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टिड्डियों के प्रकोप से भोजपुर सुरक्षित, जानिए टिड्डियों से फसलों को बचाने के उपाय - bhojpur today news

भोजपुर कृषि विभाग को जैसे ही सूचना मिली की रेगिस्तानी टिड्डी दल जिले में प्रवेश करने वाले हैं. कृषि पदाधिकारी इसको लेकर सावधान हो गए. जिला कृषि पदाधिकारी संजय नाथ तिवारी ने बताया कि करीब 32 हजार टिड्डियों को मार दिया गया है.

टिड्डियों के प्रकोप से भोजपुर सुरक्षित.
टिड्डियों के प्रकोप से भोजपुर सुरक्षित.
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Published : Jun 29, 2020, 9:25 PM IST

भोजपुर: जिले की सीमावर्ती इलाके में टिड्डियों के प्रवेश होने की खबर जैसे ही किसानों को मिली किसानों के बीच हड़कंप मच गया. टिड्डियों से निपटने के लिए जिला प्रशासन ने पहले से ही कमर कस रखी थी.

32 हजार टिड्डियों को मारा गया
जैसे ही इसकी सूचना मिली की रेगिस्तानी टिड्डी दल जिले में प्रवेश करने वाले हैं. कृषि पदाधिकारियों की ओर से टिड्डी दलों को रोकने हेतु आवश्यक सभी प्रयास किए गए. जिला कृषि पदाधिकारी संजय नाथ तिवारी ने बताया कि करीब 32 हजार टिड्डियों को मार दिया गया. उन्होंने बताया कि कीट नाशक दवाओं का छिड़काव रात में कराया जाए.

दवाइयों का छिड़काव कर टिड्डियों को मारा जा सकता है
इसके अतिरिक्त टिड्डी दल आवाज से घबराते हैं तो इसके लिए आवश्यक होगा कि किसान बंधु ढ़ोल, नगाड़े, थाली और पटाखे बजाकर टिड्डी दलों को भगाएं. तेज ध्वनि को यह कीट बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं. फसलों में यदि टिड्डियों का प्रकोप बढ़ जाए तो कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करके भी इसको मारा जा सकता है. टिड्डी प्रबंधन हेतु फसलों पर नीम के बीजों का पाउडर बनाकर 40 ग्राम पाउडर प्रति लीटर पानी में घोलकर उसका छिड़काव किया जाए तो 2- 3 सप्ताह तक फसल सुरक्षित रहती है. जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि फिलहाल जिले में टिड्डियों का प्रकोप अभी नहीं है.

भोजपुर: जिले की सीमावर्ती इलाके में टिड्डियों के प्रवेश होने की खबर जैसे ही किसानों को मिली किसानों के बीच हड़कंप मच गया. टिड्डियों से निपटने के लिए जिला प्रशासन ने पहले से ही कमर कस रखी थी.

32 हजार टिड्डियों को मारा गया
जैसे ही इसकी सूचना मिली की रेगिस्तानी टिड्डी दल जिले में प्रवेश करने वाले हैं. कृषि पदाधिकारियों की ओर से टिड्डी दलों को रोकने हेतु आवश्यक सभी प्रयास किए गए. जिला कृषि पदाधिकारी संजय नाथ तिवारी ने बताया कि करीब 32 हजार टिड्डियों को मार दिया गया. उन्होंने बताया कि कीट नाशक दवाओं का छिड़काव रात में कराया जाए.

दवाइयों का छिड़काव कर टिड्डियों को मारा जा सकता है
इसके अतिरिक्त टिड्डी दल आवाज से घबराते हैं तो इसके लिए आवश्यक होगा कि किसान बंधु ढ़ोल, नगाड़े, थाली और पटाखे बजाकर टिड्डी दलों को भगाएं. तेज ध्वनि को यह कीट बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं. फसलों में यदि टिड्डियों का प्रकोप बढ़ जाए तो कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करके भी इसको मारा जा सकता है. टिड्डी प्रबंधन हेतु फसलों पर नीम के बीजों का पाउडर बनाकर 40 ग्राम पाउडर प्रति लीटर पानी में घोलकर उसका छिड़काव किया जाए तो 2- 3 सप्ताह तक फसल सुरक्षित रहती है. जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि फिलहाल जिले में टिड्डियों का प्रकोप अभी नहीं है.

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