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भोजपुरः कचरे के ढेर पर नौनिहालों का भविष्य, स्थानीय लोग स्कूल में रखते हैं गोबर

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Published : May 1, 2019, 12:38 PM IST

मोहल्ले के लोग यहां गोबर के उपलों का ढेर लगा देते हैं. आसपास फैली ये गंदगी बीमारी के साथ-साथ बच्चों के भविष्य की सेहत पर भी असर डाल रही है.

सरकारी स्कूल की स्थिति

भोजपुरः जिला मुख्यालय आरा के बस स्टैंड के पीछे एक ही जगह कुल चार प्राथमिक विद्यालय हैं. जिनके चारों ओर गंदगी का अंबार लगा रहता है. साथ ही स्कूल के अंदर भी गोबर और गोबर से बने उपलों का ढेर लगा रहता है. इसके चलते यहां बच्चे नहीं के बराबर आते हैं.

school
स्कूल में रखे उपले

स्थानीय लोग ही विद्यालय के आसपास गंदगी फैलाते हैं. मोहल्ले के लोग यहां गोबर के उपलों का ढेर लगा देते हैं. आसपास फैली ये गंदगी बीमारी के साथ-साथ बच्चों की सेहत पर भी असर डाल रही है.

यहां पढ़ा रही शिक्षिका का कहना है कि यहां के लोग अपने घर और घर के आसपास के कचड़े और गंदगी विद्यालय के पास फेंक देते हैं. उन्होंने विद्यालय की घेराबंदी नहीं होना इसकी मुख्य वजह बताई. वहीं, छात्रों का कहना है कि इतनी गंदगी में स्कूल में पढ़ाई करने का मन नहीं करता है.

school
भविष्य के साथ खिलवाड़

कचरे से घिरे हैं विद्यालय
इन विद्यालयों में प्राथमिक विद्यालय अम्बेडकर नगर, मिश्र टोला आरा, राजकीय प्राथमिक विद्यालय, मोती टोला, कन्या प्राईमरी विद्यालय, शिवगंज आरा समेत कुल चार विद्यालय हैं जो एक ही जगह स्थित हैं. इन विद्यालयों के शौचालय स्वच्छ भारत मिशन की पोल खोलने के लिए काफी है. दरअसल इन चारों विद्यालयों में एक भी शौचालय साफ-सुथरा नहीं है.

सरकारी स्कूलों की स्थिति

प्रशासन का सिर्फ आश्वासन
इस मामले पर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने विद्यालय परिसर में पड़े गन्दगी के निराकरण के लिए नगर निगम को पत्र लिखने और स्थानीय लोगों को जागरूक करने की बात की है. उनका कहना है कि स्थानीय लोगों को भी इसके लिए जागरूक होना पड़ेगा. उधर नगर निगम आयुक्त का कहना है कि स्कूलों के आसपास फैली गंदगी को साफ करवाया जाएगा.

भोजपुरः जिला मुख्यालय आरा के बस स्टैंड के पीछे एक ही जगह कुल चार प्राथमिक विद्यालय हैं. जिनके चारों ओर गंदगी का अंबार लगा रहता है. साथ ही स्कूल के अंदर भी गोबर और गोबर से बने उपलों का ढेर लगा रहता है. इसके चलते यहां बच्चे नहीं के बराबर आते हैं.

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स्कूल में रखे उपले

स्थानीय लोग ही विद्यालय के आसपास गंदगी फैलाते हैं. मोहल्ले के लोग यहां गोबर के उपलों का ढेर लगा देते हैं. आसपास फैली ये गंदगी बीमारी के साथ-साथ बच्चों की सेहत पर भी असर डाल रही है.

यहां पढ़ा रही शिक्षिका का कहना है कि यहां के लोग अपने घर और घर के आसपास के कचड़े और गंदगी विद्यालय के पास फेंक देते हैं. उन्होंने विद्यालय की घेराबंदी नहीं होना इसकी मुख्य वजह बताई. वहीं, छात्रों का कहना है कि इतनी गंदगी में स्कूल में पढ़ाई करने का मन नहीं करता है.

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भविष्य के साथ खिलवाड़

कचरे से घिरे हैं विद्यालय
इन विद्यालयों में प्राथमिक विद्यालय अम्बेडकर नगर, मिश्र टोला आरा, राजकीय प्राथमिक विद्यालय, मोती टोला, कन्या प्राईमरी विद्यालय, शिवगंज आरा समेत कुल चार विद्यालय हैं जो एक ही जगह स्थित हैं. इन विद्यालयों के शौचालय स्वच्छ भारत मिशन की पोल खोलने के लिए काफी है. दरअसल इन चारों विद्यालयों में एक भी शौचालय साफ-सुथरा नहीं है.

