भागलपुर: जिले के आसपास के कई इलाकों से मजदूर रोजगार की तलाश में लगातार पलायन कर रहे हैं. लेकिन मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है. नतीजन जो भी मजदूर भागलपुर में रह रहे हैं. उन्हें 2 जून की रोटी भी नसीब नहीं हो रही है.
भागलपुर से महज कुछ ही दूरी पर बसा मुसहरी गांव के लोगों को सरकार ने इंदिरा आवास योजना से लाभान्वित किया तो था. लेकिन इस घर में रहने के लिए उन्हें रोजगार की भी जरूरत थी. जो सरकार उन्हें मुहैया नहीं करा पाई जिसकी वजह से कई लोग अपने घर को छोड़कर रोजगार की तलाश में महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और गुजरात जैसे राज्यों में जाकर दो पैसे कमा रहे हैं.
बुजुर्ग महिला की आपबीती
रामपुर खुर्द ग्राम पंचायत के महादलित बस्ती में 50 से ज्यादा घर में मुसहर जाति के लोग रहते हैं. जिनका मुख्य पेशा मजदूरी करना ही है. मजदूरी से कमाए हुए पैसे से किसी तरह से यह लोग अपने परिवार के साथ गुजर-बसर करते हैं. एक बुजुर्ग महिला जिसका पूरा परिवार बाहर पलायन कर चुका है. वह काफी दिक्कतों से अपनी जिंदगी गुजार रही हैं. वैसे तो इसे वृद्धा पेंशन मिलता है लेकिन इस पेंशन में दो वक्त की रोटी भी पेट को नसीब नहीं होती है.
मनरेगा योजना विफल
सरकार ने दूसरे राज्यों में हो रहे पलायन को रोकने के लिए मनरेगा जैसी कल्याणकारी योजना को तो ला दिया. लेकिन योजना पूरी तरह से धरातल पर नहीं उतर पाई और अभी भी जो लोग मुख्य रूप से मजदूरी करते हैं और मजदूरी पर ही जिंदगी टिकी हुई है. वैसे लोगों को इस कल्याणकारी योजना का लाभ नहीं मिल पाया जिसकी वजह से आज भी लोग लगातार पलायन कर रोजगार, धंधे की तलाश में दूसरे राज्यों में जा रहे हैं.
बिहार सरकार नीति बनाने में विफल
बिहार सरकार मजदूर वर्ग जैसे तबके के लिए अभी तक कोई नीति मजबूती के साथ धरातल पर नहीं ला पाई है. जिसके तहत उन्हें ज्यादा से ज्यादा मजदूरी के साथ-साथ रोजगार मिल सके. जब मनरेगा योजना की सच्चाई लेने की कोशिश संबंधित पदाधिकारी से की गई तो आचार संहिता का हवाला देकर उन्होंने सीधे तौर पर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया.