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भोजपुर: ये है पशुओं का अस्पताल, गायब रहते हैं डॉक्टर, पशुपालक परेशान

जिले के अगियांव प्रखंड के पशु अस्पताल में न तो डॉक्टर मौजूद हैं और न ही बीमार पशुओं के लिए समुचित दवा. अस्पताल का भवन पूरी तरह जर्जर हो चला है. ऐसे में पशुपालक अपने पशुओं को लेकर चिंता में रहते हैं.

पशु चिकित्सालय
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Published : Jun 13, 2020, 8:04 PM IST

भोजपुर: जिले के अगियांव प्रखंड के पशु अस्पताल की हालत दयनीय है. सालों से ये पशु अस्पताल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. आलम यह है कि पशुपालक परेशान हैं और बीमार पशुओं के इलाज के लिए भटकने को मजबूर हैं.

पशु अस्पताल का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. ऐसे में डर इस बात का भी रहता है कि कहीं ये भवन गिर न जाए. बारिश के दौरान इस अस्पताल की छत से पानी टपकता है. सरकारी उदासीनता के चलते जर्जर पशु अस्पताल पूरी तरह बंद हैं. इस प्रखंड के कई गांवों में हजारों की संख्या में पशुपालक हैं.

भोजपुर से आलोक की रिपोर्ट

पशुपालकों का दर्द
जर्जर पशु अस्पताल में डॉक्टर भी गैर मौजूद रहते हैं. ऐसे में पशुओं की छोटी बीमारी भी पशुपालकों के लिए चिंता का बड़ा सबब बनती है. उन्हें मजबूरी में अपने पशुओं का इलाज झोलाछाप डॉक्टरों से कराना पड़ता है, जिस कारण उनके जेब पर अतिरिक्त बोझ भी बढ़ता है. स्थानीय बताते हैं अस्पताल में डॉक्टर की नियुक्ति तो है पर डॉक्टर कभी नहीं आते. उनकी जगह पर यहां कार्यरत कर्मी अपना काम करते हैं.

वहीं मवेशियों के लिए यहां समुचित दवा भी नहीं मिलती है, जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अस्पताल में न पीने के पानी की व्यवस्था है, न ही शौचालय की. यही कारण है कि यहां कार्यरत कर्मचारियों को काफी परेशानी होती है.

कभी नहीं आती मैडम- पशु पर्यवेक्षक
वहीं, ड्यूटी पर उपस्थित पशु पर्यवेक्षक राम किशुन राम ने बताया कि इस अस्पताल में कुल 3 लोग पदस्थापित हैं. डॉक्टर मैडम कभी नहीं आती हैं. हम और एक कर्मी अस्पताल चलते हैं. उन्होंने बताया कि ये जर्जर भवन भी हमारा नहीं है. पशु अस्पताल कई सालों से निजी जर्जर मकान में चलता आ रहा है. इस सम्बंध में जब जिला पशुपालन पदाधिकारी से मिलने की कोशिश की गई, तो उनसे मुलाकात नहीं हो सकी.

भोजपुर: जिले के अगियांव प्रखंड के पशु अस्पताल की हालत दयनीय है. सालों से ये पशु अस्पताल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. आलम यह है कि पशुपालक परेशान हैं और बीमार पशुओं के इलाज के लिए भटकने को मजबूर हैं.

पशु अस्पताल का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. ऐसे में डर इस बात का भी रहता है कि कहीं ये भवन गिर न जाए. बारिश के दौरान इस अस्पताल की छत से पानी टपकता है. सरकारी उदासीनता के चलते जर्जर पशु अस्पताल पूरी तरह बंद हैं. इस प्रखंड के कई गांवों में हजारों की संख्या में पशुपालक हैं.

भोजपुर से आलोक की रिपोर्ट

पशुपालकों का दर्द
जर्जर पशु अस्पताल में डॉक्टर भी गैर मौजूद रहते हैं. ऐसे में पशुओं की छोटी बीमारी भी पशुपालकों के लिए चिंता का बड़ा सबब बनती है. उन्हें मजबूरी में अपने पशुओं का इलाज झोलाछाप डॉक्टरों से कराना पड़ता है, जिस कारण उनके जेब पर अतिरिक्त बोझ भी बढ़ता है. स्थानीय बताते हैं अस्पताल में डॉक्टर की नियुक्ति तो है पर डॉक्टर कभी नहीं आते. उनकी जगह पर यहां कार्यरत कर्मी अपना काम करते हैं.

वहीं मवेशियों के लिए यहां समुचित दवा भी नहीं मिलती है, जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अस्पताल में न पीने के पानी की व्यवस्था है, न ही शौचालय की. यही कारण है कि यहां कार्यरत कर्मचारियों को काफी परेशानी होती है.

कभी नहीं आती मैडम- पशु पर्यवेक्षक
वहीं, ड्यूटी पर उपस्थित पशु पर्यवेक्षक राम किशुन राम ने बताया कि इस अस्पताल में कुल 3 लोग पदस्थापित हैं. डॉक्टर मैडम कभी नहीं आती हैं. हम और एक कर्मी अस्पताल चलते हैं. उन्होंने बताया कि ये जर्जर भवन भी हमारा नहीं है. पशु अस्पताल कई सालों से निजी जर्जर मकान में चलता आ रहा है. इस सम्बंध में जब जिला पशुपालन पदाधिकारी से मिलने की कोशिश की गई, तो उनसे मुलाकात नहीं हो सकी.

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