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बीजेपी के गढ़ भागलपुर में कितना कारगर होगा एनडीए का जदयू कार्ड ? - bhagalpur

बीजेपी द्वारा जदयू के तमाम शर्तों को मानते हुए इस तरह के निर्णय से भागलपुर के बीजेपी कार्यकर्ताओं के मन में काफी निराशा देखने को मिल रही है.

रेलवे स्टेशन, भागलपुर
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Published : Mar 19, 2019, 9:11 AM IST

भागलपुरःलोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. पहले चरण का नमांकन भी शुरू हो गयाहै. लेकिन तमाम पार्टियों ने अब तक अपने उम्मिदवारों की घोषणा नहीं की है. कौन सी सीट किसे मिलेगी ये जानने के लिए जनता उत्सुक है. लोग अपने-अपने तरीके से कयास लगाने में जुटे हैं.

भागलपुर सीट पर कांग्रेस के बाद आरजेडी और भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा है. बीजेपी के कद्दावर नेता एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन भी एक बार संसदीय उपचुनाव और एक बार 2009 के लोकसभा चुनाव में जीतकर भागलपुर को भारतीय जनता पार्टी के लिए पूरी तरह से मजबूत बना चुके थे. लेकिन 2014 के चुनाव में शाहनवाज हुसैन को आरजेडी के बुलो मंडल ने 9845 वोट से शिकस्त दे दिया था. हार जीत का मतों का अंतर ज्यादा नहीं था, लेकिन विश्लेषण करने के बाद हार का कारण पार्टी के लोगों को समझ में आया.

सीट शेयरिंग सेआश्चर्य में लोग
जदयू से अलग होकर लड़ने की वजह से और भारतीय जनता पार्टी के अंतर कलह की वजह से पैदा हुए गुटबाजी की चक्कर में बीजेपी के शाहनवाज हुसैन अपनी सीट गवा चुके हैं.चुनाव हारने के बावजूद शहनवाज लगातार क्षेत्र में बने रहेऔर लोगों के बीच भारतीय जनता पार्टी के मौजूदगी को बरकरार रखा है.लोग उम्मीद भी जता रहे थे की हो ना हो भागलपुर कीसीट भाजपा के ही प्रत्याशी के द्वारा लड़ी जाएगी, लेकिन इस बार के एनडीए के सीट शेयरिंग के फैसले से भागलपुर के लोगों को काफी आश्चर्य हुआ कि बीजेपी का गढ़ मानाजाने वालाभागलपुर कैसे जदयू के खाते में चला गया.

बयान देते स्ठानीय लोग

बीजेपी कार्यकर्ताओं में निराशा
बात जो भी हो लेकिन बीजेपी द्वारा जदयू के तमाम शर्तों को मानते हुए इस तरह के निर्णय से भागलपुर के बीजेपी कार्यकर्ताओं के मन में काफी निराशा देखने को मिल रहीहै, लेकिन आलाकमान के फैसले को मानते हुए बुझे मन से लोग पार्टी के फैसले को स्वीकार चुके हैं. अबउम्मीदवार के नाम की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं. फिलहाल भागलपुर में जो भाजपा का कमल हमेशा खिला हुआ दिखाई देता था, वह इन दिनों जदयू के तीर में तब्दील हो चुका है.भागलपुर शहर के लोग अभी भी इस उम्मीदमें हैं कि बीजेपी के कद्दावर नेता शाहनवाज हुसैन को जरूर टिकट मिलेगा. लेकिन जब तक घोषणा नहीं हो जाती तब तक लोग सिर्फ कयास लगा सकते हैं,

उम्मीदवार के नाम का इंतजार
कुल मिलाकर अगर बात करें तो भागलपुर में अभी मौजूदा परिप्रेक्ष्य में 2 विधानसभा नाथनगर और गोपालपुर प्रतिनिधि जदयू खेमे से है.जिसकी वजह से जदयू की दावेदारी काफी मजबूत मानी जा रही है. साथ ही साथ बीजेपी ने 2014 के चुनाव में 22 सीटों पर फतेह हासिल की थी और इस बार 2019 के चुनाव में 17 सीट को लेकर आपसी निर्णय हुआ. जिसकी वजह से पांच जीते हुए उम्मीदवारों को भी भाजपा को इस बार चुनाव के मैदान से दूर करना पड़ा. वैसी परिस्थिति में बीजेपी के शाहनवाज हुसैन हारे हुए उम्मीदवार थे, इसलिए लोग अनुमान लगा रहे हैं कि उन्हें भागलपुर के चुनावी मैदान से दूर किया गया है. फिलहाल भागलपुर के लोग एनडीए के उम्मीदवार के नाम की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं.

भागलपुरःलोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. पहले चरण का नमांकन भी शुरू हो गयाहै. लेकिन तमाम पार्टियों ने अब तक अपने उम्मिदवारों की घोषणा नहीं की है. कौन सी सीट किसे मिलेगी ये जानने के लिए जनता उत्सुक है. लोग अपने-अपने तरीके से कयास लगाने में जुटे हैं.

