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दिव्यांग बिन्दन इडली बेचकर कर रहे परिवार का भरण पोषण, समाज के लिए बने मिसाल - दिव्यांग बिन्दन

लोगों को सहारा बनाने के बजाय इस युवक ने खुद को इतना मजबूत कर लिया है कि लोग देखते रह जाएं. किसी भी परिस्थिति में हिम्मत नहीं हारनेवाले बिन्दन लोगों के लिए प्रेरणाश्रोत हैं.

दिव्यांग बिन्दन समाज के लिए पेश की मिशाल
दिव्यांग बिन्दन समाज के लिए पेश की मिशाल
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Published : Feb 8, 2020, 8:35 AM IST

Updated : Feb 8, 2020, 12:34 PM IST

भोजपुर: जिले में एक दिव्यांग युवक ने समाज के लिए मिशाल पेश की है. लोगों को सहारा बनाने के बजाय इस युवक ने खुद को इतना मजबूत कर लिया है कि लोग देखते रह जाए. ऐसा ही कुछ भोजपुर के कोइलवर प्रखंड के परेव के रहने वाले दिव्यांग बिन्दन ने किया. बिन्दन स्कूटी से इडली बेचकर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं.

इडली बेचकर बदली लोगों की सोच
दिव्यांग बिन्दन ने कहा कि वे अपनी स्कूटी से ईडली बेचकर लोगों की सोच बदल रहे हैं. उन्होंने कहा कि वे अपने जीवन से हार चुके थे. उन्होंने फैसला किया कि वह और दिव्यांगों की तरह ट्रेनों में भीख नहीं मांगेंगे. इसलिए उन्होंने एक स्कूटी में अपना चलता फिरता इडली दुकान खोल दिया. फिर गांव-गांव घूमकर इडली बेचने लगे. उन्होंने कहा कि विकलांगों के प्रति लोगों को अब सोच बदलनी होगी. लोग इसे अभिशाप के रूप में न देखें.

दिव्यांग बिन्दन बने समाज के लिए मिसाल

4 साल से बेच रहे इडली
बता दें कि दिव्यांग बिन्दन 4 साल से इडली बेच रहे हैं. इडली बेचकर दिव्यांग अपने समेत अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह बचपन से ही दिव्यांग थे. उन्होंने सातवीं तक पढ़ाई की. बिन्दन ने बताया कि वह रोजाना 250 से 300 रुपये कमा लेते हैं. वह आगे की पढ़ाई करना चाहता थे पर उसकी मजबूरी ने उसे आगे पढ़ने नहीं दी. उसके घर में उसके मां, पिताजी, उसके छोटे भाई, उसकी पत्नी और एक बच्चा है.

भोजपुर: जिले में एक दिव्यांग युवक ने समाज के लिए मिशाल पेश की है. लोगों को सहारा बनाने के बजाय इस युवक ने खुद को इतना मजबूत कर लिया है कि लोग देखते रह जाए. ऐसा ही कुछ भोजपुर के कोइलवर प्रखंड के परेव के रहने वाले दिव्यांग बिन्दन ने किया. बिन्दन स्कूटी से इडली बेचकर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं.

इडली बेचकर बदली लोगों की सोच
दिव्यांग बिन्दन ने कहा कि वे अपनी स्कूटी से ईडली बेचकर लोगों की सोच बदल रहे हैं. उन्होंने कहा कि वे अपने जीवन से हार चुके थे. उन्होंने फैसला किया कि वह और दिव्यांगों की तरह ट्रेनों में भीख नहीं मांगेंगे. इसलिए उन्होंने एक स्कूटी में अपना चलता फिरता इडली दुकान खोल दिया. फिर गांव-गांव घूमकर इडली बेचने लगे. उन्होंने कहा कि विकलांगों के प्रति लोगों को अब सोच बदलनी होगी. लोग इसे अभिशाप के रूप में न देखें.

दिव्यांग बिन्दन बने समाज के लिए मिसाल

4 साल से बेच रहे इडली
बता दें कि दिव्यांग बिन्दन 4 साल से इडली बेच रहे हैं. इडली बेचकर दिव्यांग अपने समेत अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह बचपन से ही दिव्यांग थे. उन्होंने सातवीं तक पढ़ाई की. बिन्दन ने बताया कि वह रोजाना 250 से 300 रुपये कमा लेते हैं. वह आगे की पढ़ाई करना चाहता थे पर उसकी मजबूरी ने उसे आगे पढ़ने नहीं दी. उसके घर में उसके मां, पिताजी, उसके छोटे भाई, उसकी पत्नी और एक बच्चा है.

Intro:दिव्यांगता बाधा नहीं

भोजपुर।

दिव्यांगता को ठेंगा दिखाते हुए इस युवक ने बदल दी अपनी ज़िंदगी.दिव्यांग बिन्दन ने अपने स्कूटी से ईडली बेचकर लोगो की सोच बदल दी है.ईडली बेचकर ये दिव्यांग अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. भोजपुर के कोइलवर प्रखंड के परेव के रहने वाले दिव्यांग बिन्दन अपने जीवन से हार चुके थे उन्होंने फैसला किया क्यों कि वह और दिव्यांगों की तरह ट्रेनों में भीख नहीं मांगेंगे उन्होंने एक स्कूटी में अपना चलता फिरता इडली दुकान खोल दिया और फिर गांव-गांव घूमकर इटली बेचने लगे.


Body:दिव्यांग बिन्दन 4 साल से इडली बेच रहे हैं.इडली बेचकर दिव्यांग अपने समेत अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह बचपन से ही दिव्यांग थे उन्होंने सातवीं तक पढ़ाई की. दिव्यांग बिन्दन कुमार ने बताया कि वह प्रतिदिन 250 से 300 रुपये कमा लेता है. वह आगे की पढ़ाई करना चाहता था पर उसकी मजबूरी ने उसे आगे पढ़ने नहीं दिया.उसके घर में उसके मां, पिताजी, उसके छोटे भाई, उसकी पत्नी और एक बच्चा है. उन्होंने कहा कि विकलांगों के प्रति लोगों को अब सोच बदलनी होगी इसे अभिशाप के रूप में ना देखें उत्साह के साथ कार्य किया जाए तो सक्षम लोगों से भी आगे निकला जा सकता है.

बाइट-सोनू पाठक(ग्राहक)
बाइट-उदय कुमार (स्थानीय)
बाइट-बिन्दन कुमार(दिव्यांग दुकानदार)


Conclusion:
Last Updated : Feb 8, 2020, 12:34 PM IST
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