भागलपुर: जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर के लालबाजार में हुए आतंकी हमले (Terrorist Attack) में जगदीशपुर के रहने वाले वीरेंद्र पासवान की मौत (Virendra Paswan Died) हो गई थी. वैसे तो उनका अंतिम संस्कार बिहार में होना चाहिए था पर बदनसीबी देखिए कि अंत में अपनी मिट्टी भी नहीं नसीब हुई. वैसे जो इस मौत पर सियासत करने वाले हैं वो अपनी जमीन जरूर मजबूत करने में लगे हैं.
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पैसों की कमी की वजह से वीरेंद्र पासवान के परिजन उनके शव को भागलपुर नहीं ला सकें. जबकि बताया जा रहा है कि श्रीनगर प्रशासन से एयरलिफ्ट की सुविधा मिली थी. हालांकि, ये भी सच है कि वीरेंद्र पासवान के परिवार से किसी ने बिहार सरकार से संपर्क नहीं किया. शायद वे लोग संपर्क करते तो इस बात का मलाल नहीं रहता. मगर ये भी हकीकत है कि बिहार के सरकारी अमला ने किसी तरह की पहल नहीं की.
इस मामले में भागलपुर डीएम ने कहा है कि परिजनों की सहमति के बाद श्रीनगर में अंतिम संस्कार किया गया था. वहीं, वीरेंद्र पासवान की पत्नी ने भागलपुर डीएम पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है. वीरेंद्र पासवान की पत्नी का कहना है कि वो अपने पति के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन करना चाहती थी, लेकिन किसी ने मदद नहीं की.
''हमलोग तो चाहते थे कि मेरे पति का अंतिम संस्कार यहां पर हो. ना तो कोई यहां आया है, कोई पूछने वाला नहीं है. कोई मदद करने नहीं आया है. मेरे पति की मौत हो गयी. मैं उन्हें देख तक नहीं पायी. मेरी अंतिम इच्छा थी कि उन्हें देख सकूं. लेकिन अब मैं अपने पति को कहां देख सकती हूं. डीएम साहब ना यहां आए हैं और ना ही बात की है. वह झूठ बोल रहे हैं. मेरे पास पैसा नहीं था इसलिए यहां पर मैं अपने पति के शव को नहीं मंगा पायी. यह जिंदगी भर के लिए पछतावा रहेगा.''- पत्नी, मृतक वीरेन्द्र पासवान
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, परिजनों का कहना है कि जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से उन्हें एयरलिफ्ट की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी. लेकिन, प्रशासन का कहना है कि परिजनों ने सहायता लेने से मना कर दिया था. अब सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि जब श्रीनगर प्रशासन से एयरलिफ्ट की सुविधा मिली थी, तो बिहार के रहने वाले स्ट्रीट वेंडर वीरेंद्र पासवान का अंतिम संस्कार परिजनों को श्रीनगर में ही करना पड़ा? आखिर क्यों मृतक के परिजनों या जम्मू कश्मीर प्रशासन से बिहार सरकार ने संपर्क नहीं किया? पार्थिव शरीर को बिहार वापस लाने के लिए सरकार समेत कोई भी सामने क्यों नहीं आया?
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इस मसले पर जमकर राजनीति हो रही है. बिहार से लेकर कश्मीर तक के नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहे हैं. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा कि "कितनी शर्म की बात है कि जम्मू-कश्मीर सरकार में किसी ने भी वीरेंद्र पासवान के परिवार को उनके पार्थिव शरीर के साथ बिहार वापस लाने में मदद नहीं की. जम्मू-कश्मीर ने सांसदों और मंत्रियों के आव-भगत पर लाखों रुपए खर्च किए होंगे, लेकिन इसके लिए कोई पैसा नहीं मिला."
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Will personally travel to Bhagalpur, Bihar to meet the family of Virender Paswan - a poor street vendor who was mercilessly killed by terrorists at Lal Bazar, Srinagar.
— Junaid Azim Mattu (@Junaid_Mattu) October 6, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
His family deserves every last bit of our empathy, moral support and affection. We mourn his tragic demise.
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His family deserves every last bit of our empathy, moral support and affection. We mourn his tragic demise.
इस बीच श्रीनगर के मेयर जुनैद अजीम मट्टु ने वीरेंद्र पासवान की मौत पर दुख जताया और कहा कि पीड़ित परिवार से मिलने वो खुद भागलपुर आएंगे. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि ''श्रीनगर के लाल बाजार में आतंकवादियों द्वारा बेरहमी से मारे गए एक गरीब स्ट्रीट वेंडर वीरेंद्र पासवान के परिवार से मिलने के लिए वो खुद व्यक्तिगत रूप से बिहार के भागलपुर की जाएंगे. उनका परिवार हमारी हर अंतिम सहानुभूति, नैतिक समर्थन और स्नेह का हकदार है. हम उनके दुखद निधन पर शोक व्यक्त करते हैं.''
इस मामले को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी नीतीश सरकार पर ट्वीट कर हमला किया है. उन्होंने कहा कि ''श्रीनगर में आतंकियों की गोली के शिकार बिहार के वीरेन्द्र पासवान के पार्थिव शरीर को उनके परिजन भागलपुर लाने में अक्षम थे. प्रशासन ने वहीं अंतिम संस्कार कर दिया. डबल इंजन सरकार ने उनका शव बिहार लाने में कोई मदद नहीं कर अपनी हैसियत दिखा संवेदनहीनता व अमानवता का परिचय दिया। शर्मनाक!.''
