ETV Bharat / state

भोजपुर स्पेशल : बिजली का पोल है नदी पार करने का जरिया

पुल पर पड़े बिजली के पोल पर चल कर यहां के लोग इस नदी को पार करते हैं. लेकिन आज तक यहां जनप्रतिनिधि जनता को सिवाय आश्वासन के और कुछ ना दे सके

पोल के सहारे नदी पार करते लोग
author img

By

Published : Apr 17, 2019, 10:39 AM IST

भोजपुर : आजादी के 72 साल गुजरने के बाद भी अगर स्थिति में सुधार न हो तो क्या उसे भी विकास ही कहेंगे? अगर कहेंगे तो यह विकास नजर आता है भोजपुर जिला के गड़हनी थाना क्षेत्र के रत्नाढ़ गांव में. जहां आज तक पुल के नाम पर बिजली का एक पोल ही अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है.

दरअसल, पडडिया और रत्गनाढ़ गांव के बीच निश्छल बहती बनास नदी पर अंग्रेजों के जमाने के बने पुल के कुछ अवशेष अब भी अपने जमाने की याद ताजा करा रहे हैं. पुल पर पड़े बिजली के पोल पर ही चल कर यहां के लोग इस नदी को पार करते हैं. लेकिन आज तक यहां जनप्रतिनिधि जनता को सिवाय आश्वासन के और कुछ ना दे सके. भोजपुर जिले में साग सब्जी उपजाने के लिए मशहूर गांव आज भी अपनी दुर्दशा की कहानी बयां कर रहा है.

जानकारी देते स्थानीय लोग

ग्रामीणों को है बड़ी समस्याएं
इस गांव के लोग बताते हैं कि आज पुल के नहीं होने से ग्रामीणों को बड़ी समस्याएं झेलनी पड़ती है. उन्होंने बताया कि इस पुल के नहीं बनने से सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को हो रहा है. दरअसल रत्नाढ़ गांव के किसान अपनी सब्जी बेचने गड़हनी बाजार में जाते हैं. लेकिन पूल के नहीं होने की वजह इन्हें अपनी सब्जी मंडी तक ले जाने के लिए तीन किलोमीटर की दूरी को 5 किलोमीटर में तय करना पड़ता है.

river
स्थानीय नदी, बनास

वर्षों से हो रही है मांग
इस नदी पर पूल की मांग यहां के लोगों के द्वारा लगातार होती रही है. लेकिन इसके बावजूद जनप्रतिनिधियों और नेताओं का ध्यान इस पर नहीं है. इस पुल के बनने से रत्नाढ़, पडडिया, काउप, मथुरापुर, सोहरी, सुअरी सहित दर्जनों के गांवों की दूरी आधी हो जाएगी. लोगों का कहना है कि नेता यहां वोट मागने तो आते हैं और आश्वासन देकर चले जाते हैं. लोकिन पुल का निर्माण आज तक नहीं हो सका.

भोजपुर : आजादी के 72 साल गुजरने के बाद भी अगर स्थिति में सुधार न हो तो क्या उसे भी विकास ही कहेंगे? अगर कहेंगे तो यह विकास नजर आता है भोजपुर जिला के गड़हनी थाना क्षेत्र के रत्नाढ़ गांव में. जहां आज तक पुल के नाम पर बिजली का एक पोल ही अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है.

दरअसल, पडडिया और रत्गनाढ़ गांव के बीच निश्छल बहती बनास नदी पर अंग्रेजों के जमाने के बने पुल के कुछ अवशेष अब भी अपने जमाने की याद ताजा करा रहे हैं. पुल पर पड़े बिजली के पोल पर ही चल कर यहां के लोग इस नदी को पार करते हैं. लेकिन आज तक यहां जनप्रतिनिधि जनता को सिवाय आश्वासन के और कुछ ना दे सके. भोजपुर जिले में साग सब्जी उपजाने के लिए मशहूर गांव आज भी अपनी दुर्दशा की कहानी बयां कर रहा है.

