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भोजपुर में अवैध खननः कब रुकेगा सोन में सुनहरे बालू का 'काला कारोबार'?

कोइलवर सोन नदी से निकलने वाला बालू सोन, गंगा, सरयू और गंडक के रास्ते नाव से पूर्वांचल, उत्तर बिहार और नेपाल के तराई इलाके तक जाता है. मालूम हो कि एक नाव की क्षमता 3 ट्रकों के बराबर बालू लादने की होती है. यहां प्रतिदिन 1500 से 2000 नाव बालू का खनन होता है.

भोजपुर
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Published : Nov 20, 2019, 10:49 AM IST

भोजपुरः जिले में इन दिनों सुनहरे बालू का काला खेल धड़ल्ले से चल रहा है, जिससे सरकार को भी करोड़ों के राजस्व का चूना लग रहा है. कोइलवर के सोन नदी से रोजाना हजारों नाव अवैध बालू का उत्खनन हो रहा है और उसे बेचा जा रहा है. लेकिन इसकी सुध न तो जिला प्रशासन को है और न ही सरकार को.

बेखौफ हैं बालू माफिया
सोन नदी में अब्दुलबारी पुल से होकर रोजाना दर्जनों नेता, मंत्री और अधिकारियों की गाड़ी गुजरती है. फिर भी किसी की नजर इस अवैध धंधे पर नहीं जाती. ये गोरखधंधा बेरोक-टोक जारी है. पहले तो ये सबकुछ रात के अंधेरे में होता था लेकिन अब बालू माफिया इतने बेखौफ हो गए हैं कि दिन के उजाले में ही अवैध खनन करने लगे हैं. यहां छपरा और डोरीगंज से भारी मात्रा में नाव आती है और जिला प्रशासन के नाक के नीचे बेतरतीब ढंग से बालू का उत्खनन होता है.

भोजपुर
सोन नदी पर निर्माणाधीन पुल

पुलों के अस्तित्व पर खतरा
बता दें कि कोइलवर अब्दुल बारी पुल से 1 हजार फीट उत्तर और 2 हजार फीट दक्षिण बालू उत्खनन पर रोक है. बावजूद इसके यहां अवैध खनन जारी है. सोन नदीं में निर्माणाधीन फॉर लेन पुल के नीचे से भी माफिया बालू निकाला जा रहा है. जिससे इन पुलों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है.

ये भी पढ़ेंः गया: बागेबार गांव में डायरिया से 50 लोग पीड़ित, झोलाछाप डॉक्टर के भरोसे मरीज

हो सकता है बड़ा हादसा
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस अवैध खनन में जिला प्रशासन और स्थानीय पुलिस की मिली भगत है. मीडिया में खबर आती है तो प्रशासन मजबूरन दो-चार नावों पर पकड़ने का दिखावा करता है. कुछ दिन के बाद फिर खनन चालू हो जाता है. लोगों ने बताया कि इसी तरह खनन चलता रहा तो यहां नदी पर बने पुल के पिलर की नीव खोखली हो जाएगी और कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

भोजपुर
रोजाना होता है हजारों नाव बालू का अवैध खनन

भारी मात्रा में अवैध खनन
कोइलवर सोन नदी से निकलने वाला बालू सोन, गंगा, सरयू और गंडक के रास्ते नाव से पूर्वांचल, उत्तर बिहार और नेपाल के तराई इलाके तक जाता है. मालूम हो कि एक नाव की क्षमता 3 ट्रकों के बराबर बालू लादने की होती है. यहां प्रतिदिन 1500 से 2000 नाव बालू का खनन होता है. रोजाना लगभग 5000 ट्रक बालू दूसरे प्रांतों में भेजे जाते हैं.

भोजपुर मे अवैध खनन

बोलने को तैयार नहीं अधिकारी
वहीं, जब इस संबंध में जिला सहायक खनन अधिकारी प्रमोद कुमार से बात करने की कोशिश की गई तो वो ऑन कैमरा कुछ भी कहने से इंकार करते रहे. उनकी मानें तो जिले में कहीं भी अवैध खनन नहीं होता है.

भोजपुरः जिले में इन दिनों सुनहरे बालू का काला खेल धड़ल्ले से चल रहा है, जिससे सरकार को भी करोड़ों के राजस्व का चूना लग रहा है. कोइलवर के सोन नदी से रोजाना हजारों नाव अवैध बालू का उत्खनन हो रहा है और उसे बेचा जा रहा है. लेकिन इसकी सुध न तो जिला प्रशासन को है और न ही सरकार को.

बेखौफ हैं बालू माफिया
सोन नदी में अब्दुलबारी पुल से होकर रोजाना दर्जनों नेता, मंत्री और अधिकारियों की गाड़ी गुजरती है. फिर भी किसी की नजर इस अवैध धंधे पर नहीं जाती. ये गोरखधंधा बेरोक-टोक जारी है. पहले तो ये सबकुछ रात के अंधेरे में होता था लेकिन अब बालू माफिया इतने बेखौफ हो गए हैं कि दिन के उजाले में ही अवैध खनन करने लगे हैं. यहां छपरा और डोरीगंज से भारी मात्रा में नाव आती है और जिला प्रशासन के नाक के नीचे बेतरतीब ढंग से बालू का उत्खनन होता है.

भोजपुर
सोन नदी पर निर्माणाधीन पुल

पुलों के अस्तित्व पर खतरा
बता दें कि कोइलवर अब्दुल बारी पुल से 1 हजार फीट उत्तर और 2 हजार फीट दक्षिण बालू उत्खनन पर रोक है. बावजूद इसके यहां अवैध खनन जारी है. सोन नदीं में निर्माणाधीन फॉर लेन पुल के नीचे से भी माफिया बालू निकाला जा रहा है. जिससे इन पुलों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है.

