्य अचला सप्तमी को महोत्सव का भी आयोजन होता है. यहां छठ पर सूर्यकुंड तालाब का भी विशेष महत्व है.

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औरंगाबाद देव सूर्य मंदिर
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Published : Nov 18, 2020, 2:30 PM IST

Updated : Dec 16, 2020, 3:45 PM IST

औरंगाबाद: जिले के देव सूर्य मंदिर से थोड़ी दूरी पर स्थित है सूरजकुंड तालाब. जिसे कुष्ठ रोग निवारक तालाब के नाम से जाना जाता है. इस तालाब में स्नान करने से चर्म व्याधि से ग्रसितों की बीमारियां दूर हो जाती है. कुष्ठ निवारक के बारे में कई किवदंतियां प्रचलित है. इसी तालाब में चैत्र एवं कार्तिक मास में श्रद्धालु अर्घ्य देते हैं. लेकिन इस कोरोना काल में मंदिर सूरजकुंड में स्नान नहीं होगा.

  • बिहार के औरंगाबाद जिले में स्थित देव सूर्य मंदिर का अपना ही एक इतिहास है. छठ पर्व के दौरान इस मंदिर की खासियत और बढ़ जाती है.

श्रद्धालुओं एवं छठ व्रतियों की अटूट आस्था का केंद्र

औरंगाबाद जिले के देवी स्थित ऐतिहासिक धार्मिक पौराणिक आध्यात्मिक सांस्कृतिक एवं पर्यटक के दृष्टिकोण से विश्व प्रसिद्ध यह त्रेतायुगीन सूर्य मंदिर अपनी कलात्मक भव्यता के लिए स्वर विदित और प्रख्यात होने के साथ-साथ सदियों से देसी-परदेशी पर्यटक को श्रद्धालुओं एवं छठ व्रतियों की अटूट आस्था का केंद्र भी है. साथ ही इस मंदिर को दुनिया का इकलौता पश्चिम मुखी सूर्य मंदिर होने का गौरव हासिल है.

औरंगाबाद देव सूर्य मंदिर

मनवांछित फल देने वाला पवित्र धर्मस्थल
देव सूरज मंदिर अति प्राचीन मंदिर इसे इला के पुत्र राजा एल ने त्रेता युग के 12 लाख 16 हजार वर्ष बीत जाने के बाद निर्माण आरंभ कराया था. ऐसे में मंदिर की अति प्राचीन होने से इंकार नहीं किया जा सकता है. बहरहाल भगवान भाष्कर का यह मंदिर सदियों से लोगों को मनवांछित फल देने वाला पवित्र धर्मस्थल रहा है. यूं तो साल भर में देश के विभिन्न जगहों से यहां से पधार कर मन्नत मांगते हैं. सूरज देव इसकी पूर्ति होने पर अर्थ देने आते हैं लेकिन कार्तिक छठ दौरान यहां दर्शन पूजन की अपनी एक विशिष्ट धार्मिक महत्ता है.

औरंगाबाद: जिले के देव सूर्य मंदिर से थोड़ी दूरी पर स्थित है सूरजकुंड तालाब. जिसे कुष्ठ रोग निवारक तालाब के नाम से जाना जाता है. इस तालाब में स्नान करने से चर्म व्याधि से ग्रसितों की बीमारियां दूर हो जाती है. कुष्ठ निवारक के बारे में कई किवदंतियां प्रचलित है. इसी तालाब में चैत्र एवं कार्तिक मास में श्रद्धालु अर्घ्य देते हैं. लेकिन इस कोरोना काल में मंदिर सूरजकुंड में स्नान नहीं होगा.

  • बिहार के औरंगाबाद जिले में स्थित देव सूर्य मंदिर का अपना ही एक इतिहास है. छठ पर्व के दौरान इस मंदिर की खासियत और बढ़ जाती है.

श्रद्धालुओं एवं छठ व्रतियों की अटूट आस्था का केंद्र

औरंगाबाद जिले के देवी स्थित ऐतिहासिक धार्मिक पौराणिक आध्यात्मिक सांस्कृतिक एवं पर्यटक के दृष्टिकोण से विश्व प्रसिद्ध यह त्रेतायुगीन सूर्य मंदिर अपनी कलात्मक भव्यता के लिए स्वर विदित और प्रख्यात होने के साथ-साथ सदियों से देसी-परदेशी पर्यटक को श्रद्धालुओं एवं छठ व्रतियों की अटूट आस्था का केंद्र भी है. साथ ही इस मंदिर को दुनिया का इकलौता पश्चिम मुखी सूर्य मंदिर होने का गौरव हासिल है.

औरंगाबाद देव सूर्य मंदिर

मनवांछित फल देने वाला पवित्र धर्मस्थल
देव सूरज मंदिर अति प्राचीन मंदिर इसे इला के पुत्र राजा एल ने त्रेता युग के 12 लाख 16 हजार वर्ष बीत जाने के बाद निर्माण आरंभ कराया था. ऐसे में मंदिर की अति प्राचीन होने से इंकार नहीं किया जा सकता है. बहरहाल भगवान भाष्कर का यह मंदिर सदियों से लोगों को मनवांछित फल देने वाला पवित्र धर्मस्थल रहा है. यूं तो साल भर में देश के विभिन्न जगहों से यहां से पधार कर मन्नत मांगते हैं. सूरज देव इसकी पूर्ति होने पर अर्थ देने आते हैं लेकिन कार्तिक छठ दौरान यहां दर्शन पूजन की अपनी एक विशिष्ट धार्मिक महत्ता है.

Last Updated : Dec 16, 2020, 3:45 PM IST
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