भोजपुर: अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में शहीद हुए कपिल देव राम की शहादत को आज बिहार सरकार के साथ-साथ भोजपुर के जिला प्रशासन ने भी भुला दिया है. 14 साल की उम्र में अंग्रेजों को छठी का दूध याद दिलाने वाले शहीद कपिलदेव राम आज गुमनाम से हो गए हैं.
बता दें कि जिले के कोईलवर में आरा-पटना राष्ट्रीय राजमार्ग पर शहीद कपिलदेव राम की प्रतिमा लगी है, साथ ही कोइलवर प्रखंड कार्यालय स्थित गेट के सामने बने स्मारक शिलापट पर भी शहीद कपिलदेव का नाम अंकित है, लेकिन प्रखंड के पदाधिकारी व जिले के जनप्रतिनिधियों को यह तक नहीं पता है कि शहीद कपिलदेव राम समेत अन्य स्वतंत्रा सेनानियों ने भी देश के लिए अपनी शहादत दी थी.
शहीद को नहीं मिल रहा सम्मान
शहीद कपिलदेव राम के भांजे शिवचरण पासवान ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि आज की पीढ़ी आजादी के मतवालों को भूल गयी हैं, उन्होंने कहा कि उन्होंने 16 साल की उम्र में अंग्रेजों को दांतों तले उंगली चबाने को मजबूर कर दिया था, लेकिन उनकी शहादत के दशकों बीत जाने के बाद भी सरकार की उदासीनता के कारण उन्हें वो सम्मान नहीं मिल सका जिसके वे असली हकदार थे.
परिजनों ने बतायी शहीद की शहादत की कहानी
उन्होंने कहा कि जिन्होंने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाते हुए उस समय के अंग्रेजों की लाइफ लाइन हावड़ा-दिल्ली रेल लाइन को उखाड़ रहे थे, तभी अंग्रेज आ धमके और कपिल देव राम पर गोली चला दी, जिसमें कपिल देव राम गंभीर रूप से घायल हो गए. जैसे ही इसकी सूचना कपिल देव की मां बेलसरिया देवी व पिता बसंत दुसाध को मिली तो वे उनके पास पहुंच गए.
शहीद के परिजनों ने की सरकार से मांग
शिवचरण पासवान ने बताया कि कपिलदेव राम ने अपनी मां से कहा कि गोली आपके एक बेटे के सीने पर लगी है लेकिन देश के सारे नौजवान तो तुम्हारे बेटे ही हैं और यह कहते ही कपिल देव ने हमेशा के लिए इस धरती से विदा ले लिया. शहीद के परिजनों ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि अगर सरकार सही में उन्हें कोई सम्मान देना चाहती है, तो सोन नदी पर बन रहे नए सिक्स लेन पुल का नामकरण शहीद के नाम पर किया जाए.