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एक विद्यालय ऐसा भी जहां साल में दो बार ही आते हैं प्रिंसिपल, कार्यालय में रखे रहते हैं गोइठे - bad condition of school

ग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय में मिड डे भोजन बनता ही नहीं. कभी बनता भी है तो जैसे-तैसे और फिर बन्द हो जाता है.

स्कूल में बैठे बच्चे
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Published : May 31, 2019, 4:15 PM IST

आराः साक्षरता और शिक्षा के मामले में भारत की गिनती दुनिया के पिछड़े देशों में होती है. इसलिए सरकारी विद्यालयों में ड्रेस, मिड डे मिल, फ्री किताब समेत अंडे और फल आदि के वितरण की योजनाएं बनाई गई. ताकि विद्यालयों में बच्चों की संख्या में वृद्धि हो सके. इसके बावजूद सरकारी विद्यालयों में बच्चों की संख्या 80 फ़ीसदी भी नहीं हो पा रही है. इसकी मुख्य वजह विद्यालय प्रबंधन के जरिए योजनाओं में मची लूट खसोट है.

साल में दो दिन आते हैं प्रिंसिपल
कुछ ऐसी ही स्थिति है भोजपुर जिला के गड़हनी प्रखंड स्थित प्राथमिक विद्यालय मरसिया मठिया विद्यालय की. जहां कहने के लिए तो नामांकित बच्चों की संख्या 49 है. और बच्चों की उपस्थिति 30 से 35 दिखाई जाती है. जबकि सच्चाई कुछ और है. ग्रामीणों का कहना है कि इस विद्यालय में प्रधानाध्यापक सहित कुल 3 शिक्षक हैं. जिसमें प्रधानाध्यापक अरुण कुमार साल में मात्र दो ही दिन दिखाई पड़ते हैं. 15 अगस्त और 26 जनवरी को. बाकी के दिनों में क्रमशः सरिता कुमारी और राजन सिंह ही विद्यालय की देख रेख करते हैं.

school
कार्यालय में रखे गोइठे

कार्यालय में रखे रहते हैं गोइठे
ग्रामीणों का आरोप है कि एक दिन राजन सिंह विद्यालय आते हैं तो दूसरे दिन सरिता कुमारी फिर तीसरे दिन राजन कुमार तो चौथे दिन सरिता कुमारी. कमोबेश यही स्थिति बनी रहती है और विद्यालय चलता रहता है. इस सिलसिले में आस-पास के ग्रामीणों ने कई बार इस बात को लेकर हल्ला-गुल्ला किया. लेकिन दबंगता के कारण प्रधानाध्यापक अरुण कुमार पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई. इस विद्यालय का कार्यालय कहने के लिए तो कार्यालय है लेकिन असल में ये कचरे का अंबार है. इस कार्यालय में टूटे-फूटे सामान और गोबर के गोइठे रखे जाते हैं.

मिड डे भोजन की स्थिति दयनीय
मिड डे मिल की स्थिति के बारे में ईटीवी भारत के द्वारा पड़ताल करने पर ग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय में मिड डे भोजन तो बनता ही नहीं. जब आस-पास के लोग इस बात को लेकर हल्ला बोल करते हैं तो कुछ दिन भोजन बनता है वह भी जैसे-तैसे और फिर बन्द हो जाता है, यहां तक कि शुक्रवार को मिलने वाले अंडे और फल भी वितरित नहीं किये जाते. विद्यालय में उपस्थित शिक्षक राजन सिंह ने बताया कि मेरे पास इस कार्य के लिए पैसे नहीं है. सारा वित्तीय कार्यभार प्रधानाध्यापक अरुण कुमार करते हैं. वो आज विद्यालय नहीं आए हैं इसलिए फलों का वितरण नहीं हो पाया. जबकि सच्चाई यह है कि इस विद्यालय में फल या अंडे का वितरण होता ही नहीं है. कुल मिलाकर स्थिति यह है कि मिड डे भोजन वहां बनता नहीं, सिर्फ और सिर्फ फाइलों में मिड-डे भोजन दर्ज होता है.

mother
बच्चे की मां

स्वच्छ भारत मिशन की उड़ी धज्जियां
इस विद्यालय में स्वच्छ भारत मिशन की भी जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है. इस विद्यालय की छात्रा काजल कुमारी ने बताया कि विद्यालय के छात्र-छात्राएं शौच के लिए विद्यालय के शौचालय में नहीं बल्कि विद्यालय के बाहर खेत में या फिर विद्यालय के पीछे जाते हैं. ईटीवी भारत ने पड़ताल किया तो बच्चों ने बताया कि शिक्षकों ने स्पष्ट रूप से मना किया गया है कि बच्चे शौचालय में नहीं जाएंगे. अगर उन्हें जाना होगा तो वो खेत में जाएं या फिर विद्यालय के पीछे.

