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मजदूरों के पलायन से सूना पड़ा ये गांव, मनरेगा योजना हुई धराशायी

भागलपुर से महज कुछ ही दूरी पर बसे मुसहरी गांव के लोगों को सरकार ने इंदिरा आवास योजना से लाभान्वित किया तो था. लेकिन इस घर में रहने के लिए उन्हें रोजगार की भी जरूरत थी.

मजदूरों का पलायन
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Published : May 18, 2019, 11:56 PM IST

भागलपुर: जिले के आसपास के कई इलाकों से मजदूर रोजगार की तलाश में लगातार पलायन कर रहे हैं. लेकिन मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है. नतीजन जो भी मजदूर भागलपुर में रह रहे हैं. उन्हें 2 जून की रोटी भी नसीब नहीं हो रही है.

भागलपुर से महज कुछ ही दूरी पर बसा मुसहरी गांव के लोगों को सरकार ने इंदिरा आवास योजना से लाभान्वित किया तो था. लेकिन इस घर में रहने के लिए उन्हें रोजगार की भी जरूरत थी. जो सरकार उन्हें मुहैया नहीं करा पाई जिसकी वजह से कई लोग अपने घर को छोड़कर रोजगार की तलाश में महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और गुजरात जैसे राज्यों में जाकर दो पैसे कमा रहे हैं.

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मजदूरों का पलायन

बुजुर्ग महिला की आपबीती
रामपुर खुर्द ग्राम पंचायत के महादलित बस्ती में 50 से ज्यादा घर में मुसहर जाति के लोग रहते हैं. जिनका मुख्य पेशा मजदूरी करना ही है. मजदूरी से कमाए हुए पैसे से किसी तरह से यह लोग अपने परिवार के साथ गुजर-बसर करते हैं. एक बुजुर्ग महिला जिसका पूरा परिवार बाहर पलायन कर चुका है. वह काफी दिक्कतों से अपनी जिंदगी गुजार रही हैं. वैसे तो इसे वृद्धा पेंशन मिलता है लेकिन इस पेंशन में दो वक्त की रोटी भी पेट को नसीब नहीं होती है.

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मजदूरों का पलायन

मनरेगा योजना विफल
सरकार ने दूसरे राज्यों में हो रहे पलायन को रोकने के लिए मनरेगा जैसी कल्याणकारी योजना को तो ला दिया. लेकिन योजना पूरी तरह से धरातल पर नहीं उतर पाई और अभी भी जो लोग मुख्य रूप से मजदूरी करते हैं और मजदूरी पर ही जिंदगी टिकी हुई है. वैसे लोगों को इस कल्याणकारी योजना का लाभ नहीं मिल पाया जिसकी वजह से आज भी लोग लगातार पलायन कर रोजगार, धंधे की तलाश में दूसरे राज्यों में जा रहे हैं.

मजदूरों का पलायन

बिहार सरकार नीति बनाने में विफल
बिहार सरकार मजदूर वर्ग जैसे तबके के लिए अभी तक कोई नीति मजबूती के साथ धरातल पर नहीं ला पाई है. जिसके तहत उन्हें ज्यादा से ज्यादा मजदूरी के साथ-साथ रोजगार मिल सके. जब मनरेगा योजना की सच्चाई लेने की कोशिश संबंधित पदाधिकारी से की गई तो आचार संहिता का हवाला देकर उन्होंने सीधे तौर पर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया.

भागलपुर: जिले के आसपास के कई इलाकों से मजदूर रोजगार की तलाश में लगातार पलायन कर रहे हैं. लेकिन मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है. नतीजन जो भी मजदूर भागलपुर में रह रहे हैं. उन्हें 2 जून की रोटी भी नसीब नहीं हो रही है.

भागलपुर से महज कुछ ही दूरी पर बसा मुसहरी गांव के लोगों को सरकार ने इंदिरा आवास योजना से लाभान्वित किया तो था. लेकिन इस घर में रहने के लिए उन्हें रोजगार की भी जरूरत थी. जो सरकार उन्हें मुहैया नहीं करा पाई जिसकी वजह से कई लोग अपने घर को छोड़कर रोजगार की तलाश में महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और गुजरात जैसे राज्यों में जाकर दो पैसे कमा रहे हैं.

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मजदूरों का पलायन

बुजुर्ग महिला की आपबीती
रामपुर खुर्द ग्राम पंचायत के महादलित बस्ती में 50 से ज्यादा घर में मुसहर जाति के लोग रहते हैं. जिनका मुख्य पेशा मजदूरी करना ही है. मजदूरी से कमाए हुए पैसे से किसी तरह से यह लोग अपने परिवार के साथ गुजर-बसर करते हैं. एक बुजुर्ग महिला जिसका पूरा परिवार बाहर पलायन कर चुका है. वह काफी दिक्कतों से अपनी जिंदगी गुजार रही हैं. वैसे तो इसे वृद्धा पेंशन मिलता है लेकिन इस पेंशन में दो वक्त की रोटी भी पेट को नसीब नहीं होती है.