ये भी पढ़ेंः गया: बागेबार गांव में डायरिया से 50 लोग पीड़ित, झोलाछाप डॉक्टर के भरोसे मरीज

हो सकता है बड़ा हादसा
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस अवैध खनन में जिला प्रशासन और स्थानीय पुलिस की मिली भगत है. मीडिया में खबर आती है तो प्रशासन मजबूरन दो-चार नावों पर पकड़ने का दिखावा करता है. कुछ दिन के बाद फिर खनन चालू हो जाता है. लोगों ने बताया कि इसी तरह खनन चलता रहा तो यहां नदी पर बने पुल के पिलर की नीव खोखली हो जाएगी और कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

भोजपुर
रोजाना होता है हजारों नाव बालू का अवैध खनन

भारी मात्रा में अवैध खनन
कोइलवर सोन नदी से निकलने वाला बालू सोन, गंगा, सरयू और गंडक के रास्ते नाव से पूर्वांचल, उत्तर बिहार और नेपाल के तराई इलाके तक जाता है. मालूम हो कि एक नाव की क्षमता 3 ट्रकों के बराबर बालू लादने की होती है. यहां प्रतिदिन 1500 से 2000 नाव बालू का खनन होता है. रोजाना लगभग 5000 ट्रक बालू दूसरे प्रांतों में भेजे जाते हैं.

भोजपुर मे अवैध खनन

बोलने को तैयार नहीं अधिकारी
वहीं, जब इस संबंध में जिला सहायक खनन अधिकारी प्रमोद कुमार से बात करने की कोशिश की गई तो वो ऑन कैमरा कुछ भी कहने से इंकार करते रहे. उनकी मानें तो जिले में कहीं भी अवैध खनन नहीं होता है.

Intro:कब रुकेगा सोन में सुनहरे बालू का काला खेल

भोजपुर।

ग्राउंड रिपोर्ट

भोजपुर में इन दिनों सुनहरे बालू का काला खेल से सरकार का करोड़ो का चूना लग रहा है.प्रतिदिन हजारों नावें कोइलवर के सोन नदी में अवैध रूप से बालू का उत्खनन कर रहे हैं. वही सोन नदी में अब्दुलबारी पुल से होकर रोजाना लगभग दर्जनों नेता,मंत्री,अधिकारियों का आवागमन होता है बावजूद इसके किसी की नजर सोन नदी में चल रह अवैध बालू उत्खनन पर नहीं जाती.पूर्व में रात के अंधेरे में छपरा,डोरीगंज से भारी मात्रा में नाव आकर कोइलवर सोन नदी में बेतरतीब ढंग से बालू का उत्खनन करते आ रहे थे वही अब तो बेखौफ होकर ये नाव दिन के उजाले में भी लगातार सोन में बालू उत्खनन जिला प्रशासन के नाक के नीचे कर रहे हैं और जिला प्रशासन इसपर मौन धारण किये हुए है.


Body:ज्ञात हो कि कोइलवर अब्दुल बारी पुल के 1 हजार फीट उत्तर व 2 हजार फीट दक्षिण बालू उत्खनन करना मना है.वही सोन नदी में बन रहे नए नवनिर्मित फ़ॉर लेंन पुल के नीचे भी ये बेखौफ बालू माफ़िया सोन का सीना फाड़कर दोहन करते आ रहे हैं. सोन नदी में बेतरतीब ढंग से हो रहे बालू उत्खनन से नए पुल के साथ साथ पुराने पुल के अस्तित्व भी खतरे में नजर आ रहा है.वही स्थानीय की माने तो जिस तरह से सोन नदी में बालू का उत्खनन होता आ रहा है इसमें कही न कही जिला खनन पदाधिकारी के साथ साथ स्थानीय पुलिस की मिलीभगत साफ दौर पर कहा जा सकता है लोगो ने बताया कि मीडिया जब जब बालू खनन की खबर प्रकाशित करता है तो मजबूरन अधिकारियों को कुछ नावों को पकड़ना पड़ता है और वही कुछ नाव को जप्त कर लिया जाता है तो कुछ नाव को खनन पदाधिकारी पैसे लेकर छोड़ देते हैं.ज्ञात हो कि भोजपुर के कोइलवर सोन नदी से निकलने वाले बालू सोन,गंगा, सरयू और गंडक के रास्ते पूर्वांचल उत्तर बिहार, नेपाल के तराई इलाके तक जाता है.मालूम हो कि एक नाव पर 3 ट्रकों का बालू निकाला जाता है. नाव की बात करें तो 1500 से 2000 नाव प्रतिदिन सोन नदी में उत्खनन करते हैं.वही रोजाना लगभग 5000 ट्रक सोन नदी से बालू लेकर अलग अलग प्रांतों में जाते हैं.वही जब इस संबंध में जिला सहायक खनन पदाधिकारी से बात की गई तो वो ऑन कैमरा कुछ भी कहने से इंकार कर दिया और ऑफ कैमरा उन्होंने कहा कि कोई उत्खनन नहीं हो रही है.इससे साफ तौर पर कहा जा सकता है कि जिला खनन पदाधिकारी के मिलीभगत से ये सारा खेल चल रहा है.


बाइट-स्थानीय(शेखर शर्मा)
बाइट-स्थानीय(राम देव राम)
बाइट-सहायक खनन पदाधिकारी (प्रमोद कुमार)


Conclusion:
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