आरा: डॉक्टर और विशेषज्ञ देश में कोरोना महामारी (Corona Pandemic) की तीसरी लहर आने की चेतावनी दे रहे हैं. इसके लिए पहले से तैयारी करने की अपील कर रहे हैं. सरकार भी तीसरी लहर से पहले राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था ठीक करने का दावा कर रही है, लेकिन बिहार के सरकारी अस्पतालों की स्थिति सरकारी दावों से विपरीत है.
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय (Mangal Pandey) भोजपुर जिले के प्रभारी हैं. इस जिले के सरकारी अस्पतालों की बदहाली का अंदाजा अगिआंव प्रखंड के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को देखकर लगाया जा सकता है. यहां जगह की कमी के चलते लाखों रुपये की दवाई खुले में रखे-रखे बर्बाद हो रही है. बारिश के मौसम में भी दवाओं को खुले में रखा गया है. अस्पताल कैंपस के बरामदे में पड़ी इन दवाइयों में कई गंभीर बीमारियों से लड़ने वाली दवा, इंजेक्शन और विटामिन की गोलियां भी शामिल हैं.
ये दवाएं जरूरतमंद मरीजों के लिए अक्सर संजीवनी साबित होती हैं, लेकिन इन्हें सुरक्षित रूप से रखने के लिए अस्पताल प्रबंधन के पास कमरे नहीं हैं. अगिआंव प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्सा प्रभारी डॉ पीएल चौधरी ने बाहर रखी दवाइयों के अभी तक खराब नहीं होने का दावा किया. बरसात के दिनों में दवाइयों को बरामदे में रखने संबंधी प्रश्न पर उन्होंने अस्पताल में जगह नहीं होने का रोना रोया. उन्होंने कहा, 'दवा रखने के लिए बना स्टोर रूम छोटा है. इस संबंध में मैंने कई बार विभाग और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को सूचना दी, लेकिन समस्या का हल नहीं हुआ.'
"स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही के चलते यहां दवाएं खराब हो रहीं हैं. मरीजों के बीच दवा नहीं बांटा जाता है. सरकार से मेरी मांग है कि यहां रोगी कल्याण समिति का गठन किया जाए. अस्पताल के ऐसे कर्मी जो अपनी जिम्मेदारी सही तरीके से नहीं निभा रहे हैं उन्हें चिह्नित कर तत्काल हटाया जाए."- अमरदीप कुमार, स्थानीय ग्रामीण
"अगिआंव प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सिर्फ सरकार की फाइलों में चल रहा है. यहां मरीजों का इलाज नहीं होता. जरूरतमंद मरीजों को दवा भी नहीं मिलती. स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्सा प्रभारी का भी इसपर ध्यान नहीं है."- कृष्णकांत राय, स्थानीय ग्रामीण
बता दें कि बिहार सरकार दावा कर रही है कि कोरोना की तीसरी लहर के लिए तैयारी कर ली गई है. राजधानी पटना से लेकर जिलों तक सरकारी अस्पताल की स्थिति में सुधार हुआ है. आईसीयू और ऑक्सीजन बेड की संख्या बढ़ाई गई है. अन्य जरूरी संसाधन भी मुहैया कराए गए हैं. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई थी. इलाज के लिए मरीजों को बेड नहीं मिल रहा था. विपक्ष ने सरकार से सवाल पूछा था कि कोरोना की पहली लहर के बाद स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के लिए क्या कदम उठाए गए.
कोरोना की दूसरी लहर शांत हुई है. इसके साथ ही तीसरी लहर आने की आशंका भी जताई जा रही है. दूसरी लहर में कोरोना का संक्रमण जिस तरह गांव-गांव में फैला उसे देखते हुए तीसरी लहर के लिए ग्रामीण स्तर तक इलाज की पूरी व्यवस्था जरूरी हो गई है. सभी जिलों में सदर अस्पताल से लेकर पीएचसी और रेफरल अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ाने का दावा सरकार कर रही है, लेकिन सरकार की तैयारी कैसी है इसकी बानगी भोजपुर जिले के अगिआंव प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में दिख रही है.
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