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मजदूरों का पलायन

मनरेगा योजना विफल
सरकार ने दूसरे राज्यों में हो रहे पलायन को रोकने के लिए मनरेगा जैसी कल्याणकारी योजना को तो ला दिया. लेकिन योजना पूरी तरह से धरातल पर नहीं उतर पाई और अभी भी जो लोग मुख्य रूप से मजदूरी करते हैं और मजदूरी पर ही जिंदगी टिकी हुई है. वैसे लोगों को इस कल्याणकारी योजना का लाभ नहीं मिल पाया जिसकी वजह से आज भी लोग लगातार पलायन कर रोजगार, धंधे की तलाश में दूसरे राज्यों में जा रहे हैं.

मजदूरों का पलायन

बिहार सरकार नीति बनाने में विफल
बिहार सरकार मजदूर वर्ग जैसे तबके के लिए अभी तक कोई नीति मजबूती के साथ धरातल पर नहीं ला पाई है. जिसके तहत उन्हें ज्यादा से ज्यादा मजदूरी के साथ-साथ रोजगार मिल सके. जब मनरेगा योजना की सच्चाई लेने की कोशिश संबंधित पदाधिकारी से की गई तो आचार संहिता का हवाला देकर उन्होंने सीधे तौर पर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया.

Intro:MAJDOORON KE PALAYAN SE SOONA PADA GAANW SARKAR KI MANREGA YOJNA DHARASAAYI

भागलपुर और उसके आसपास के कई इलाकों के मजदूर रोजगार की तलाश में लगातार पलायन कर रहे हैं लेकिन मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है नतीजतन जो भी मजदूर भागलपुर में रह रहे हैं उन्हें 2 जून की रोटी भी नसीब नहीं हो रही है भागलपुर से महज कुछ ही दूरी पर बसा मुसहरी गांव के लोगों को सरकार ने इंदिरा आवास योजना से लाभान्वित किया था लेकिन इस घर में रहने के लिए उन्हें रोजगार की भी जरूरत थी जो सरकार उसे मुहैया नहीं कर पाई जिसकी वजह से कई लोग अपने घर को छोड़कर रोजगार की तलाश में महाराष्ट्र दिल्ली हरियाणा पंजाब और गुजरात जैसे राज्यों में जाकर दो पैसा कमा रहे हैं जिससे उनका गुजर-बसर बड़ी मुश्किल से हो पा रहा है क्योंकि उनके साथ उनका पूरा परिवार भी है और बच्चों की पढ़ाई पर भी पलायन का पूरा असर पड़ता है बच्चे बड़े औद्योगिक शहरों में पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं पढ़ाई लिखाई नहीं कर पाते हैं और फिर उसी जगह पर मजदूरी करना शुरू कर देते हैं। बाहर जाकर पूरा परिवार काम में लग जाता है तब जाकर दो जून की रोटी नसीब हो पाती है।


Body: रामपुर खुर्द ग्राम पंचायत के महादलित बस्ती मैं 50 से ज्यादा घर में मुसहर जाति के लोग रहते हैं जिनका मुख्य पेशा मजदूरी करना ही है जो भी मजदूरी से पैसा होता है उसमें किसी तरह से यह लोग अपना परिवार के साथ गुजर-बसर करते हैं एक बुजुर्ग महिला इसका पूरा परिवार बाहर पलायन कर चुका है वह काफी दिक्कत से अपनी जिंदगी है गुजर रही है वैसे तो इसे वृद्धा पेंशन मिलता है लेकिन इस पेंशन में दो वक्त की रोटी भी पेट को नसीब नहीं होती है सरकार ने दूसरे राज्यों में हो रहे पलायन को रोकने के लिए मनरेगा जैसी कल्याणकारी योजना को तो ला दिया लेकिन योजना पूरी तरह से धरातल पर नहीं उतर पाई और अभी भी जो लोग मुख्य रूप से मजदूरी करते हैं और मजदूरी पर ही जिंदगी टिकी हुई है वैसे लोगों को इस कल्याणकारी योजना का लाभ नहीं मिल पाया जिसकी वजह से आज भी लोग लगातार पलायन कर रोजगार धंधे की तलाश में दूसरे राज्यों में जा रहे हैं ।


Conclusion:इस बस्ती में एक ऐसा युवक दो पहले आया है जो कि काफी दिन पहले अपने गांव से पलायन कर दिल्ली में रोजगार कर रहा है और यहां पर काम नहीं मिलने की वजह से दिल्ली में मजदूरी कर रहा है । सरकार मनरेगा महात्मा गांधी न्यूनतम रोजगार गारंटी योजना के तहत भले ही पलायन को रोकने का दावा कर ले लेकिन जिस बस्ती में ज्यादातर आबादी मजदूरी से जुड़ी हुई हो वैसे गांव में जाकर इस योजना की सच्चाई को बखूबी देखा जा सकता है। खासकर बिहार सरकार जो मजदूर वर्ग के जैसे तबके के लिए अभी तक कोई नीति मजबूती के साथ धरातल पर नहीं ला पाई है जिसके तहत उन्हें ज्यादा से ज्यादा मजदूरी के साथ साथ रोजगार मिल सके। जब मनरेगा योजना की सच्चाई की लेने की कोशिश संबंधित पदाधिकारी से की गई तो आचार संहिता का हवाला देकर उन्होंने सीधे तौर पर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।
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