भोजपुरः जमीन विवाद में लोग क्या से क्या कर जाते हैं. भाई-भाई का नहीं होता और बेटा बाप का नहीं होता. लोग एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं. अब इसी जमीन को लेकर बिहार के भोजपुर में एक बुजुर्ग राशिद अंसारी का जनाजा (शव) तकरीबन 50 घंटे तक कब्र मिलने की राह ताकता रहा. जमीन विवाद के कारण मरहूम राशिद मियां को मरने के बाद कई घंटो तक दो गज जमीन नसीब नहीं हुई. इस बीच राशिद मियां के यतीम बच्चों को अपने ही चाचा से पिता को दफनाने के लिए कई बार गुजारिश करनी पड़ी, लेकिन उनके रिश्तेदार नहीं माने. बाद में स्थानीय प्रशासन की पहल पर राशिद अंसारी को दो दिन बाद दफनाया गया.
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जमीन विवाद में 50 घंटे तक रखा रहा शवः पूरा मामला भोजपुर के गड़हनी थाना क्षेत्र के बड़ौरा गांव का है. बताया जा रहा है कि बड़ौरा गांव के रहने वाले 72 वर्षीय राशिद अंसारी उर्फ राशिद मिया की शुक्रवार 7 अप्रैल की देर शाम मौत हो गई. जिसके बाद मृतक के बेटों ने घर के पास ही पहले से दफन मृतक की पत्नी के साथ कब्र खोदना शुरू किया, लेकिन मृतक के भाइयों और उसके परिवार वालों ने जमीन पर विवाद बता कर कब्र खोदने से मना कर दिया जिसके बाद तकरीबन 50 घंटे तक मृतक का जनाजा (शव) कब्र की इंतेजार में रखा रहा.
क्या है विवाद जिसके लिए पड़ा रहा शवः मृतक के बेटे मोहम्मद जुबैर फारूक ने बताया कि पिता के इंतकाल के बाद हम लोग घर के पास में मौजूद मां की मजार के पास कब्र खोदने लगे, लेकिन उतने में मेरे चाचा मोहम्मद मैनुउद्दीन और मोहम्मद सैफुद्दिन अंसारी आकर कब्र खोदने से मना करने लगे और बोलने लगे कि जो जमीन बची है उसमें सिर्फ पांच भाइयों के हिस्सा है, इसलिए यहां पर राशिद अंसारी की कब्र नहीं बन सकती.
"मेरे अम्मी और अब्बू की ख्वाहिश थी कि उनकी मौत के बाद घर के पास में ही उन्हें दफन जाय और कब्र पर मजार बनाकर चादर चढ़ाई जाय. दो साल पहले भी हमने अम्मी को भी दफना कर मजार बनवाया था और अब्बू के जनाजे को भी दफना कर मजार बनाने की आखिरी इक्छा पूरी करना है"- मोहम्मद जुबैर फारूक, मृतक के बेटा
'राशिद अंसारी की नहीं बची है जमीन' : वहीं, कब्र खोदने से रोकने वाले दूसरे पक्ष से विवाद के बारे में जानने की कोशिश की गई तो उनका कहना था कि मृतक राशिद अंसारी पहले ही अपनी सभी जमीन बेच चुके थे. उनकी जो जमीन बची है वो दूसरी जगह है. जिस जमीन पर उनकी कब्र खोदी जा रही है, वो राशिद मियां को छोड़कर अन्य पांच भाइयों के हिस्से में है.
पत्नी के भी जनाजे को दफनाने में हुआ था विवादः आपके बता दें कि दो साल पहले राशिद मियां की पत्नी बीबी जैनब खातून के शव को भी दफनाने के लिए 72 घंटे तक उनके परिवार वालों को इंतेजार करना पड़ा था. बाद में स्थानीय सीओ और थाना प्रभारी के हस्तक्षेप के बाद शव को उसी जगह दफन करने दिया गया था. दो साल बाद अब बीबी जैनब खातून के शौहर को दफनाने के लिए भी प्रशासन की मदद लेनी पड़ी.
स्थनीय प्रसाशन को करना पड़ा हस्तक्षेपः रिशतेदारों की जिद के आगे मजबूर मृतक के बेटों ने गड़हनी थानाध्यक्ष और सीओ को इस विवाद के बारे में बताया. उसके बाद मौके पर पहुंचे गड़हनी सीओ, थानाध्यक्ष और स्थानीय सरपंच जुबैर अली की अध्यक्षता में पंचायती कर विवाद करने वाले सभी भाइयों को कब्र खोदने के लिए तैयार करवाया गया, तब जाकर राशिद मियां को दो दिन बाद दफनाया गया. साथ ही कुछ दिन बाद जनता दरबार लगा कर जमीन विवाद को जड़ से खत्म करने का फैसला भी लिया गया.