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भोजपुर: महामारी और विश्वशांति के लिए हरिनाम कीर्तन का आयोजन

भोजपुर जिले के पचरुखिया गांव में श्री-श्री 1008 स्वामी हरिहरानंद जी महाराज के नेतृत्व में महामारी और विश्व शांति के लिए हरिनाम कीर्त्तन का आयोजन किया गया.

हरिनाम कीर्तन का किया गया आयोजन.
हरिनाम कीर्तन का किया गया आयोजन.
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Published : Jun 21, 2020, 8:56 PM IST

भोजपुर: जिले के पचरुखिया गांव में महामारी, विश्वशांति और ग्राम उन्नति के लिए हुए हरिनाम कीर्त्तन की पूर्णाहूति हुई. इस मौके पर संत मुनिश्वरानन्द जी महाराज उर्फ खपड़िया बाबा के कृपापात्र श्री-श्री 1008 स्वामी हरिहरानंद महाराज भी पहुंचे थे.

स्वामी हरिहरानंद महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि विलासितापूर्ण जीवन से जिंदगी नर्क बन गई है. लोग रोग से त्रस्त होते जा रहे हैं. ईश्वर का कोई कार्य अमंगल नहीं होता वह मंगल ही होता है. चाहे वह कोरोना जैसी महामारी ही क्यों न हो.

हरिनाम कीर्तन का किया गया आयोजन
हरिनाम कीर्त्तन का किया गया आयोजन

कई गांवों के लोगों ने लिया हिस्सा
विलिासितापूर्ण जीवन में एसी, कूलर, मोटे-मोटे गद्दा और कई अन्य तरह के शौक लोगों को बर्बाद करता जा रहा है. मनुष्य का जीवन ईश्वर को समर्पित है. हर इंसान को इसे समझना चाहिए. मांस, मंदिरा का सेवन वर्जित के साथ जीवन में कभी भी ईर्ष्या भाव न पालें.

हर घर में भगवान नाम संकीर्तन हो, आधे घंटे का हो, एक घंटे का हो, दो घंटों का हो या अपने समयानुसार हो यह जरूरी है. इससें घर में कभी भी शोक, द्धेष, ईष्या, पाप नहीं बढ़ सकता. इस अयोजन में कई गांव के लोग हिस्सा लिए थे.

भोजपुर: जिले के पचरुखिया गांव में महामारी, विश्वशांति और ग्राम उन्नति के लिए हुए हरिनाम कीर्त्तन की पूर्णाहूति हुई. इस मौके पर संत मुनिश्वरानन्द जी महाराज उर्फ खपड़िया बाबा के कृपापात्र श्री-श्री 1008 स्वामी हरिहरानंद महाराज भी पहुंचे थे.

स्वामी हरिहरानंद महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि विलासितापूर्ण जीवन से जिंदगी नर्क बन गई है. लोग रोग से त्रस्त होते जा रहे हैं. ईश्वर का कोई कार्य अमंगल नहीं होता वह मंगल ही होता है. चाहे वह कोरोना जैसी महामारी ही क्यों न हो.

हरिनाम कीर्तन का किया गया आयोजन
हरिनाम कीर्त्तन का किया गया आयोजन

कई गांवों के लोगों ने लिया हिस्सा
विलिासितापूर्ण जीवन में एसी, कूलर, मोटे-मोटे गद्दा और कई अन्य तरह के शौक लोगों को बर्बाद करता जा रहा है. मनुष्य का जीवन ईश्वर को समर्पित है. हर इंसान को इसे समझना चाहिए. मांस, मंदिरा का सेवन वर्जित के साथ जीवन में कभी भी ईर्ष्या भाव न पालें.

हर घर में भगवान नाम संकीर्तन हो, आधे घंटे का हो, एक घंटे का हो, दो घंटों का हो या अपने समयानुसार हो यह जरूरी है. इससें घर में कभी भी शोक, द्धेष, ईष्या, पाप नहीं बढ़ सकता. इस अयोजन में कई गांव के लोग हिस्सा लिए थे.

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