बयान देते शिक्षक बच्चे और अभिभावक

योजनाओं की राशि से बच्चे वंचित
विद्यालय में चल रही योजनाएं चाहे वो पोशाक राशि हो, किताबों की राशि हो या पोशाक राशि इन सभी राशियों से इस विद्यालय के बच्चे वंचित रहते हैं. इस बाबत ग्रामीण पुथरा देवी ने बताया कि हम लोगों के बच्चों को अब तक कोई राशि यहां से नहीं मिली है. इन लोगों ने बैंक में खाता खुलवाने की बात कही बच्चों का खाता भी खुल गया. लेकिन अब तक इनके खाते में एक भी रुपया नहीं आया. इस बात को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश भी है.

इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी कौशल किशोर ने कहा कि इसकी जांच की जाएगी. 10 जून को विद्यालय खुल रहा है, इसके बाद वह खुद जाकर इसकी जांच पड़ताल करेंगे और इन सारी अव्यवस्थाओं के जिम्मेवार शिक्षकों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

आराः साक्षरता और शिक्षा के मामले में भारत की गिनती दुनिया के पिछड़े देशों में होती है. इसलिए सरकारी विद्यालयों में ड्रेस, मिड डे मिल, फ्री किताब समेत अंडे और फल आदि के वितरण की योजनाएं बनाई गई. ताकि विद्यालयों में बच्चों की संख्या में वृद्धि हो सके. इसके बावजूद सरकारी विद्यालयों में बच्चों की संख्या 80 फ़ीसदी भी नहीं हो पा रही है. इसकी मुख्य वजह विद्यालय प्रबंधन के जरिए योजनाओं में मची लूट खसोट है.

साल में दो दिन आते हैं प्रिंसिपल
कुछ ऐसी ही स्थिति है भोजपुर जिला के गड़हनी प्रखंड स्थित प्राथमिक विद्यालय मरसिया मठिया विद्यालय की. जहां कहने के लिए तो नामांकित बच्चों की संख्या 49 है. और बच्चों की उपस्थिति 30 से 35 दिखाई जाती है. जबकि सच्चाई कुछ और है. ग्रामीणों का कहना है कि इस विद्यालय में प्रधानाध्यापक सहित कुल 3 शिक्षक हैं. जिसमें प्रधानाध्यापक अरुण कुमार साल में मात्र दो ही दिन दिखाई पड़ते हैं. 15 अगस्त और 26 जनवरी को. बाकी के दिनों में क्रमशः सरिता कुमारी और राजन सिंह ही विद्यालय की देख रेख करते हैं.

school
कार्यालय में रखे गोइठे

कार्यालय में रखे रहते हैं गोइठे
ग्रामीणों का आरोप है कि एक दिन राजन सिंह विद्यालय आते हैं तो दूसरे दिन सरिता कुमारी फिर तीसरे दिन राजन कुमार तो चौथे दिन सरिता कुमारी. कमोबेश यही स्थिति बनी रहती है और विद्यालय चलता रहता है. इस सिलसिले में आस-पास के ग्रामीणों ने कई बार इस बात को लेकर हल्ला-गुल्ला किया. लेकिन दबंगता के कारण प्रधानाध्यापक अरुण कुमार पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई. इस विद्यालय का कार्यालय कहने के लिए तो कार्यालय है लेकिन असल में ये कचरे का अंबार है. इस कार्यालय में टूटे-फूटे सामान और गोबर के गोइठे रखे जाते हैं.

मिड डे भोजन की स्थिति दयनीय
मिड डे मिल की स्थिति के बारे में ईटीवी भारत के द्वारा पड़ताल करने पर ग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय में मिड डे भोजन तो बनता ही नहीं. जब आस-पास के लोग इस बात को लेकर हल्ला बोल करते हैं तो कुछ दिन भोजन बनता है वह भी जैसे-तैसे और फिर बन्द हो जाता है, यहां तक कि शुक्रवार को मिलने वाले अंडे और फल भी वितरित नहीं किये जाते. विद्यालय में उपस्थित शिक्षक राजन सिंह ने बताया कि मेरे पास इस कार्य के लिए पैसे नहीं है. सारा वित्तीय कार्यभार प्रधानाध्यापक अरुण कुमार करते हैं. वो आज विद्यालय नहीं आए हैं इसलिए फलों का वितरण नहीं हो पाया. जबकि सच्चाई यह है कि इस विद्यालय में फल या अंडे का वितरण होता ही नहीं है. कुल मिलाकर स्थिति यह है कि मिड डे भोजन वहां बनता नहीं, सिर्फ और सिर्फ फाइलों में मिड-डे भोजन दर्ज होता है.

