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भागलपुर में डिलीवरी ब्वाय की सड़क हादसे में मौत, सुल्तानगंज का रहने वाला था युवक

भागलपुर में एनएच-80 पर सड़क हादसे (road accident in Bhagalpur) में डिलीवरी ब्वाय की मौत हो गई. वह कहीं सामन डिलीवर करने जा रहा था इसी दौरान हादसे का शिकार हो गया. हादसे में मरने वाले युवक की पहचान सुल्तानगंज के रहने वाले सचिन के रूप में हुई है. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Jan 1, 2023, 6:03 PM IST

भागलपुरः बिहार के भागलपुर में सड़क हादसे में एक युवक की मौत (Youth died in road accident in Bhagalpur) हो गई. युवक सुल्तानगंज का रहने वाला था. यह दुर्घटना देर रात जीरो माईल के पास एनएच-80 पर घटित हुई. घटना के बाद युवक की पहचान नहीं हो पाई थी. बाद में परिजनों ने उसकी शिनाख्त की. युवक सुल्तानगंज का रहने वाला सचिन कुमार था.

ये भी पढ़ेंः भागलपुर में हाईवा ने ऑटो को मारी टक्कर, 8 लोग घायल.. 2 की हालत नाजुक

अज्ञात वाहन की ठोकर से हुई मौतः लगातार शहर में सड़क दुर्घटनाएं हो रही है. इसमें अबतक कई जानें जा चुकी हैं. देर रात जीरोमाइल थाना के पास एनएच-80 पर डिलीवरी बॉय की मौत सड़क दुर्घटना में हो गई. वह कहीं डिलीवरी देने जा रहा था. उसी दौरान तेज रफ्तार वाहन ने उसे ठोकर मा दी. इससे वह घटनास्थल पर ही घायल होकर गिर गया. उसके बाद उसे मायागंज अस्पताल ले जाया गया. वहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

भारत में होने वाली सड़क दुरघटनाओं से जुड़े आंकड़ेः

  • विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के केवल एक प्रतिशत लोग वाहनों के साथ दुर्घटना के शिकार होते हैं, वहीं भारत में सड़क दुर्घटनाओं में वैश्विक मृत्यु का हिस्सा 11 प्रतिशत है, जो दुनिया में सबसे अधिक है.
  • देश में प्रति वर्ष लगभग 4.5 लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिसमें 1.5 लाख लोग मारे जाते हैं.
  • सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों और चोटों के मामले में भारत दुनिया में सबसे ऊपर है. 11 प्रतिशत हिस्सा सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों का है, हर घंटे 53 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. हर 4 मिनट में एक व्यक्ति मारा जाता है.
  • पिछले एक दशक में भारतीय सड़कों पर 13 लाख लोगों की मौत हुई और 50 लाख अन्य घायल हुए.
  • रिपोर्ट का अनुमान है कि दुर्घटना लागत 5.96 लाख करोड़ रुपये या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.14 प्रतिशत है.
  • सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन का अनुमान है कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं की सामाजिक-आर्थिक लागत 1,47,114 करोड़ रुपये है, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद के 0.77 प्रतिशत के बराबर है.
  • व्यक्तिगत स्तर पर सड़क दुर्घटना की चोटें और मौतें एक गंभीर वित्तीय बोझ डालती हैं और पूरे (गैर-गरीब) परिवारों को गरीबी में और पहले से ही गरीबों को कर्ज में धकेल देती हैं.
  • मंत्रालय के अनुसार, सड़क हादसों में मारे जाने वाले लोगों में से 76.2 प्रतिशत लोग अपनी मुख्य कार्य आयु 18-45 वर्ष के हैं.

भागलपुरः बिहार के भागलपुर में सड़क हादसे में एक युवक की मौत (Youth died in road accident in Bhagalpur) हो गई. युवक सुल्तानगंज का रहने वाला था. यह दुर्घटना देर रात जीरो माईल के पास एनएच-80 पर घटित हुई. घटना के बाद युवक की पहचान नहीं हो पाई थी. बाद में परिजनों ने उसकी शिनाख्त की. युवक सुल्तानगंज का रहने वाला सचिन कुमार था.

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अज्ञात वाहन की ठोकर से हुई मौतः लगातार शहर में सड़क दुर्घटनाएं हो रही है. इसमें अबतक कई जानें जा चुकी हैं. देर रात जीरोमाइल थाना के पास एनएच-80 पर डिलीवरी बॉय की मौत सड़क दुर्घटना में हो गई. वह कहीं डिलीवरी देने जा रहा था. उसी दौरान तेज रफ्तार वाहन ने उसे ठोकर मा दी. इससे वह घटनास्थल पर ही घायल होकर गिर गया. उसके बाद उसे मायागंज अस्पताल ले जाया गया. वहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

भारत में होने वाली सड़क दुरघटनाओं से जुड़े आंकड़ेः

  • विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के केवल एक प्रतिशत लोग वाहनों के साथ दुर्घटना के शिकार होते हैं, वहीं भारत में सड़क दुर्घटनाओं में वैश्विक मृत्यु का हिस्सा 11 प्रतिशत है, जो दुनिया में सबसे अधिक है.
  • देश में प्रति वर्ष लगभग 4.5 लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिसमें 1.5 लाख लोग मारे जाते हैं.
  • सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों और चोटों के मामले में भारत दुनिया में सबसे ऊपर है. 11 प्रतिशत हिस्सा सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों का है, हर घंटे 53 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. हर 4 मिनट में एक व्यक्ति मारा जाता है.
  • पिछले एक दशक में भारतीय सड़कों पर 13 लाख लोगों की मौत हुई और 50 लाख अन्य घायल हुए.
  • रिपोर्ट का अनुमान है कि दुर्घटना लागत 5.96 लाख करोड़ रुपये या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.14 प्रतिशत है.
  • सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन का अनुमान है कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं की सामाजिक-आर्थिक लागत 1,47,114 करोड़ रुपये है, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद के 0.77 प्रतिशत के बराबर है.
  • व्यक्तिगत स्तर पर सड़क दुर्घटना की चोटें और मौतें एक गंभीर वित्तीय बोझ डालती हैं और पूरे (गैर-गरीब) परिवारों को गरीबी में और पहले से ही गरीबों को कर्ज में धकेल देती हैं.
  • मंत्रालय के अनुसार, सड़क हादसों में मारे जाने वाले लोगों में से 76.2 प्रतिशत लोग अपनी मुख्य कार्य आयु 18-45 वर्ष के हैं.
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