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भोजपुर: जल्द शुरू होगा बंद पड़े कुंओं का जीर्णोद्धार कार्य, तैयारी पूरी

भोजपुर में बंद पड़े कुंओं का जल्द ही जीर्णोद्धार कार्य शुरू किया जाएगा. इसको कोइलवर के नगर पंचायत अभियंता ने कहा कि सरकार के आदेशानुसार पानी के परंपरागत स्रोतों का जीर्णोद्धार शुरू किया जा रहा है.

परंपरागत जल स्रोत
परंपरागत जल स्रोत
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Published : Mar 8, 2020, 6:28 PM IST

भोजपुर: जिले में बंद पड़े कुएं का जल्द ही जीणोद्धार किया जाएगा. इसको लेकर नगर पंचायत कोइलवर के कनीय अभियंता ने कहा कि सरकार जल स्त्रोतों को पुनर्वजीवित करने के लिए जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत निर्देश जारी कर चुकी है. मार्च के अंत तक कुंओं के जीर्णोद्धार का कार्य शुरू कर दिया जाएगा.

'गर्मी में लोगों के समाने आता है जलसंकट'
बंद पड़े कुंओं को लेकर स्थानीय लोगों ने कहा कि गर्मी के मौसम में हर साल पेयजल की समस्या सामने आती है. भू-जल के स्तर को बनाए रखने में कुंओं का काफी अहम स्थान था. जब तक कुंओं का अस्तित्व बरकरार रहा, तब तक भू-जल स्तर नियंत्रण में रहा. लेकिन कुंओं का वजूद खत्म होने के बाद पेयजल की समस्या सामने आने लगी.

गौरतलब है कि प्रदेश की सरकार जल-जीवन-हरियाली योजना के तहत सभी जल स्रोतों का जीर्णोद्धार करा रही है. जल-जीवन-हरियाली सीएम नीतीश कुमार की एक महात्वाकांक्षी योजना है. इस योजना के तहत सीएम ने खुद से पूरे प्रदेश का भ्रमण किया था.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

3 साल तक चलेगा जल-जीवन हरियाली अभियान
इस अभियान के पीछे नीतीश कुमार का तर्क है कि इस साल असमय राज्य के 280 प्रखंड सूखे से प्रभावित हुए. इसलिए अगर पर्यावरण के संतुलन के बारे में तत्काल कोई कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले दिनों में पूरे सूबे में भयानक जल संकट आ सकता है. तीन साल तक चलने वाले इस अभियान पर 24 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. इसके अंतर्गत कई करोड़ पौधों का रोपण और पानी के परंपरागत स्रोत जैसे तालाब, पोखर, कुओं का जीर्णोद्धार किया जाएगा.

भोजपुर: जिले में बंद पड़े कुएं का जल्द ही जीणोद्धार किया जाएगा. इसको लेकर नगर पंचायत कोइलवर के कनीय अभियंता ने कहा कि सरकार जल स्त्रोतों को पुनर्वजीवित करने के लिए जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत निर्देश जारी कर चुकी है. मार्च के अंत तक कुंओं के जीर्णोद्धार का कार्य शुरू कर दिया जाएगा.

'गर्मी में लोगों के समाने आता है जलसंकट'
बंद पड़े कुंओं को लेकर स्थानीय लोगों ने कहा कि गर्मी के मौसम में हर साल पेयजल की समस्या सामने आती है. भू-जल के स्तर को बनाए रखने में कुंओं का काफी अहम स्थान था. जब तक कुंओं का अस्तित्व बरकरार रहा, तब तक भू-जल स्तर नियंत्रण में रहा. लेकिन कुंओं का वजूद खत्म होने के बाद पेयजल की समस्या सामने आने लगी.

गौरतलब है कि प्रदेश की सरकार जल-जीवन-हरियाली योजना के तहत सभी जल स्रोतों का जीर्णोद्धार करा रही है. जल-जीवन-हरियाली सीएम नीतीश कुमार की एक महात्वाकांक्षी योजना है. इस योजना के तहत सीएम ने खुद से पूरे प्रदेश का भ्रमण किया था.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

3 साल तक चलेगा जल-जीवन हरियाली अभियान
इस अभियान के पीछे नीतीश कुमार का तर्क है कि इस साल असमय राज्य के 280 प्रखंड सूखे से प्रभावित हुए. इसलिए अगर पर्यावरण के संतुलन के बारे में तत्काल कोई कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले दिनों में पूरे सूबे में भयानक जल संकट आ सकता है. तीन साल तक चलने वाले इस अभियान पर 24 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. इसके अंतर्गत कई करोड़ पौधों का रोपण और पानी के परंपरागत स्रोत जैसे तालाब, पोखर, कुओं का जीर्णोद्धार किया जाएगा.

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