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श्रावणी मेला 2022: सुल्तानगंज में डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद ने किया मेले का उद्घाटन - etv news

बिहार के भागलपुर में विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले का उद्घाटन डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद (Deputy CM Tarkishor Prasad) ने दीप प्रज्वलित कर किया. इस मौके पर कई कैबिनेट मंत्री भी मौजूद रहे. पढ़ें पूरी खबर..

Shravani Mela 2022
Shravani Mela 2022
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Published : Jul 14, 2022, 5:56 PM IST

Updated : Jul 14, 2022, 11:01 PM IST

भागलपुर: सुल्तानगंज के अजगैबीनाथ धाम (Ajgaivinath Dham In Sultanganj) में सावन के पहले दिन खासी रौनक देखने को मिल रही है. कांवरियों में उत्साह है वहीं श्रावणी मेला 2022 (Shravani Mela 2022) का विधिवत उद्घाटन हो गया है. बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, मंत्री सम्राट चौधरी, शाहनवाज हुसैन समेत कई कैबिनेट के मंत्रियों ने एक साथ दीप प्रज्वलित कर विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले का उद्घाटन किया. इस दौरान पर्यटन विभाग के निदेशक और प्रधान सचिव भी उद्घाटन के दौरान मौजूद थे. श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर दिखा.

पढ़ें- VIDEO: सावन के मौके पर देखिए सुल्तानगंज के अजगैबीनाथ धाम का विहंगम दृश्य, बोल बम के नारों से गूंजा भागलपुर

तारकिशोर प्रसाद ने किया श्रावणी मेले का उद्घाटन: भागलपुर में श्रावणी मेला ( Bhagalpur Shravani Mela 2022) की तैयारियां मुक्कमल कर ली गई हैं.इस मेले में प्रसिद्ध गायक हंसराज रघुवंशी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. मंत्रोच्चारण के साथ मेले का उद्घाटन होने के साथ ही जिले का माहौल भक्तिमय बना हुआ है. श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की दिक्कत ना हो इसको लेकर प्रशासन ने तगड़े इंतजाम किए हैं. लगातार अधिकारियों के द्वारा मॉनिटरिंग की जा रही है.

1 महीने तक चलता है मेला: भागलपुर में 1 महीने के लिए आयोजित होने वाले एशिया के सबसे बड़े श्रावणी मेला 2022 का उद्घाटन होने के साथ ही इसकी रौनक चारों तरफ दिखने लगी है. सुरक्षा को लेकर श्रावणी मेला क्षेत्र में 14 सेंटर बनाये गये हैं. 6 सहायक थाना बनाए गए हैं. जगह-जगह बेरिंकेटिंग लगाये गये हैं.

करीब सौ किलोमीटर की होती है पैदल यात्राः सबसे पहले कांवड़ियां सुल्तानगंज से 13 किलोमीटर चलकर असरगंज पहुंचते हैं और यहां से तारापुर की दूरी 8 किलोमीटर और फिर रामपुर की दूरी 7 किलोमीटर है. इन पड़ावों पर कांवड़िये थोड़ा विश्राम करते हैं. रामपुर से 8 किलोमीटर की यात्रा करने पर कुमरसार और 12 किलोमीटर आगे विश्वकर्मा टोला का पड़ाव आता है. रास्ते भर में कांवड़ियों की सेवा के लिए सरकार के साथ निजी संस्थाएं भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती हैं. शिविरों में चौबीस घंटे मुफ्त खाना और दवाएं दी जाती हैं. विश्वकर्मा टोला से थोड़ा आगे बढ़ने पर जलेबिया मोड़ है. अपने नाम की तरह ही ये मोड़ काफी घुमावदार है. यहां से 8 किलोमीटर आगे सुईया पहाड़ है. किसी जमाने में यहां के पत्थर बहुत नुकीले थे, हालांकि सड़क बनने के बाद रास्ता थोड़ा आसान हो गया है. इसके बाद कांवड़िए अबरखा, कटोरिया, लक्ष्मण झूला और इनरावरन होते हुए गोड़ियारी पहुंचते हैं. करीब सौ किलोमीटर यात्रा के बाद बांका में बिहार की सीमा समाप्त हो जाती है और कांवड़ियों का स्वागत झारखंड में होता है.

