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आरा: NAAC से मिला है इस कॉलेज को B ग्रेड, यहां 353 छात्राओं पर महज 1 शिक्षक - UGC Guideline

NAAC से मान्यता प्राप्त महंत महादेवानंद महिला कॉलेज आरा में छात्राओं और शिक्षकों का अनुपात चिंताजनक है. यहां 1 शिक्षक पर 353 छात्राओं की जिम्मेदारी है. नैक (NAAC) की ओर से इस कॉलेज को बी ग्रेड का दर्जा दिया गया है.

महंत महादेवानंद महिला कॉलेज
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Published : Aug 1, 2019, 10:10 PM IST

आरा: भोजपुर स्थित महंत महादेवानंद महिला कॉलेज बदहाली का शिकार है. 1959 से अब तक का शानदार इतिहास वाले इस कॉलेज में शिक्षकों का घोर अभाव है. यहां कुल 6000 छात्राएं है और उनके लिए प्राचार्य सहित महज 17 शिक्षिकाएं कार्यरत है. हैरानी की बात तो यह है कि नैक (NAAC) की ओर से इस कॉलेज को बी ग्रेड का दर्जा दिया गया है.

1 शिक्षक पर 353 छात्राओं की जिम्मेदारी
कॉलेज में वोकेशनल कोर्स सहित कुल 16 विभाग हैं जिसमें हिंदी, संस्कृत, उर्दू, राजनीति शास्त्र और इतिहास जैसे विषय के शिक्षकों के पद एक जमाने से खाली है. वही अर्थशास्त्र, दर्शनशास्त्र, भौतिकी विज्ञान, रसायन विज्ञान, वनस्पति विज्ञान और जंतु विज्ञान में सिर्फ एक-एक शिक्षक, गृह विज्ञान में चार, मनोविज्ञान में चार और अंग्रेजी में मात्र 2 शिक्षक हैं. छात्राओं और शिक्षकों के अनुपात की बात करें तो 1 शिक्षक पर 353 छात्राओं की जिम्मेदारी है.

गेस्ट टीचर्स को बुलाकर कोर्स पूरा कराए जाने की कोशिश
छात्राओं का कहना है कि शिक्षकों की कमी की भरपाई करने के लिए इस महिला कॉलेज में समय समय पर गेस्ट टीचर्स को बुलाकर कोर्स पूरा कराए जाने की कोशिश की जाती है. इसके बावजूद बड़ी संख्या में बच्चे शिक्षक की कमी से दो-चार होते रहते है.

आरा महिला कॉलेज में छात्राओं और शिक्षकों का अनुपात चिंताजनक

शिक्षकों की कमी से पूरी व्यवस्था पर सवाल
बता दें कि विभिन्न कॉलेजों में शिक्षा स्तर को बेहतर करने के लिए यूजीसी ने अपने गाइडलाइन के मुताबिक अधिसूचना जारी की है. इस अधिसूचना के मुताबिक किसी शिक्षण संस्थान को प्रतिष्ठित संस्थान घोषित करने के लिए एक शिक्षक पर 20 छात्र और 5 साल में 10 छात्रों पर एक शिक्षक होना जरूरी है. उसके बाबजूद भोजपुर का एकमात्र महिला कॉलेजों में शिक्षकों की कमी पूरी व्यवस्था पर सवाल उठा रही है.

क्या है नैक (NAAC) ग्रेडिंग सिस्टम
नैक (NAAC) 7 ग्रेडिंग पाइंट में उच्च शिक्षण संस्थाओं का मूल्यांकन करती है. वहीं यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को अधिकतम ग्रेडिंग ए प्लस-प्लस में दी जाती है. अपने कैंपस में सुविधा व संसाधनों का के आधार पर ग्रेडिंग दी जाती है. जिस यूनिवर्सिटी या कॉलेज की ग्रेडिंग सी से कम होती है उसे नैक ग्रेडिंग जारी नहीं करता है और उसे UGC से अनुदान नहीं मिलता

आरा: भोजपुर स्थित महंत महादेवानंद महिला कॉलेज बदहाली का शिकार है. 1959 से अब तक का शानदार इतिहास वाले इस कॉलेज में शिक्षकों का घोर अभाव है. यहां कुल 6000 छात्राएं है और उनके लिए प्राचार्य सहित महज 17 शिक्षिकाएं कार्यरत है. हैरानी की बात तो यह है कि नैक (NAAC) की ओर से इस कॉलेज को बी ग्रेड का दर्जा दिया गया है.

1 शिक्षक पर 353 छात्राओं की जिम्मेदारी
कॉलेज में वोकेशनल कोर्स सहित कुल 16 विभाग हैं जिसमें हिंदी, संस्कृत, उर्दू, राजनीति शास्त्र और इतिहास जैसे विषय के शिक्षकों के पद एक जमाने से खाली है. वही अर्थशास्त्र, दर्शनशास्त्र, भौतिकी विज्ञान, रसायन विज्ञान, वनस्पति विज्ञान और जंतु विज्ञान में सिर्फ एक-एक शिक्षक, गृह विज्ञान में चार, मनोविज्ञान में चार और अंग्रेजी में मात्र 2 शिक्षक हैं. छात्राओं और शिक्षकों के अनुपात की बात करें तो 1 शिक्षक पर 353 छात्राओं की जिम्मेदारी है.

