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भोजपुर: मानसिक आरोग्यशाला में मरीजों को नहीं मिल रही एंट्री, घंटों करना पड़ता है इंतजार - मानसिक आरोग्यशाला न्यूज

कोरोना वायरस की वजह से भोजपुर में मानसिक आरोग्यशाला में मरीजों को एंट्री नहीं मिल रही है. रोगी को अस्पताल के बाहर घंटों खड़ा रहना पड़ रहा है.

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मानसिक आरोग्यशाला
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Published : Nov 7, 2020, 5:52 PM IST

भोजपुर: कोरोना महामारी का भय भले ही लोगों की जहन से निकल गया हो. लेकिन बिहार के इकलौते मानसिक आरोग्यशाला कोइलवर में अभी भी चिकित्सक कोरोना को लेकर सतर्क हैं. यहां इलाज कराने आए लोगों को मेन गेट से अंदर जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है. ताकि वो ओपीडी में जाकर डॉक्टर से मिलकर अपनी परेशानियां बता सकें.

घंटों करना पड़ता है इंतजार
इलाज कराने आए मरीज के परिजनों ने बताया कि अस्पताल में प्रवेश नहीं मिल रहा है. रोगी को अस्पताल के बाहर घंटों खड़ा रहना पड़ रहा है. अपनी बारी आने के बाद कागज पर समस्या लेकर अस्पताल के गार्ड को देना होता है. गार्ड कागज लेकर डॉक्टर को देता है. कागज पर लिखी समस्या के आधार पर डॉक्टर दवा लिखते हैं.

सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां
लोगों ने कहा कि बिहार में कोरोना काल में चुनाव हो रहा है. जिसमें भारी संख्या में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ रही है. ऐसे में जब कोरोना का संक्रमण नहीं बढ़ रहा तो बारी-बारी अंदर जाकर इलाज करवाने से कोरोना का संक्रमण इन डॉक्टरों को कैसे होगा.

क्या कहते हैं डॉक्टर?
इस मामले में जब डॉक्टर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अस्पताल के निदेशक के आदेश के कारण कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए मरीज की समस्या को कागज पर लिखवा कर उसी आधार पर हम दवा लिख रहे हैं. बता दें बिहार का इकलौता मानसिक आरोग्यशाला होने के कारण यहां रोजाना मरीजों की भीड़ लगी रहती है.

भोजपुर: कोरोना महामारी का भय भले ही लोगों की जहन से निकल गया हो. लेकिन बिहार के इकलौते मानसिक आरोग्यशाला कोइलवर में अभी भी चिकित्सक कोरोना को लेकर सतर्क हैं. यहां इलाज कराने आए लोगों को मेन गेट से अंदर जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है. ताकि वो ओपीडी में जाकर डॉक्टर से मिलकर अपनी परेशानियां बता सकें.

घंटों करना पड़ता है इंतजार
इलाज कराने आए मरीज के परिजनों ने बताया कि अस्पताल में प्रवेश नहीं मिल रहा है. रोगी को अस्पताल के बाहर घंटों खड़ा रहना पड़ रहा है. अपनी बारी आने के बाद कागज पर समस्या लेकर अस्पताल के गार्ड को देना होता है. गार्ड कागज लेकर डॉक्टर को देता है. कागज पर लिखी समस्या के आधार पर डॉक्टर दवा लिखते हैं.

सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां
लोगों ने कहा कि बिहार में कोरोना काल में चुनाव हो रहा है. जिसमें भारी संख्या में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ रही है. ऐसे में जब कोरोना का संक्रमण नहीं बढ़ रहा तो बारी-बारी अंदर जाकर इलाज करवाने से कोरोना का संक्रमण इन डॉक्टरों को कैसे होगा.

क्या कहते हैं डॉक्टर?
इस मामले में जब डॉक्टर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अस्पताल के निदेशक के आदेश के कारण कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए मरीज की समस्या को कागज पर लिखवा कर उसी आधार पर हम दवा लिख रहे हैं. बता दें बिहार का इकलौता मानसिक आरोग्यशाला होने के कारण यहां रोजाना मरीजों की भीड़ लगी रहती है.

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