गंगाजल लेने के लिए देश भर से आते हैं श्रद्धालुः बिहार का भागलपुर जिला एक ऐतिहासिक स्थल है. यह गंगा नदी के तट पर बसा हुआ है. जहां बाबा अजगैबीनाथ का विश्वप्रसिद्ध प्राचीन मंदिर है. उत्तरवाहिनी गंगा होने के कारण सावन के महीने में लाखों कावड़ियां देश के विभिन्न भागों से गंगाजल लेने के लिए यहीं आते हैं. फिर यह गंगाजल लेकर झारखंड राज्य के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ को चढ़ाने के लिए पैदल ही जाते हैं. बाबा बैद्यनाथ धाम भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में एक माना जाता है. सुल्तानगंज हिन्दू तीर्थ के अलावा बौद्ध पुरावशेषों के लिये भी विख्यात है.

यहां उत्तर दिशा में बहती है गंगाः सुल्तानगंज में उत्तर वाहिनी गंगा के साथ एक बहुश्रुत किंवदन्ती भी प्रसिद्ध है. कहते हैं कि जब भगीरथ के प्रयास से गंगा का स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरण हुआ तो उनके वेग को रोकने के लिये साक्षात भगवान शिव अपनी जटायें खोलकर उनके प्रवाह-मार्ग में आकर उपस्थित हो गए. शिवजी के इस चमत्कार से गंगा गायब हो गयीं. बाद में देवताओं की प्रार्थना पर शिव ने उन्हें अपनी जांघ के नीचे बहने का मार्ग दे दिया. इस कारण से पूरे भारत में केवल यहां ही गंगा उत्तर दिशा में बहती है, कहीं और ऐसा नहीं है.

यहां साक्षात उपस्थित हुए थे भगवान शिवः बताया जाता है कि शिव स्वयं आपरूप से यहां पर प्रकट हुए थे. इसलिए लोगों ने यहां पर स्वयंभू शिव का मन्दिर स्थापित किया और उसे नाम दिया अजगैबीनाथ मंदिर. यानी एक ऐसे देवता का मंदिर जिसने साक्षात उपस्थित होकर यहां वह चमत्कार कर दिखाया जो किसी सामान्य व्यक्ति से सम्भव न था. जो भी लोग यहां सावन के महीने में कांवर के लिये गंगाजल लेने आते हैं, वे इस मंदिर में आकर भगवान शिव की पूजा अर्चना और जलाभिषेक करना हरगिज नहीं भूलते. इस दृष्टि से यह मंदिर यहां का अति महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल है.

भागलपुर: सुल्तानगंज के अजगैबीनाथ धाम (Ajgaivinath Dham In Sultanganj) में सावन के पहले दिन खासी रौनक देखने को मिल रही है. कांवरियों में उत्साह है वहीं श्रावणी मेला 2022 (Shravani Mela 2022) का विधिवत उद्घाटन हो गया है. बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, मंत्री सम्राट चौधरी, शाहनवाज हुसैन समेत कई कैबिनेट के मंत्रियों ने एक साथ दीप प्रज्वलित कर विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले का उद्घाटन किया. इस दौरान पर्यटन विभाग के निदेशक और प्रधान सचिव भी उद्घाटन के दौरान मौजूद थे. श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर दिखा.

पढ़ें- VIDEO: सावन के मौके पर देखिए सुल्तानगंज के अजगैबीनाथ धाम का विहंगम दृश्य, बोल बम के नारों से गूंजा भागलपुर

तारकिशोर प्रसाद ने किया श्रावणी मेले का उद्घाटन: भागलपुर में श्रावणी मेला ( Bhagalpur Shravani Mela 2022) की तैयारियां मुक्कमल कर ली गई हैं.इस मेले में प्रसिद्ध गायक हंसराज रघुवंशी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. मंत्रोच्चारण के साथ मेले का उद्घाटन होने के साथ ही जिले का माहौल भक्तिमय बना हुआ है. श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की दिक्कत ना हो इसको लेकर प्रशासन ने तगड़े इंतजाम किए हैं. लगातार अधिकारियों के द्वारा मॉनिटरिंग की जा रही है.

1 महीने तक चलता है मेला: भागलपुर में 1 महीने के लिए आयोजित होने वाले एशिया के सबसे बड़े श्रावणी मेला 2022 का उद्घाटन होने के साथ ही इसकी रौनक चारों तरफ दिखने लगी है. सुरक्षा को लेकर श्रावणी मेला क्षेत्र में 14 सेंटर बनाये गये हैं. 6 सहायक थाना बनाए गए हैं. जगह-जगह बेरिंकेटिंग लगाये गये हैं.

