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VIDEO: गंदगी देख VKSU के विभागाध्यक्ष ने खुद लगाई झाड़ू, कमरे से लेकर शौचालय तक को किया साफ

आरा के वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय (Veer Kunwar Singh University) के एक सीनियर प्रोफेसर ने हाथ में झाड़ू और वाइपर लेकर खुद ही पूरे विभाग की सफाई कर डाली. प्रोफेसर की सफाई का ये वीडियो जैसे ही सोशल माडिया पर वायरल हुआ, लोग इसकी वजह जानने को बेताब हो गए.

वीकेएसयू प्रोफेसर ने विभाग में की सफाई
वीकेएसयू प्रोफेसर ने विभाग में की सफाई
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Published : Jun 30, 2022, 1:38 PM IST

Updated : Jun 30, 2022, 1:51 PM IST

भोजपुरः बिहार के आरा में स्थित वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय अलग-अलग कारणों से अक्सर ही सुर्खियों में रहता है. इस बार फिर यूनिवर्सिटी के भोजपुरी विभागाध्यक्ष के गांधीवादी तरीके से विरोध की चर्चा सोशल मीडिया पर काफी तेजी से हो रही है. दरअसल भोजपुरी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर दिवाकर पांडेय (Professor Diwakar Pandey) ने विभाग से जुड़ी समस्याओं की अनदेखी होने पर वीकेएसयू प्रशासन के खिलाफ गांधीवादी विरोध का रुख अपना लिया और भोजपुरी विभाग के कमरे, बेसिन और शौचालय की साफ-सफाई खुद (VKSU Professor Cleaned Department In Arrah) ही करने लगे. इस दौरान वहां मौजूद लोगों ने प्रोफेसर साहब का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया.

ये भी पढ़ेंः वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में 54 हजार छात्र-छात्राओं के करियर से हो रहा खिलवाड़

विश्वविद्यालय प्रशासन पर उठ रहे सवालः इस वीडियो के वायरल होने के बाद वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के रख-रखाव और स्वच्छता जैसे मुद्दों को लेकर कई गंभीर प्रश्न खड़े किए गए हैं. इसके साथ ही सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिरकार प्रोफेसर साहब के जिन हाथों में बच्चों को पढ़ाने के लिए कलम और किताबें होनी चाहिए थीं, अब उन हाथों में झाड़ू, टॉयलेट क्लीनर और साफ-सफाई वाला ब्रश, वाइपर सहित अन्य चीजें क्यूं दिखाई दे रही हैं.

ये भी पढ़ेंः छुट्टी पर भेजे गए वित्तीय अनियमितता के आरोपी वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के VC देवी प्रसाद तिवारी

जब इस पूरे मामले में भोजपुरी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर दिवाकर पांडेय से जानकारी ली गई, तो उन्होंने बताया कि 1 जुलाई से भोजपुरी और हिंदी भवन में पठन पाठन का कार्य शुरू होने वाला है. भवन के ग्राउंड फ्लोर की सफाई और रखरखाव के लिए सफाई कर्मचारी कार्यरत थे, लेकिन उसे कुछ सप्ताह पहले छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष रणविजय कुमार के कार्यालय में बिना आदेश के निर्गत किये ही मौखिक रूप से बुला लिया गया. जिससे विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन से सटे भोजपुरी विभाग सहित पूरे फ्लोर की सफाई नहीं हो रही थी और काफी गंदगी जमा हो गई. सबसे बदतर स्थिति शौचालय और बेसिन की थी, जिसके दुर्गंध से पूरे फ्लोर पर रहना मुश्किल था. इसलिए मजबूर होकर मुझे ही सफाई शुरू करनी पड़ी.

"कुलसचिव से मिलकर एक सफाई कर्मचारी की मांग की थी, जिस पर कुलसचिव द्वारा तत्काल सफाईकर्मी मुहैय्या कराने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जिसके बाद मैंने खुद से सफाई का मन बनाया और स्वीपर बनकर टॉयलेट और कमरों की सफाई शुरू कर दी. जब तक प्रशासनिक तौर पर इस पर कोई पहल नहीं की जाती, तब तक ये सफाई का अभियान जारी रहेगा"- प्रो. दिवाकर पांडेय, विभागाध्यक्ष, भोजपुरी

कुलसचिव ने दिए गोल मटोल जवाबः वहीं, इस मामले में विश्वविद्यालय के कुलसचिव से जब बात की गई तो उन्होंने गोल मटोल जवाब देते हुए उल्टे प्रोफेसर साहब को ही इस तरह का कार्य नहीं करने की नसीहत दे दी. बहरहाल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर द्वारा गांधीगिरी की राह पर विरोध जताने का मामला अब धीरे धीरे काफी तूल पकड़ता जा रहा है और इसकी चर्चा विश्वविद्यालय के साथ-साथ आम लोगों में भी काफी तेजी से हो रही है.

