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कोरोना मरीजों को दी जाने वाली स्ट्राइड दवा के कारण फैल रहा है ब्लैक फंगसः डॉक्टर राजीव रंजन - ब्लैक फंगस के पीछे कौन?

कोरोना महामारी के बढ़ते आंकड़ों के बीच लगातार ब्लैक फंगस के मामले भी सामने आ रहे हैं. लेकिन यह बिमारी कोरोना के मरीजों या कोरोना से ठीक हो चुके लोगों में क्यों फैल रहा है? सत सवाल का जवाब भागलपुर के मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के डॉक्टर राजीव रंजन ने दिया है...

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डॉक्टर राजीव रंजन
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Published : May 22, 2021, 3:24 AM IST

भागलपुरः कोरोना महामारी के दौर में ब्लैक फंगस का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है. बिहार में इस बिमारी के कई लोग ग्रसित हो चुके हैं ओर रोज इसके मामले सामने आ रहे हैं. ब्लैक फंगस को लेकर कहा जा रहा है कि यह शरीर के बाहरी हिस्से से होकर अंदर प्रवेश कर आंख या मस्तिक में पहुंचकर टिशू को बुरी तरह से डैमेज कर देता है.

जिससे व्यक्ति की जान जा रही है. ये फंगस व्यक्ति के टिशू को स्थाई रूप से भी डैमेज कर देता है, जिससे व्यक्ति मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग हो सकता हैं. लेकिन कोरोना के मरीजों में ये बिमारी अतनी तेजी से क्यों फैल रही है, इस बारे में भागलपुर के मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के डॉक्टर राजीव रंजन ने जानकारी दी है.

इसे भी पढ़ेंः बच्चों में भी ब्लैक फंगस का खतरा, ऐसे करें बचाव

कोरोना के मरीजो के क्यों हो रहा है ब्लैक फंगस
डॉक्टर राजीव रंजन ने कहा कि इस बीमारी से बचने का मात्र एक ही उपाय है, लक्षण होने पर तुरंत उपचार शुरू किया जाए, देरी होने पर यह बीमारी तेजी से फैल कर व्यक्ति की जान ले सकती है. उन्होंने बताया कि यह बीमारी उन लोगों में ज्यादा होने की संभावना है, जिसके अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है, या पहले से व्यक्ति एड्स या चीनी या फिर किसी ऐसी बीमारी से ग्रसित हो जिसमें वो स्ट्राइड दवाई ले रहा हो. ऐसे मरीजों को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है.

देखें वीडियो

उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमित मरीज जिनकी हालत गंभीर है, उसे अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया जाता है, जहां ऑक्सीजन पर रखा जाता है और फिर उसे स्वस्थ करने के लिए स्ट्राइड नामक दवा दी जाती है. यह दवा मरीज की जान बचाती जरूर है, मगर रोग प्रतिरोधक क्षमता कम कर देती है. जिससे ब्लैक फंगस के लिए माहौल बन जाता है. यह बीमारी ऑक्सीजन के माध्यम से नाक या मुंह से होकर सीधे मस्तिष्क में पहुंचकर नुकसान पहुंचा रही है.

समय रहते उपचार एकमात्र उपचार
डॉ राजीव रंजन ने कहा कि ब्लैक फंगस से बचने का एकमात्र उपाय है कि समय रहते उपचार शुरू किया जाय. यह बीमारी ज्यादातर नाक और मुंह के आसपास कहीं पर भी हो सकती है. वहां काले रंग का धब्बा हो जाता है. इसमे यदि तुरंत उपचार शुरू किया जाए तो व्यक्ति स्वस्थ हो सकता है. नहीं तो वैसी जगह को ऑपरेशन कर हटा कर ही मरीज को स्वस्थ रखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस बीमारी के लिए ऐसी कोई दवा नहीं है जिससे कि मरीज को तुरंत ठीक किया जा सके. ऑपरेशन ही एकमात्र अंतिम उपाय बजता है.

भागलपुरः कोरोना महामारी के दौर में ब्लैक फंगस का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है. बिहार में इस बिमारी के कई लोग ग्रसित हो चुके हैं ओर रोज इसके मामले सामने आ रहे हैं. ब्लैक फंगस को लेकर कहा जा रहा है कि यह शरीर के बाहरी हिस्से से होकर अंदर प्रवेश कर आंख या मस्तिक में पहुंचकर टिशू को बुरी तरह से डैमेज कर देता है.

जिससे व्यक्ति की जान जा रही है. ये फंगस व्यक्ति के टिशू को स्थाई रूप से भी डैमेज कर देता है, जिससे व्यक्ति मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग हो सकता हैं. लेकिन कोरोना के मरीजों में ये बिमारी अतनी तेजी से क्यों फैल रही है, इस बारे में भागलपुर के मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के डॉक्टर राजीव रंजन ने जानकारी दी है.

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कोरोना के मरीजो के क्यों हो रहा है ब्लैक फंगस
डॉक्टर राजीव रंजन ने कहा कि इस बीमारी से बचने का मात्र एक ही उपाय है, लक्षण होने पर तुरंत उपचार शुरू किया जाए, देरी होने पर यह बीमारी तेजी से फैल कर व्यक्ति की जान ले सकती है. उन्होंने बताया कि यह बीमारी उन लोगों में ज्यादा होने की संभावना है, जिसके अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है, या पहले से व्यक्ति एड्स या चीनी या फिर किसी ऐसी बीमारी से ग्रसित हो जिसमें वो स्ट्राइड दवाई ले रहा हो. ऐसे मरीजों को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है.

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उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमित मरीज जिनकी हालत गंभीर है, उसे अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया जाता है, जहां ऑक्सीजन पर रखा जाता है और फिर उसे स्वस्थ करने के लिए स्ट्राइड नामक दवा दी जाती है. यह दवा मरीज की जान बचाती जरूर है, मगर रोग प्रतिरोधक क्षमता कम कर देती है. जिससे ब्लैक फंगस के लिए माहौल बन जाता है. यह बीमारी ऑक्सीजन के माध्यम से नाक या मुंह से होकर सीधे मस्तिष्क में पहुंचकर नुकसान पहुंचा रही है.

समय रहते उपचार एकमात्र उपचार
डॉ राजीव रंजन ने कहा कि ब्लैक फंगस से बचने का एकमात्र उपाय है कि समय रहते उपचार शुरू किया जाय. यह बीमारी ज्यादातर नाक और मुंह के आसपास कहीं पर भी हो सकती है. वहां काले रंग का धब्बा हो जाता है. इसमे यदि तुरंत उपचार शुरू किया जाए तो व्यक्ति स्वस्थ हो सकता है. नहीं तो वैसी जगह को ऑपरेशन कर हटा कर ही मरीज को स्वस्थ रखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस बीमारी के लिए ऐसी कोई दवा नहीं है जिससे कि मरीज को तुरंत ठीक किया जा सके. ऑपरेशन ही एकमात्र अंतिम उपाय बजता है.

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