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श्रीनगर में आतंकियों की गोली के शिकार बिहार के वीरेन्द्र पासवान के पार्थिव शरीर को उनके परिजन भागलपुर लाने में अक्षम थे। प्रशासन ने वहीं अंतिम संस्कार कर दिया।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) October 9, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
डबल इंजन सरकार ने उनका शव बिहार लाने में कोई मदद नहीं कर अपनी हैसियत दिखा संवेदनहीनता व अमानवता का परिचय दिया। शर्मनाक!
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— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) October 9, 2021
डबल इंजन सरकार ने उनका शव बिहार लाने में कोई मदद नहीं कर अपनी हैसियत दिखा संवेदनहीनता व अमानवता का परिचय दिया। शर्मनाक!श्रीनगर में आतंकियों की गोली के शिकार बिहार के वीरेन्द्र पासवान के पार्थिव शरीर को उनके परिजन भागलपुर लाने में अक्षम थे। प्रशासन ने वहीं अंतिम संस्कार कर दिया।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) October 9, 2021
डबल इंजन सरकार ने उनका शव बिहार लाने में कोई मदद नहीं कर अपनी हैसियत दिखा संवेदनहीनता व अमानवता का परिचय दिया। शर्मनाक!
दूसरी तरफ, कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने भी गुरुवार को पीड़ित परिवार से मुलाकात की और उन्हें मदद दिलाने का भरोसा जताया. उन्होंने कहा कि ''केंद्र सरकार कहती है कि आतंक को जड़ से मिटा रहे हैं, लेकिन जिस तरह से श्रीनगर में हमले हुआ. इसमें खुफिया तंत्र पूरी तरह से फेल रहा. पीड़ित परिवार को केंद्र सरकार मुआवजा दे और उनके बेटे और बेटियों को सरकारी नौकरी दें.''
बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है.
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इससे पहले, कश्मीर में हुए आतंकी हमले में जान गंवाने वाले बिहार के भागलपुर के रहने वीरेंद्र पासवान के आश्रितों को बिहार सरकार ने दो लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है. पासवान की हत्या पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दुख जताते हुए कहा कि ''वे इस घटना से मर्माहत हैं. बिहार के मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को अपने शोक संवेदना में कहा कि 5 अक्टूबर को श्रीनगर में हुए आतंकी हमले में बिहार के भागलपुर जिला के जगदीशपुर प्रखंड अंतर्गत वादे सैदपुर गांव के रहने वाले वीरेंद्र पासवान की हत्या से मर्माहत है.''
गौरतलब है कि जिला प्रशासन श्रीनगर ने बुधवार को पासवान के परिजन को 1.25 लाख रुपये की अनुग्रह राशि प्रदान की. श्रीनगर के उपायुक्त मोहम्मद एजाज असद ने मृतक की पत्नी पुतुल देवी को एसडीआरएफ के तहत 1 लाख रुपये और रेड क्रॉस फंड के तहत 25,000 रुपये के चेक सौंपे. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर सरकार ने शुक्रवार को 5 लाख रुपये की अतिरिक्त राहत राशि प्रदान की. जिससे बाद कुल मुआवजा राशि 6.25 लाख रुपये हो गई.
मृतक की पत्नी पुतुल देवी ने बताया कि "सोमवार को दोपहर 1 बजे पति वीरेंद्र पासवान से बात हुई थी. इस दौरान उन्होंने दुर्गा पूजा पर घर आने की बात कही थी. भागलपुर आने के लिए ट्रेन का टिकट भी हो चुका था. लेकिन इसके बाद फोन आया कि आतंकी हमले में उनकी मौत हो गई है.''
मृतक वीरेंद्र के बेटे विक्रम ने बताया कि वे दो भाई और चार बहन हैं. एक बहन की शादी हो चुकी है. एक बहन नीतू कुमारी बारहवीं पास है, जबकि नेहा कुमारी इंटर की पढ़ाई कर रही है. वहीं एक बहन मोनिका भी पढ़ाई कर रही है. भाई सुमन मैट्रिक में पड़ता है. पिताजी परिवार में अकेले कमाने वाले थे और हम सभी भाई-बहन पढ़ाई करते थे. उन्होंने बताया कि उनके परिवार पर 73 हजार रुपये का लोन है.
बता दें कि, भागलपुर के रहने वाले पासवान श्रीनगर में गोलगप्पे बेचने का काम करते थे. पांच अक्टूबर को आतंकियों ने उनकी गोली मार दी थी, जिससे उसकी मौत हो गई थी. बताया जाता है कि परिजन शव को श्रीनगर से भागलपुर ले जाने में सक्षम नहीं थे. वीरेंद्र के परिजनों ने श्रीनगर में ही पूरे विधि-विधान के साथ अंत्येष्टि कर दी. जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में गुरुवार को आतंकवादियों ने दो शिक्षकों की गोली मारकर हत्या कर दी. श्रीनगर के ईदगाह इलाके के एक सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालय में आतंकवादियों ने दो शिक्षकों पर करीब से गोलीबारी की, जिससे दोनों की मौत हो गईं.