भोजपुरः बिहार के आरा में स्थित वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय अलग-अलग कारणों से अक्सर ही सुर्खियों में रहता है. इस बार फिर यूनिवर्सिटी के भोजपुरी विभागाध्यक्ष के गांधीवादी तरीके से विरोध की चर्चा सोशल मीडिया पर काफी तेजी से हो रही है. दरअसल भोजपुरी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर दिवाकर पांडेय (Professor Diwakar Pandey) ने विभाग से जुड़ी समस्याओं की अनदेखी होने पर वीकेएसयू प्रशासन के खिलाफ गांधीवादी विरोध का रुख अपना लिया और भोजपुरी विभाग के कमरे, बेसिन और शौचालय की साफ-सफाई खुद (VKSU Professor Cleaned Department In Arrah) ही करने लगे. इस दौरान वहां मौजूद लोगों ने प्रोफेसर साहब का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया.

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विश्वविद्यालय प्रशासन पर उठ रहे सवालः इस वीडियो के वायरल होने के बाद वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के रख-रखाव और स्वच्छता जैसे मुद्दों को लेकर कई गंभीर प्रश्न खड़े किए गए हैं. इसके साथ ही सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिरकार प्रोफेसर साहब के जिन हाथों में बच्चों को पढ़ाने के लिए कलम और किताबें होनी चाहिए थीं, अब उन हाथों में झाड़ू, टॉयलेट क्लीनर और साफ-सफाई वाला ब्रश, वाइपर सहित अन्य चीजें क्यूं दिखाई दे रही हैं.

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जब इस पूरे मामले में भोजपुरी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर दिवाकर पांडेय से जानकारी ली गई, तो उन्होंने बताया कि 1 जुलाई से भोजपुरी और हिंदी भवन में पठन पाठन का कार्य शुरू होने वाला है. भवन के ग्राउंड फ्लोर की सफाई और रखरखाव के लिए सफाई कर्मचारी कार्यरत थे, लेकिन उसे कुछ सप्ताह पहले छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष रणविजय कुमार के कार्यालय में बिना आदेश के निर्गत किये ही मौखिक रूप से बुला लिया गया. जिससे विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन से सटे भोजपुरी विभाग सहित पूरे फ्लोर की सफाई नहीं हो रही थी और काफी गंदगी जमा हो गई. सबसे बदतर स्थिति शौचालय और बेसिन की थी, जिसके दुर्गंध से पूरे फ्लोर पर रहना मुश्किल था. इसलिए मजबूर होकर मुझे ही सफाई शुरू करनी पड़ी.

"कुलसचिव से मिलकर एक सफाई कर्मचारी की मांग की थी, जिस पर कुलसचिव द्वारा तत्काल सफाईकर्मी मुहैय्या कराने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जिसके बाद मैंने खुद से सफाई का मन बनाया और स्वीपर बनकर टॉयलेट और कमरों की सफाई शुरू कर दी. जब तक प्रशासनिक तौर पर इस पर कोई पहल नहीं की जाती, तब तक ये सफाई का अभियान जारी रहेगा"- प्रो. दिवाकर पांडेय, विभागाध्यक्ष, भोजपुरी

कुलसचिव ने दिए गोल मटोल जवाबः वहीं, इस मामले में विश्वविद्यालय के कुलसचिव से जब बात की गई तो उन्होंने गोल मटोल जवाब देते हुए उल्टे प्रोफेसर साहब को ही इस तरह का कार्य नहीं करने की नसीहत दे दी. बहरहाल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर द्वारा गांधीगिरी की राह पर विरोध जताने का मामला अब धीरे धीरे काफी तूल पकड़ता जा रहा है और इसकी चर्चा विश्वविद्यालय के साथ-साथ आम लोगों में भी काफी तेजी से हो रही है.

Last Updated : Jun 30, 2022, 1:51 PM IST
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