भागलपुरः कोरोना महामारी को लोकर CM नीतीश कुमार की सरकार ने लाॅकडाउन लगा दिया है. आम लोगों को इसका पालन करना है. पहले से ही कई नियमों का पालन करने वाली आम जनता अब और नए नियमों को मानने के लिए मजबूर होगी. कोरोना संक्रमण के चेन को तोड़ने के लिए इन नियमों का पालन करना है.
सिर्फ जनता के लिए नियम!
नियमों को मानने की जिम्मेदारी सिर्फ जनता की है, व्हाइट कुर्ताधारी माननीयों के लिए सारे नियम कानून बस नाम के लिए ही होते हैं. उनका जब मन हुआ, वे सत्ता, कुर्सी और अपने माननीय होने के रूतबे के बल पर नियमों और कानून को ताक पर रख देते हैं. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं ये जानने के लिए पहले ये वीडियो देखिए....
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वीडियो में दिख रहा वीआईपी कौन है?
वीडियो नवगछिया का है. यह स्थान जहां बेरिकेडिंग की गई है, वह कंटेनमेंट जोन है और इसे नवगछिया स्टेशन के प्रशासन ने बनाया है. वीडियों में दिख रहा है कि बैरिकेडिंग को हटाकर एक वीआईपी की कार पास कर जाती है. कुछ पुलिसकर्मी वीआईपी के लिए खुद बैरिकेडिंग हटाते हुए दिखते हैं. यह वीडियो वायरल हो रहा है.
वायरल वीडियो को लेकर चर्चा है कि सफेद कुर्ता-पायजामा पहने और कंधे पर भगवा रंग का गमछा लिए जो वीआईपी पुलिसकर्मियों को सीधा निर्देश देता दिख रहा है कि बैरिकेडिंग हटाओ, जाना है. वह वीआईपी रसूखदार और कोई नहीं बल्कि गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक नरेंद्र कुमार नीरज उर्फ गोपाल मंडल हैं.
वहीं, इस मामले पर ईटीवी भारत के संवाददाता ने विधायक गोपाल मंडल से संपर्क करना चाहा तो उनका फोन स्विच ऑफ था. उनकी ओर से इस बारे में अभी तक कुछ नहीं कहा गया है.
लोग पूछ रहे हैं सवाल?
हालांकि वीडियो को लेकर किये जा रहे दावे के बारे में साफ तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है. क्योंकि वीआईपी या फिर वाहन के नंबर की पहचान नहीं हो पाई है. लेकिन वीडियो के वायरल होने के बाद से इलाके के लोगों ने तरह-तरह के सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं.
लोगों का कहना है कि सभी प्रकार के कानून और पाबंदियां सिर्फ आम लोगों और दुकानदारों के लिए हैं. जबकि एक रसूखदार व्यक्ति के सामने पुलिस की एक नहीं चलती है. पुलिस उनके सामने घुटने टेक देती है.
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पुलिस क्या कह रही है?
वायरल वीडियो को लेकर नवगछिया थानाध्यक्ष राजकुमार सिंह कहते हैं कि वीडियो उनके पास भी आया है. वे मामले की छानबीन कर रहे हैं. वीडियो क्लियर नहीं है और व्यक्ति की पहचान नहीं हो पा रही है.
जिस कारण पुलिस आसपास मौजूद सीसीटीवी कैमरे को भी खंगाल रही है. कोई भी हो, किसी को कानून तोड़ने की इजाजत नहीं है. उन्होंने यह भी कहा है कि मौके पर नियुक्त पदाधिकारी ने अभी तक कोई लिखित शिकायत नहीं दी है.
थानाध्यक्ष, निश्चित रूप से मामले में कड़ी कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं. लेकिन यहां फिर से वही पुराना सवाल खड़ा होता है कि जब कानून और नियम सबके लिए बराबर हैं और इसे पालन करवाने की जिम्मेदारी पुलिस की है तो माननीयों और रसूखदारों के लिए कानून और नियमों में ढील क्यों?