करीब सौ किलोमीटर की होती है पैदल यात्राः सबसे पहले कांवड़ियां सुल्तानगंज से 13 किलोमीटर चलकर असरगंज पहुंचते हैं और यहां से तारापुर की दूरी 8 किलोमीटर और फिर रामपुर की दूरी 7 किलोमीटर है. इन पड़ावों पर कांवड़िये थोड़ा विश्राम करते हैं. रामपुर से 8 किलोमीटर की यात्रा करने पर कुमरसार और 12 किलोमीटर आगे विश्वकर्मा टोला का पड़ाव आता है. रास्ते भर में कांवड़ियों की सेवा के लिए सरकार के साथ निजी संस्थाएं भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती हैं. शिविरों में चौबीस घंटे मुफ्त खाना और दवाएं दी जाती हैं. विश्वकर्मा टोला से थोड़ा आगे बढ़ने पर जलेबिया मोड़ है. अपने नाम की तरह ही ये मोड़ काफी घुमावदार है. यहां से 8 किलोमीटर आगे सुईया पहाड़ है. किसी जमाने में यहां के पत्थर बहुत नुकीले थे, हालांकि सड़क बनने के बाद रास्ता थोड़ा आसान हो गया है. इसके बाद कांवड़िए अबरखा, कटोरिया, लक्ष्मण झूला और इनरावरन होते हुए गोड़ियारी पहुंचते हैं. करीब सौ किलोमीटर यात्रा के बाद बांका में बिहार की सीमा समाप्त हो जाती है और कांवड़ियों का स्वागत झारखंड में होता है.

गंगाजल लेने के लिए देश भर से आते हैं श्रद्धालुः बिहार का भागलपुर जिला एक ऐतिहासिक स्थल है. यह गंगा नदी के तट पर बसा हुआ है. जहां बाबा अजगैबीनाथ का विश्वप्रसिद्ध प्राचीन मंदिर है. उत्तरवाहिनी गंगा होने के कारण सावन के महीने में लाखों कावड़ियां देश के विभिन्न भागों से गंगाजल लेने के लिए यहीं आते हैं. फिर यह गंगाजल लेकर झारखंड राज्य के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ को चढ़ाने के लिए पैदल ही जाते हैं. बाबा बैद्यनाथ धाम भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में एक माना जाता है. सुल्तानगंज हिन्दू तीर्थ के अलावा बौद्ध पुरावशेषों के लिये भी विख्यात है.

यहां उत्तर दिशा में बहती है गंगाः सुल्तानगंज में उत्तर वाहिनी गंगा के साथ एक बहुश्रुत किंवदन्ती भी प्रसिद्ध है. कहते हैं कि जब भगीरथ के प्रयास से गंगा का स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरण हुआ तो उनके वेग को रोकने के लिये साक्षात भगवान शिव अपनी जटायें खोलकर उनके प्रवाह-मार्ग में आकर उपस्थित हो गए. शिवजी के इस चमत्कार से गंगा गायब हो गयीं. बाद में देवताओं की प्रार्थना पर शिव ने उन्हें अपनी जांघ के नीचे बहने का मार्ग दे दिया. इस कारण से पूरे भारत में केवल यहां ही गंगा उत्तर दिशा में बहती है, कहीं और ऐसा नहीं है.

यहां साक्षात उपस्थित हुए थे भगवान शिवः बताया जाता है कि शिव स्वयं आपरूप से यहां पर प्रकट हुए थे. इसलिए लोगों ने यहां पर स्वयंभू शिव का मन्दिर स्थापित किया और उसे नाम दिया अजगैबीनाथ मंदिर. यानी एक ऐसे देवता का मंदिर जिसने साक्षात उपस्थित होकर यहां वह चमत्कार कर दिखाया जो किसी सामान्य व्यक्ति से सम्भव न था. जो भी लोग यहां सावन के महीने में कांवर के लिये गंगाजल लेने आते हैं, वे इस मंदिर में आकर भगवान शिव की पूजा अर्चना और जलाभिषेक करना हरगिज नहीं भूलते. इस दृष्टि से यह मंदिर यहां का अति महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल है.

Last Updated : Jul 14, 2022, 11:01 PM IST
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