भोजपुर: सबसे बड़े त्यौहार दुर्गा पूजा पर भी कोरोना की काली छाया गहराने लगी है. मूर्तिकारों और कलाकारों पर वैश्विक महामारी कोरोना की दोहरी मार पड़ी है. मूर्तिकारों के सामने भरण-पोषण का संकट भी आ गया है. कोरोना वायरस ने जीवन से सब कुछ छीन लिया है. ऐसे में इन मूर्तिकार की व्यथा और गहरी होती जा रही है. इन दिनों मूर्तिकार मूर्तियां गढ़ने के बजाय हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं.
मजदूरी कर परिवार का पेट पाल रहे मूर्तिकार
इलाके के चर्चित मूर्तिकार गणेश मिस्त्री व विनोद मिस्त्री को हर एक साल 8 से 10 जगह पर पूजा समितियां मूर्ति बनाने का ऑर्डर मिल जाता था. अनंत चतुर्दशी के पहले से मूर्ति बनाने का दौर शुरू होता था. दुर्गा पूजा के दौरान होने वाली कमाई से ही पूरे साल उनकी रोजी-रोटी चलती थी. लेकिन इस बार मूर्तिकला पर कोरोना का ग्रहण लग गया है. मूर्ति कलाकार कहते हैं कि दूसरी जगह मजदूरी कर परिवार का पेट पाल रहे हैं.
मूर्तिकारों को ले कर सरकार चुप
मूर्ति कलाकारों को लेकर सरकार उदासीन है. सरकार विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए प्रयास कर रही है. आर्थिक मदद भी उपलब्ध कराई जा रही है. लेकिन, देवी देवताओं की प्रतिमा बनाकर जीवन यापन करने वाले इन कलाकारों के लिए सरकार के पास ना तो कोई पैकेज है, ना ही मदद के लिए कोई हाथ आगे बढ़ा रहा है.
गाइडलाइन तय करे सरकार
आरा के पूजा समितियों की जिला प्रशासन से मांग है कि आने वाले समय में जल्द से जल्द गाइडलाइन तय करें. मूर्तिकारों के लिए छोटे-मोटे कारोबारियों के जो दुकाने लगाए जाते हैं उनके लिए कोई रास्ता निकाल ले. ऐसा नहीं होने पर पूजा समिति, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल खुद से कोई कदम उठाएगा. इन मूर्तिकारों के लिए दुर्गा पूजा की स्थापना भी करेगा.