सरकारी स्कूलों की स्थिति

प्रशासन का सिर्फ आश्वासन
इस मामले पर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने विद्यालय परिसर में पड़े गन्दगी के निराकरण के लिए नगर निगम को पत्र लिखने और स्थानीय लोगों को जागरूक करने की बात की है. उनका कहना है कि स्थानीय लोगों को भी इसके लिए जागरूक होना पड़ेगा. उधर नगर निगम आयुक्त का कहना है कि स्कूलों के आसपास फैली गंदगी को साफ करवाया जाएगा.

Intro:जब देश स्वच्छ भारत मिशन के बहाव में गोते लगा रहा हो तब क्या ऐसी भी कोई तस्वीर संभव है जिसमे कचड़े के अंबार पर बच्चे पढ़ते नजर आएं जिससे नौनिहालों का भविष्य और सेहत दोनों आहत हो रहे हों।इतना ही नही, इस पूरे मामले पर शिक्षा व्यवस्था,नगर निगम और जिला प्रशासन चुप्पी साध ले। जी हां एक ऐसी ही भयावह तस्वीर नजर आती है भोजपुर के बस स्टैंड के समीप जहां कुल चार प्राथमिक विद्यालय हैं जो कचड़े,गोबर,गोयठा और पशुओं से घिरे रहते हैं।इस स्थिति में पढ़ाई कितनी सम्भव है इसका आकलन स्वयं किया जा सकता है।


Body:भोजपुर के जिला मुख्यालय आरा के बस स्टैंड के पीछे एक ही जगह कुल चार प्राथमिक विद्यालय हैं जिसपर कई वर्षों से गोबर गोयठा गंदगी और जानवरों ने अपना कब्जा कर रखा है।यही वजह है कि इन प्राथमिक विद्यालयों में बच्चे बिल्कुल नही के बराबर हैं। कौन कौन हैं विद्यालय-गंदगी के ढेर पर चल रहे उन विद्यालयों में प्राथमिक विद्यालय अम्बेडकर नगर,मिश्र टोला आरा,राजकीय प्राथमिक विद्यालय,मोती टोला,कन्या प्राईमरी विद्यालय,शिवगंज आरा सहित कुल चार विद्यालय हैं जो एक ही जगह स्थित हैं। शौचालय की स्थिति दयनीय- इन विद्यालयों का शौचालय स्वच्छ भारत मिशन की पोल खोलने के लिए काफी है।दरअसल इन चारों विद्यालयों में एक भी शौचालय "जाने" लायक नही है।ऐसे में विद्यालय की छात्राएं और महिला शिक्षिकाओं की स्थिति क्या होगी इसका आकलन किया जा सकता है। क्या कहते हैं बच्चे-इस बावत पूछे जाने पर वर्ग पाँच की छात्रा रूबी कुमारी ने बताया कि यहां के स्थानीय लोग कचड़ा और अपने अपने घर की गंदगी विद्यालय परिसर में फेंक देते हैं। शौचालय की भी व्यवस्था नही है जिससे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। क्या कहती हैं शिक्षिकाएं- इस बावत पूछे जाने पर शिक्षिका बताती हैं कि यहां के लोग अपने घर और घर के आसपास के कचड़े और गंदगी विद्यालय के पास फेंक देते हैं।उन्होंने विद्यालय की घेराबंदी नही होना इसका मुख्य वजह बताया। क्या कहते हैं पदाधिकारी- इस बावत जिला शिक्षा पदाधिकारी ने विद्यालय परिसर में पड़े गन्दगी के निराकरण के लिए नगर निगम को पत्र लिखने और स्थानीय लोगों को जागरूक करने की बात कह कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया तो वही नगर निगम आयुक्त ने गंदगी को तत्कालीन साफ करवाने का आश्वासन दे डाला।


Conclusion: जहां एक ओर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने नगर निगम पर और नगर निगम ने तत्कालीन साफ सफाई कराने की बात कह तो डाली लेकिन विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के लिए शौचालय और पेयजल की समस्या कैसे दूर होगी इस बात पर किसी ने कुछ नही कहा। अब इन सारी स्थितियों सेसमझा जा सकता है कि सिस्टम के इस स्कूल को बीमारी से कब तक बचाया जा सकता है।
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