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आरा में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था, सदर अस्पताल का ICU बना हाथी का दांत

जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल है. सदर अस्पताल से लेकर सीएचसी तक डॉक्टरों की भारी कमी है. ऐसे में जिले के लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

भोजपुर से ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट
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Published : Feb 20, 2019, 1:42 AM IST

भोजपुर: अगर आप अपनी इलाज कराने भोजपुर के आईएसओ मान्यता प्राप्त आरा सदर अस्पताल में जा रहे हैं तो एक बार जरूर सोच लीजिए. इस अस्पताल को सूबे की सरकार ने आईएसओ सर्टिफिकेट से नवाजा है लेकिन यहां इलाज के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है. वहीं, अन्य सीएचसी तो खस्ताहाल में है.

कब बना था ICU
बरहारा क्षेत्र के बिशुपुर पंचायत में सीएचसी का हाल बुरा है. एक एनएनएम के सहारे इलाज के नाम पर महज खानापूर्ति की जाती है. वो भी 15 दिन में एक बार कभी खानापूर्ति के लिए आ जाती हैं. डॉक्टर के बारे में ग्रामीण बताते हैं कि उनलोगों ने सीएचसी में कभी डॉक्टर को देखा ही नहीं.

भोजपुर से ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

अस्पताल में संसाधनों की कमी
वहीं, आरा सदर अस्पताल की बात करें तो यहां आईसीयू सिर्फ और सिर्फ हाथी का दांत बना हुआ है. आरा सदर अस्पताल का आईसीयू 2014 में बना था जिसका उद्घाटन तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह ने किया था. लेकिन आलम यह रहा कि इसमें संसाधनों के कमी की बजह से यह कभी भी सुचारू रूप से नहीं चल पाया.

क्या कहते हैं प्रभारी
ICU प्रभारी ने बताया कि अगर यहां ICU के सभी संसाधन उपलब्ध होते और प्रशिक्षित नर्स और स्टाफ रहते तो मरीजों को पटना रेफर करने के बजाय यहीं इलाज होता और परिजनों को आराम मिलता. हालात ये है कि यहां डॉक्टर तक नहीं आते हैं. सिर्फ एएनएम से काम चलाया जाता है.

लोगों को होती है परेशानी
गंभीर बीमारियों की तो बात ही छोड़िए आंशिक बीमारी के इलाज में भी मरीज के परिजनों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है. अब तो लोगों के जुबान पर सदर अस्पताल की जगह अब लोगों ने यह कहना भी शुरू कर दिया है कि यह सदर अस्पताल नहीं बल्कि यह रेफरल अस्पताल है.

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भोजपुर: अगर आप अपनी इलाज कराने भोजपुर के आईएसओ मान्यता प्राप्त आरा सदर अस्पताल में जा रहे हैं तो एक बार जरूर सोच लीजिए. इस अस्पताल को सूबे की सरकार ने आईएसओ सर्टिफिकेट से नवाजा है लेकिन यहां इलाज के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है. वहीं, अन्य सीएचसी तो खस्ताहाल में है.

कब बना था ICU
बरहारा क्षेत्र के बिशुपुर पंचायत में सीएचसी का हाल बुरा है. एक एनएनएम के सहारे इलाज के नाम पर महज खानापूर्ति की जाती है. वो भी 15 दिन में एक बार कभी खानापूर्ति के लिए आ जाती हैं. डॉक्टर के बारे में ग्रामीण बताते हैं कि उनलोगों ने सीएचसी में कभी डॉक्टर को देखा ही नहीं.

भोजपुर से ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

अस्पताल में संसाधनों की कमी
वहीं, आरा सदर अस्पताल की बात करें तो यहां आईसीयू सिर्फ और सिर्फ हाथी का दांत बना हुआ है. आरा सदर अस्पताल का आईसीयू 2014 में बना था जिसका उद्घाटन तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह ने किया था. लेकिन आलम यह रहा कि इसमें संसाधनों के कमी की बजह से यह कभी भी सुचारू रूप से नहीं चल पाया.

क्या कहते हैं प्रभारी
ICU प्रभारी ने बताया कि अगर यहां ICU के सभी संसाधन उपलब्ध होते और प्रशिक्षित नर्स और स्टाफ रहते तो मरीजों को पटना रेफर करने के बजाय यहीं इलाज होता और परिजनों को आराम मिलता. हालात ये है कि यहां डॉक्टर तक नहीं आते हैं. सिर्फ एएनएम से काम चलाया जाता है.

लोगों को होती है परेशानी
गंभीर बीमारियों की तो बात ही छोड़िए आंशिक बीमारी के इलाज में भी मरीज के परिजनों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है. अब तो लोगों के जुबान पर सदर अस्पताल की जगह अब लोगों ने यह कहना भी शुरू कर दिया है कि यह सदर अस्पताल नहीं बल्कि यह रेफरल अस्पताल है.

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Intro:अगर आप अपनी इलाज कराने भोजपुर के ISO मान्यता प्राप्त आरा सदर अस्पताल में जा रहे हैं तो एक बार जरूर सोच लीजिये।इस अस्पताल को सूबे के सरकार ISO सर्टिफिकेट से नवाजी है लेकिन यहां इलाज के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है। दरअसल यहां ICU सिर्फ और सिर्फ हाथी का दांत बना हुआ है।


Body:कब बना था ICU- दरअसल आरा सदर अस्पताल का ICU 2014 में बना था जिसका उद्घाटन स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह ने किया था।लेकिन आलम यह रहा कि इसमें संसाधनों के कमी की बजह से यह कभी भी सुचारू रूप से नही चला।
क्या कहते हैं प्रभारी-ICU प्रभारी ने बताया कि अगर यहां ICU के सभी संसाधन उपलब्ध होते और प्रशिक्षित नर्स और स्टाफ रहते तो मरीजों को पटना रेफर करने के बजाय यही इलाज होता और परिजनों को आराम मिलता।


Conclusion:आलम यह है कि गंभीर बीमारियों की तो बात ही छोड़िए आंशिक बीमारी के इलाज में भी मरीज के परिजनों के हाथ मे पटना के रेफर यहां के चिकित्सकों के द्वारा सौंप दिया जाता है।अब तो लोगों के जुबान पर सदर अस्पताल की जगह अब लोगों ने यह कहना भी शुरू कर दिया है कि यह सदर अस्पताल नही बल्कि यह रेफरल अस्पताल है।
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