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भोजपुर का बेलाउर सूर्य मंदिर मनोकामना के लिए है प्रसिद्ध, छठ में यहां दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु - Sun Temple

बेलाउर स्थित सूर्य मंदिर का इतिहास प्राचीन रहा है. मौनी बाबा नाम के संत ने वर्ष 1949 में इस मंदिर की स्थापना किए थे. उसके बाद से ही यहां धूम धाम से छठ पूजा मनाने की परंपरा है.

भोजपुर
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Published : Oct 31, 2019, 7:25 AM IST

भोजपुर: दीपावली के बाद ही सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा की तैयारी शुरू हो जाती है. इसको लेकर जिले के प्रसिद्ध सूर्य मंदिर में भी तैयारी जोरों से चल रही है. यहां हर साल यहां छठ के मौके पर बिहार सहित पूरे उत्तर भारत से हजारों श्रद्धालु जुटते हैं.

जिले के उदवंतनगर प्रखंड के बेलाउर स्थित सूर्य मंदिर पूरे क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध है. यहां हर साल खूब धूम- धाम से छठ पूजा मनाई जाती है. इस साल छठ पूजा को लेकर मंदिर में तैयारियां शुरू हो गई है. इस मंदिर का इतिहास प्राचीन रहा है. मौनी बाबा नाम के संत ने वर्ष 1949 में इस मंदिर की स्थापना किए थे. उसके बाद से ही यहां धूम धाम से छठ पूजा मनाने की परंपरा है.

मंदिर के पुजारी का बयान

मनोकामना के लिए है प्रसिद्ध
बेलाउर स्थित सूर्य मंदिर में मनोकामना को लेकर श्रद्धालुओं के बीच खास तरह की मानएंताए हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि सुबह के छठ अर्घ्य के दौरान यहां मनोकामना सिक्का बांटा जाता है. मनोकामना पूरा होने पर श्रद्धालु सब उस सिक्का को छठ पूजा के दौरान ही वापस करते हैं. इसके लिए यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ होती है.

भोजपुर
बेलाउर स्थित सूर्य मंदिर

'नहाय खाय से शुरू हो जाता है यहां भीड़'
वहीं, मंदिर परिसर में छठ की तैयारी को लेकर पुजारी ने बताया कि वर्षो से यहां छठ व्रतियों की काफी भीड़ उमड़ती है. मंदिर ट्रस्ट के तरफ से यहां व्यवस्था किया जाता है. सुरक्षा को लेकर पुलिसकर्मियों की भी तैनाती होती है. नहाय खाय के दिन से ही दूर-दराज से लोग यहां पहुंचने लगते हैं. मंदिर परिसर में ही खाना बनाकर खाते हैं और पूजा अर्चना करते हैं.

भोजपुर: दीपावली के बाद ही सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा की तैयारी शुरू हो जाती है. इसको लेकर जिले के प्रसिद्ध सूर्य मंदिर में भी तैयारी जोरों से चल रही है. यहां हर साल यहां छठ के मौके पर बिहार सहित पूरे उत्तर भारत से हजारों श्रद्धालु जुटते हैं.

जिले के उदवंतनगर प्रखंड के बेलाउर स्थित सूर्य मंदिर पूरे क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध है. यहां हर साल खूब धूम- धाम से छठ पूजा मनाई जाती है. इस साल छठ पूजा को लेकर मंदिर में तैयारियां शुरू हो गई है. इस मंदिर का इतिहास प्राचीन रहा है. मौनी बाबा नाम के संत ने वर्ष 1949 में इस मंदिर की स्थापना किए थे. उसके बाद से ही यहां धूम धाम से छठ पूजा मनाने की परंपरा है.

मंदिर के पुजारी का बयान

मनोकामना के लिए है प्रसिद्ध
बेलाउर स्थित सूर्य मंदिर में मनोकामना को लेकर श्रद्धालुओं के बीच खास तरह की मानएंताए हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि सुबह के छठ अर्घ्य के दौरान यहां मनोकामना सिक्का बांटा जाता है. मनोकामना पूरा होने पर श्रद्धालु सब उस सिक्का को छठ पूजा के दौरान ही वापस करते हैं. इसके लिए यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ होती है.

भोजपुर
बेलाउर स्थित सूर्य मंदिर

'नहाय खाय से शुरू हो जाता है यहां भीड़'
वहीं, मंदिर परिसर में छठ की तैयारी को लेकर पुजारी ने बताया कि वर्षो से यहां छठ व्रतियों की काफी भीड़ उमड़ती है. मंदिर ट्रस्ट के तरफ से यहां व्यवस्था किया जाता है. सुरक्षा को लेकर पुलिसकर्मियों की भी तैनाती होती है. नहाय खाय के दिन से ही दूर-दराज से लोग यहां पहुंचने लगते हैं. मंदिर परिसर में ही खाना बनाकर खाते हैं और पूजा अर्चना करते हैं.

Intro:आस्था का प्रतीक बेलाउर का सूर्य मंदिर

भोजपुर।

लोक आस्था का महापर्व छठ की तैयारी शुरू हो गई है.भोजपुर के बेलाउर का प्रसिद्ध सूर्य मंदिर में तैयारी जोड़ो पर है.कहा जाता है ये सूर्य मंदिर आजादी से पूर्व भोजपुर के उदवंतनगर प्रखंड के बेलाउर में था आजादी के बाद वर्ष 1949 में यहां मौनी बाबा द्वारा सूर्य मंदिर का निर्माण कराया गया.जहां लोग आज बिहार के कई जिलों के साथ साथ, उत्तर प्रदेश, झारखंड से भी लोग यहां छठ का व्रत करने आते रहे हैं.


Body:वही बिहार के लोग जो विदेशो में रहते हैं वो लोग भी यहां आकर भगवान भास्कर को अर्घ्य देते हैं. मान्यता है कि यहां छठ का त्योहार करने वाले छठ व्रतियों का मनोकामनाएं पूरी होती है.वही जो लोग यहां छठ करने आते हैं उन्हें मंदिर के तरफ से एक मनोकामना सिक्का दिया जाता है.जिसकी मनोकामना पूरी होती है वो लोग यहां पुनः आते हैं और अपने सामर्थ के अनुसार यहां दान देते हैं.मंदिर के पुजारी बताते है वर्षो से यहां छठ व्रतियों की भीड़ उमड़ती है मंदिर ट्रस्ट द्वारा सारा इंतजाम किया जाता है.स्थानीय पुलिस का भी काफी सहयोग मिलता है.नहाय खाय के दिन से ही दूर दराज के लोग यहां आ जाते हैं और यही खाना बनाकर खाते हैं और पूजा अर्चना करते हैं.


बाइट-पुजारी(रौशन दुबे)
बाइट-स्थानीय(मिंटू चौधरी)
बाइट-थानाध्यक्ष(उदवंतनगर)


Conclusion:
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