जानकारी देते स्थानीय लोग

ग्रामीणों को है बड़ी समस्याएं
इस गांव के लोग बताते हैं कि आज पुल के नहीं होने से ग्रामीणों को बड़ी समस्याएं झेलनी पड़ती है. उन्होंने बताया कि इस पुल के नहीं बनने से सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को हो रहा है. दरअसल रत्नाढ़ गांव के किसान अपनी सब्जी बेचने गड़हनी बाजार में जाते हैं. लेकिन पूल के नहीं होने की वजह इन्हें अपनी सब्जी मंडी तक ले जाने के लिए तीन किलोमीटर की दूरी को 5 किलोमीटर में तय करना पड़ता है.

river
स्थानीय नदी, बनास

वर्षों से हो रही है मांग
इस नदी पर पूल की मांग यहां के लोगों के द्वारा लगातार होती रही है. लेकिन इसके बावजूद जनप्रतिनिधियों और नेताओं का ध्यान इस पर नहीं है. इस पुल के बनने से रत्नाढ़, पडडिया, काउप, मथुरापुर, सोहरी, सुअरी सहित दर्जनों के गांवों की दूरी आधी हो जाएगी. लोगों का कहना है कि नेता यहां वोट मागने तो आते हैं और आश्वासन देकर चले जाते हैं. लोकिन पुल का निर्माण आज तक नहीं हो सका.

Intro:आजादी के 72 साल गुजरने के बाद भी अगर स्थिति में सुधार न हो तो क्या उसे भी विकास ही कहेंगे,अगर कहेंगे तो यह विकास नजर आता है भोजपुर जिला के गड़हनी थाना क्षेत्र के रत्नाढ़ गांव में एक नदी की जहां वर्षों बरस गुजर जाने के बाद भी आज तक पूल के नाम पर बिजली का एक पोल ही अपनी जिम्मेवारी निभा रहा है।दरअसल यह दृश्य नजर आता है पडडिया और रतनाढ गांव के बीच निश्छल बहती बनास नदी की जहां अंग्रेजों के जमाने निर्मित पूल के कुछ अवशेष अब भी अपने जमाने की याद ताजा कर रहे है लेकिन आज के जनप्रतिनिधि जनता जनार्दन की इस गम्भीर समस्या को लेकर कितने गम्भीर हैं यह समझा जा सकता है।




Body:भोजपुर जिले में साग सब्जी उपजाने में मशहूर गांव आज भी अपनी दुर्दशा की कहानी बयां कर रही है।इस गांव के लोग बताते हैं कि आज पूल के नही होने से ग्रामीणों को कितनी समस्याओं को झेलना पडता है। उन्होंने बताया कि इस पुल के नही बनने से सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को हो रही है।दरअसल रत्नाढ़ गांव के किसान अपना सब्जी गड़हनी बाजार में ले जाते हैं लेकिन स्थिति यह है कि पूल के नही होने की वजह इन्हें अपनी सब्जी मंडी तक ले जाने में तीन किलोमीटर की दूरी को 5 किलोमीटर में तय करने को विवश हैं।
वर्षों से हो रही है माँग- इस नदी पर पूल की मांग यहां के लोगों के द्वारा लगातार होती रही है लेकिन बावजूद इसके जनप्रतिनिधियों और नेताओं का ध्यान इस पर नही है।
इतने गांव हैं प्रभावित- इस पुल के नही बनने से रत्नाढ, पडडिया,काउप, मथुरापुर,सोहरी,सुअरी सहित दर्जनों के गांवों की दूरी आधी हो जाएगी।


Conclusion:जहां एक ओर सरकार अपने विकास और उपलब्धियों के दावे का दिखावा करने में कोई कसर नही छोड़ रही है वहीं दूसरी ओर वर्षों से बहुप्रतीक्षित पूल की मांग अब तक अधर में लटकी हुई है। अब यह समझना होगा कि सरकार के विकास की नाव यहां तक क्यों नही आई।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.