mother
बच्चे की मां

स्वच्छ भारत मिशन की उड़ी धज्जियां
इस विद्यालय में स्वच्छ भारत मिशन की भी जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है. इस विद्यालय की छात्रा काजल कुमारी ने बताया कि विद्यालय के छात्र-छात्राएं शौच के लिए विद्यालय के शौचालय में नहीं बल्कि विद्यालय के बाहर खेत में या फिर विद्यालय के पीछे जाते हैं. ईटीवी भारत ने पड़ताल किया तो बच्चों ने बताया कि शिक्षकों ने स्पष्ट रूप से मना किया गया है कि बच्चे शौचालय में नहीं जाएंगे. अगर उन्हें जाना होगा तो वो खेत में जाएं या फिर विद्यालय के पीछे.

बयान देते शिक्षक बच्चे और अभिभावक

योजनाओं की राशि से बच्चे वंचित
विद्यालय में चल रही योजनाएं चाहे वो पोशाक राशि हो, किताबों की राशि हो या पोशाक राशि इन सभी राशियों से इस विद्यालय के बच्चे वंचित रहते हैं. इस बाबत ग्रामीण पुथरा देवी ने बताया कि हम लोगों के बच्चों को अब तक कोई राशि यहां से नहीं मिली है. इन लोगों ने बैंक में खाता खुलवाने की बात कही बच्चों का खाता भी खुल गया. लेकिन अब तक इनके खाते में एक भी रुपया नहीं आया. इस बात को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश भी है.

इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी कौशल किशोर ने कहा कि इसकी जांच की जाएगी. 10 जून को विद्यालय खुल रहा है, इसके बाद वह खुद जाकर इसकी जांच पड़ताल करेंगे और इन सारी अव्यवस्थाओं के जिम्मेवार शिक्षकों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

Intro:साक्षरता और शिक्षा के मामले में भारत की गिनती दुनिया के पिछड़े देशों में होती है इसलिए सरकारी विद्यालयों में ड्रेस,मिड डे भोजन, किताबों सहित अंडे व केले आदि के वितरण की योजनाएं बनाई गई ताकि विद्यालयों में बच्चों की संख्या में वृद्धि हो सके बावजूद इसके सरकारी विद्यालयों में बच्चों की संख्या 80 फ़ीसदी भी नहीं हो पा रही है ।इसका मुख्य वजह विद्यालय प्रबंधन के द्वारा योजनाओं का लूट खसोट है। कुछ ऐसा ही नजारा दिखता है भोजपुर जिला के गड़हनी प्रखंड स्थित प्राथमिक विद्यालय मरसिया मठिया विद्यालय की जहां कहने के लिए तो नामांकित बच्चों की संख्या 49 है जिसमे बच्चों की उपस्थिति 30 से 35 होती है जबकि सच्चाई यथार्थ से बिल्कुल परे है।


