भागलपुर: कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए राज्यभर में लॉकडाउन लागू है. ऐसे में पिछले कई महीनों से शैक्षणिक संस्थान भी पूरी तरह से बंद हैं. बिहार सरकार की ओर से निजी स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूलों में भी मोबाइल और टीवी के जरिए छात्रों तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है. लेकिन सही मायने में यह कोशिश पूरी तरह से कारगर साबित होती नहीं दिख रही है.
बिहार में कई गांव और टोले ऐसे हैं जहां सुविधाओं का घोर अभाव है. ऐसे में यहां रहने वाले बच्चों को ऑनलाइन क्लास की उम्मीद दिखाना बेमानी है. भागलपुर शहर के बरारी स्थित बड़ी खंजरपुर की मुसहर टोला में सुविधाएं नहीं हैं. जिस कारण छात्र-छात्राएं ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित हो रहें है. इस मोहल्ले में इंटरनेट तो दूर कई घरों में टीवी तक नहीं है. आर्थिक और सामाजिक असमानता के बीच सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए शिक्षा लेने कठिन साबित हो रहा है.
महीनों से ठप पड़ी है पढ़ाई
दरअसल, कोरोना महामारी के कारण बिहार में बीते 13 मार्च से ही सभी स्कूल, कॉलेज और शिक्षण संस्थान बंद हैं. लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में छात्र पूरी तरह से अपने स्कूल और पाठ्यक्रमों से दूर होने लगे थे. इसे देखते हुए बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों की तर्ज पर ऑनलाइन क्लासेज शुरू किया. बिहार में दूरदर्शन और वेबसाइट के माध्यम से पढ़ाई करवाई जा रही है. लेकिन सभी बच्चे इस कोशिश का लाभ नहीं ले पा रहे हैं.
छात्र-छात्राओं ने बताई परेशानी
मोक्षदा स्कूल में दसवीं की छात्रा पायल कुमारी ने बताया कि उनके पास मोबाइल है. लेकिन इंटरनेट काफी धीमा चलता है. इस कारण ऑनलाइन क्लास में जो पढ़ाई कराई जा रही है, वह समझ नहीं आती. सातवीं क्लास की छात्रा अंशु कुमारी ने कहा कि मेरे घर में ना मोबाइल है और ना ही टीवी तो ऐसे में कैसे ऑनलाइन पढ़ाई कर करेंगे.
सता रही बच्चों के भविष्य की चिंता
अभिभावक मंजू देवी, मीना देवी और रीता देवी ने कहा कि सरकार ऑनलाइन पढ़ाई करवा रही है लेकिन हम गरीबों के पास ऑनलाइन पढ़ाई करवाने के लिए ना बढ़िया वाला मोबाइल है और ना ही टीवी है. इलाके में बिजली भी सही से नहीं रहती है, ऐसे में कैसे हमारे बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कर सकेंगे. सरकार को हम जैसे परिवारों के लिए भी सोचना चाहिए.
जिला शिक्षा पदाधिकारी ने दी जानकारी
समस्या पर जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने कहा कि ऑनलाइन क्लास के दौरान बेसिक परेशानियां आ रही हैं. इसको देखते हुए शिक्षकों को छात्रों में ऑनलाइन एजुकेशन के बारे में जागरुकता लाने के लिए अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है. उन्होंने कहा कि अब तो गांव में भी बच्चे टोली बनाकर पढ़ाई कर रहे हैं. जिसके पास स्मार्टफोन है, वह अपने दोस्तों के साथ बैठकर ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं.