भोजपुरः जिले में इन दिनों सुनहरे बालू का काला खेल धड़ल्ले से चल रहा है, जिससे सरकार को भी करोड़ों के राजस्व का चूना लग रहा है. कोइलवर के सोन नदी से रोजाना हजारों नाव अवैध बालू का उत्खनन हो रहा है और उसे बेचा जा रहा है. लेकिन इसकी सुध न तो जिला प्रशासन को है और न ही सरकार को.
बेखौफ हैं बालू माफिया
सोन नदी में अब्दुलबारी पुल से होकर रोजाना दर्जनों नेता, मंत्री और अधिकारियों की गाड़ी गुजरती है. फिर भी किसी की नजर इस अवैध धंधे पर नहीं जाती. ये गोरखधंधा बेरोक-टोक जारी है. पहले तो ये सबकुछ रात के अंधेरे में होता था लेकिन अब बालू माफिया इतने बेखौफ हो गए हैं कि दिन के उजाले में ही अवैध खनन करने लगे हैं. यहां छपरा और डोरीगंज से भारी मात्रा में नाव आती है और जिला प्रशासन के नाक के नीचे बेतरतीब ढंग से बालू का उत्खनन होता है.
पुलों के अस्तित्व पर खतरा
बता दें कि कोइलवर अब्दुल बारी पुल से 1 हजार फीट उत्तर और 2 हजार फीट दक्षिण बालू उत्खनन पर रोक है. बावजूद इसके यहां अवैध खनन जारी है. सोन नदीं में निर्माणाधीन फॉर लेन पुल के नीचे से भी माफिया बालू निकाला जा रहा है. जिससे इन पुलों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है.
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हो सकता है बड़ा हादसा
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस अवैध खनन में जिला प्रशासन और स्थानीय पुलिस की मिली भगत है. मीडिया में खबर आती है तो प्रशासन मजबूरन दो-चार नावों पर पकड़ने का दिखावा करता है. कुछ दिन के बाद फिर खनन चालू हो जाता है. लोगों ने बताया कि इसी तरह खनन चलता रहा तो यहां नदी पर बने पुल के पिलर की नीव खोखली हो जाएगी और कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.
भारी मात्रा में अवैध खनन
कोइलवर सोन नदी से निकलने वाला बालू सोन, गंगा, सरयू और गंडक के रास्ते नाव से पूर्वांचल, उत्तर बिहार और नेपाल के तराई इलाके तक जाता है. मालूम हो कि एक नाव की क्षमता 3 ट्रकों के बराबर बालू लादने की होती है. यहां प्रतिदिन 1500 से 2000 नाव बालू का खनन होता है. रोजाना लगभग 5000 ट्रक बालू दूसरे प्रांतों में भेजे जाते हैं.
बोलने को तैयार नहीं अधिकारी
वहीं, जब इस संबंध में जिला सहायक खनन अधिकारी प्रमोद कुमार से बात करने की कोशिश की गई तो वो ऑन कैमरा कुछ भी कहने से इंकार करते रहे. उनकी मानें तो जिले में कहीं भी अवैध खनन नहीं होता है.