Body:शिक्षकों की स्थिति- इस विद्यालय में शिक्षकों की स्थिति के सम्बंध में ग्रामीणों का कहना है कि इस विद्यालय में प्रधानाध्यापक सहित कुल 3 शिक्षक हैं जिसमें प्रधानाध्यापक अरुण कुमार साल में मात्र दो ही दिन दिखाई पड़ते हैं- 15 अगस्त और 26 जनवरी को, बाकी के दिनों में क्रमशः सरिता कुमारी और राजन सिंह ही विद्यालय की देखरेख करते हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि एक दिन राजन सिंह विद्यालय आते हैं तो दूसरे दिन सरिता कुमारी फिर तीसरे दिन राजन कुमार तो चौथे दिन सरिता कुमारी कमोबेश यही स्थिति बनी रहती है और विद्यालय संचालित होते रहता है। इस बाबत आसपास के ग्रामीणों ने कई बार इस बात को लेकर हल्ला गुल्ला किया लेकिन अपनी दबंगता के कारण प्रधानाध्यापक अरुण कुमार पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई।
मिड डे भोजन की स्थिति- मिडडे भोजन की स्थिति के बारे में ईटीवी भारत के द्वारा पड़ताल करने पर ग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय में मिड डे भोजन तो बनता ही नहीं। जब आसपास के लोग इस बात को लेकर हल्ला बोल करते हैं तो कुछ दिन भोजन बनता है वह भी जैसे तैसे और फिर बन्द हो जाता है। यहां तक कि शुक्रवार को वितरित की जाने वाली किए जाने वाले अंडे और फल भी वितरित नहीं किये जाते। इस बाबत विद्यालय में उपस्थित शिक्षक राजन सिंह ने बताया कि मेरे पास इस कार्य के लिए पैसे नहीं है।सारा वित्तीय कार्यभार प्रधानाध्यापक अरुण कुमार करते हैं।चूंकि वो आज विद्यालय नहीं आए हैं इसलिए फलों का वितरण नही हो पाया जबकि सच्चाई यह है कि इस विद्यालय में फल या अंडे का वितरण होता ही नही है। कुल मिलाकर स्थिति यह है कि मिड डे भोजन वहां बनता नहीं, सिर्फ और सिर्फ फाइलों में मिड-डे भोजन दर्ज होता है।

स्वच्छ भारत मिशन की जमकर उड़ाए जाती है धज्जियां -
जहां एक ओर पूरा देश स्वच्छ भारत मिशन की बात कर रहा है वही इस विद्यालय में स्वच्छ भारत मिशन की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। इस बावत पूछे जाने पर विद्यालय की छात्रा काजल कुमारी ने बताया कि विद्यालय के छात्र-छात्राएं शौच के लिए विद्यालय के शौचालय में नहीं बल्कि विद्यालय के बाहर खेत मे या फिर विद्यालय के पीछे जाना पड़ता है। जब इस बाबत ईटीवी भारत ने पड़ताल किया तो बच्चों ने बताया कि शिक्षकों के द्वारा स्पष्ट रूप से मना किया गया है कि बच्चे शौचालय में नहीं जाएंगे। अगर उन्हें जाना होगा तो वो खेत में जाएं या फिर विद्यालय के पीछे।
योजनाओं की किसी भी राशि से बच्चे हैं वंचित- विद्यालय में चल रही योजनाएं चाहे वो पोशाक राशि हो,या किताबो की राशि हों या रहा विद्यालय योजना चाहे पोशाक राशि हो या पुस्तक की राशि या अन्य राशि लेकिन इन सभी राशियों से इस विद्यालय के बच्चे वंचित रहते हैं इस बाबत ग्रामीण पुथरा देवी ने बताया कि हम लोग के बच्चों को अब तक कोई राशि यहां से मोहिया नहीं होती है इन लोगों ने बैंक में खाता खुलवाने की बात कही बच्चों का खाता भी खुल गया लेकिन अब तक इनकी इनके खाते में एक भी रुपया नहीं आया इस बात को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश भी है
कार्यालय बना कचरे का अंबार इस विद्यालय का कार्यालय कहने के लिए तो कार्यालय है लेकिन आलम है कि कचरे का अंबार है इस कार्यालय में टूटे-फूटे सामान और आपको ताज्जुब होगा कि इसमें गोबर के गोएथे रखे जाते हैं।

क्या कहते हैं जिला शिक्षा पदाधिकारी ईटीवी भारत के पड़ताल के बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी कौशल किशोर ने बताया की इति भारत की पड़ताल के बाद जो जानकारी मिली है उसकी जांच की जाएगी 10 जून को विद्यालय खुल रहा है इसके बाद वह खुद जाकर इसकी जांच पड़ताल करेंगे और इन सारी अव्यवस्थाओं के जिम्मेवार अगस्त शिक्षक पाए गए तो उन सारे शिक्षकों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी हालांकि जिला शिक्षा पदाधिकारी ने कार्रवाई करने की बात तो कह दी लेकिन वाकई में इन शिक्षकों पर कार्रवाई हो पाती भी है या नहीं यह वक्त के गर्भ में है लेकिन फिलहाल समस्या यह है कि नौनिहालों के भविष्य साथ खिलवाड़ क्यों और कब तक यूं ही होता रहेगा


Conclusion:बाइट राजन सिंह शिक्षक
बाइट काजल कुमारी छात्रा
बाइट मंजूषा कुमारी
बाइट संपत कुमार
बाइट प्रीती कुमारी
बाइट पुथरा देवी
बाइट कमला देवी
बाइट जिला शिक्षा पदाधिकारी कौशल किशोर
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