गेस्ट टीचर्स को बुलाकर कोर्स पूरा कराए जाने की कोशिश
छात्राओं का कहना है कि शिक्षकों की कमी की भरपाई करने के लिए इस महिला कॉलेज में समय समय पर गेस्ट टीचर्स को बुलाकर कोर्स पूरा कराए जाने की कोशिश की जाती है. इसके बावजूद बड़ी संख्या में बच्चे शिक्षक की कमी से दो-चार होते रहते है.

आरा महिला कॉलेज में छात्राओं और शिक्षकों का अनुपात चिंताजनक

शिक्षकों की कमी से पूरी व्यवस्था पर सवाल
बता दें कि विभिन्न कॉलेजों में शिक्षा स्तर को बेहतर करने के लिए यूजीसी ने अपने गाइडलाइन के मुताबिक अधिसूचना जारी की है. इस अधिसूचना के मुताबिक किसी शिक्षण संस्थान को प्रतिष्ठित संस्थान घोषित करने के लिए एक शिक्षक पर 20 छात्र और 5 साल में 10 छात्रों पर एक शिक्षक होना जरूरी है. उसके बाबजूद भोजपुर का एकमात्र महिला कॉलेजों में शिक्षकों की कमी पूरी व्यवस्था पर सवाल उठा रही है.

क्या है नैक (NAAC) ग्रेडिंग सिस्टम
नैक (NAAC) 7 ग्रेडिंग पाइंट में उच्च शिक्षण संस्थाओं का मूल्यांकन करती है. वहीं यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को अधिकतम ग्रेडिंग ए प्लस-प्लस में दी जाती है. अपने कैंपस में सुविधा व संसाधनों का के आधार पर ग्रेडिंग दी जाती है. जिस यूनिवर्सिटी या कॉलेज की ग्रेडिंग सी से कम होती है उसे नैक ग्रेडिंग जारी नहीं करता है और उसे UGC से अनुदान नहीं मिलता

Intro:महाविद्यालय में शिक्षा स्तर को बेहतर करने के लिए यूजीसी ने अपने गाइडलाइन के मुताबिक अधिसूचना जारी किया कि किसी शिक्षण संस्थान को प्रतिष्ठित संस्थान घोषित करने के लिए एक शिक्षक पर 20 छात्र और 5 साल में 10 छात्रों पर एक शिक्षक होना जरूरी है लेकिन स्थिति में सुधार कैसे हो जब पढ़ाने के लिए महाविद्यालयों में शिक्षक ही ना हो। इस स्थिति में महाविद्यालय के छात्र महाविद्यालय परिसर में खुद को एकलव्य मानकर स्वाध्याय करने को विवश हैं।


Body:दरअसल भोजपुर के सभी महाविद्यालयों की स्थिति कमोबेश एक जैसी ही है जहां कहने के लिए तो बड़े बड़े नामो वाले महाविद्यालय हैं, छात्र हैं लेकिन शिक्षक नहीं है ऐसे में बिना गुरु के ज्ञान कैसे मिले यह सुशासन के सिस्टम के सामने एक बड़ा सवाल है जिसका जवाब शायद किसी के पास नहीं है।

बाइट-अनामिका,छात्रा महिला कॉलेज
शिक्षकों की कमी का दंश कमोबेश जिले के सभी महाविद्यालय झेल रहे हैं लेकिन सबसे दयनीय स्थिति भोजपुर के इकलौते महंत महादेवानंद महिला महाविद्यालय की है जिसका 1959 से अब तक का शानदार इतिहास रहा है। यहां से पढ़े कई छात्राओं ने सफलता के कई आयामों को छुआ है मगर आज मौजूदा स्थिति की बदहाली ने इसकी पूरी तस्वीर ही बदल दी है ।
भोजपुर के एकलौते महिला महाविद्यालय की विडंबना देखिए कि वर्तमान में यहां पर प्राचार्य सहित मात्र 17 शिक्षिकाएं कार्यरत हैं जिन पर अंतर स्नातक से लेकर स्नातकोत्तर तक के लगभग 6000 छात्राओं को पढ़ाने की जिम्मेदारी है यानी एक शिक्षक पर 353 छात्राएं ।ऐसे में यह सवाल करना गलत नहीं होगा कि नेट द्वारा बी ग्रेड मिलने के बाद भी इस महाविद्यालय की स्थिति ऐसी क्यों है और इसके इस बदहाली के लिए जिम्मेदार कौन है ।
बाइट-डॉ लतिका वर्मा,विभागाध्यक्ष मनोविज्ञान


Conclusion:इस महाविद्यालय में वोकेशनल सहित कुल 16 विभाग हैं जिसमें हिंदी, संस्कृत, उर्दू, राजनीति शास्त्र और इतिहास जैसे विषय के शिक्षकों के पद एक जमाने से रिक्त हैं वही अर्थशास्त्र, दर्शनशास्त्र, भौतिकी विज्ञान, रसायन विज्ञान, वनस्पति विज्ञान और जंतु विज्ञान में सिर्फ एक-एक शिक्षक जबकि गृह विज्ञान में चार, मनोविज्ञान में चार और अंग्रेजी में मात्र 2 शिक्षक हैं। हालांकि शिक्षकों के कमी की भरपाई करने के लिए महिला महाविद्यालय में अतिथि शिक्षकों को बुलाकर पठन-पाठन का कार्य कराया जाता है लेकिन अधिकांश बच्चे शिक्षक की बदौलत नहीं बल्कि जसपाल, टारगेट और ए वन जैसे कामचलाऊऔर बाजारू गेस पेपर के सहारे अपनी नैया पार करने की कोशिश करते हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि यह सिस्टम लगातार युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने में कोई कसर छोड़ने को तैयार नहीं है।
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