भागलपुर सीट पर कांग्रेस के बाद आरजेडी और भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा है. बीजेपी के कद्दावर नेता एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन भी एक बार संसदीय उपचुनाव और एक बार 2009 के लोकसभा चुनाव में जीतकर भागलपुर को भारतीय जनता पार्टी के लिए पूरी तरह से मजबूत बना चुके थे. लेकिन 2014 के चुनाव में शाहनवाज हुसैन को आरजेडी के बुलो मंडल ने 9845 वोट से शिकस्त दे दिया था. हार जीत का मतों का अंतर ज्यादा नहीं था, लेकिन विश्लेषण करने के बाद हार का कारण पार्टी के लोगों को समझ में आया.

सीट शेयरिंग सेआश्चर्य में लोग
जदयू से अलग होकर लड़ने की वजह से और भारतीय जनता पार्टी के अंतर कलह की वजह से पैदा हुए गुटबाजी की चक्कर में बीजेपी के शाहनवाज हुसैन अपनी सीट गवा चुके हैं.चुनाव हारने के बावजूद शहनवाज लगातार क्षेत्र में बने रहेऔर लोगों के बीच भारतीय जनता पार्टी के मौजूदगी को बरकरार रखा है.लोग उम्मीद भी जता रहे थे की हो ना हो भागलपुर कीसीट भाजपा के ही प्रत्याशी के द्वारा लड़ी जाएगी, लेकिन इस बार के एनडीए के सीट शेयरिंग के फैसले से भागलपुर के लोगों को काफी आश्चर्य हुआ कि बीजेपी का गढ़ मानाजाने वालाभागलपुर कैसे जदयू के खाते में चला गया.

बयान देते स्ठानीय लोग

बीजेपी कार्यकर्ताओं में निराशा
बात जो भी हो लेकिन बीजेपी द्वारा जदयू के तमाम शर्तों को मानते हुए इस तरह के निर्णय से भागलपुर के बीजेपी कार्यकर्ताओं के मन में काफी निराशा देखने को मिल रहीहै, लेकिन आलाकमान के फैसले को मानते हुए बुझे मन से लोग पार्टी के फैसले को स्वीकार चुके हैं. अबउम्मीदवार के नाम की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं. फिलहाल भागलपुर में जो भाजपा का कमल हमेशा खिला हुआ दिखाई देता था, वह इन दिनों जदयू के तीर में तब्दील हो चुका है.भागलपुर शहर के लोग अभी भी इस उम्मीदमें हैं कि बीजेपी के कद्दावर नेता शाहनवाज हुसैन को जरूर टिकट मिलेगा. लेकिन जब तक घोषणा नहीं हो जाती तब तक लोग सिर्फ कयास लगा सकते हैं,

उम्मीदवार के नाम का इंतजार
कुल मिलाकर अगर बात करें तो भागलपुर में अभी मौजूदा परिप्रेक्ष्य में 2 विधानसभा नाथनगर और गोपालपुर प्रतिनिधि जदयू खेमे से है.जिसकी वजह से जदयू की दावेदारी काफी मजबूत मानी जा रही है. साथ ही साथ बीजेपी ने 2014 के चुनाव में 22 सीटों पर फतेह हासिल की थी और इस बार 2019 के चुनाव में 17 सीट को लेकर आपसी निर्णय हुआ. जिसकी वजह से पांच जीते हुए उम्मीदवारों को भी भाजपा को इस बार चुनाव के मैदान से दूर करना पड़ा. वैसी परिस्थिति में बीजेपी के शाहनवाज हुसैन हारे हुए उम्मीदवार थे, इसलिए लोग अनुमान लगा रहे हैं कि उन्हें भागलपुर के चुनावी मैदान से दूर किया गया है. फिलहाल भागलपुर के लोग एनडीए के उम्मीदवार के नाम की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं.

Intro:SPECIAL BIP KE GARH BHAGALPUR ME KITNA KARGAR HOGA NDA KA JDU CARD

भागलपुर में कांग्रेस के बाद आरजेडी और भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा है बीजेपी के कद्दावर नेता एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन भी एक बार संसदीय उपचुनाव और एक बार 2009 के लोकसभा चुनाव में जीतकर भागलपुर को भारतीय जनता पार्टी के लिए पूरी तरह से मजबूत बना चुके थे लेकिन 2014 के चुनाव में शाहनवाज हुसैन को आरजेडी के बुलो मंडल ने 9845 वोट से शिकस्त दे दिया था हार जीत का मतों का अंतर ज्यादा नहीं था लेकिन विश्लेषण करने के बाद हार का कारण पार्टी के लोगों को समझ में आया जदयू से अलग होकर लड़ने की वजह से और भारतीय जनता पार्टी के अंतर कलह की वजह से पैदा हुए गुटबाजी की चक्कर में बीजेपी के शाहनवाज हुसैन अपनी सीट गवा चुके हैं लेकिन चुनाव हारने के बावजूद शहनवाज लगातार क्षेत्र में बने रहे हैं और लोगों के बीच भारतीय जनता पार्टी के मौजूदगी को बरकरार रखा है और लोग उम्मीद भी जता रहे थे की हो ना हो भागलपुर के सीट भाजपा के ही प्रत्याशी के द्वारा लड़ी जाएगी लेकिन इस बार के एनडीए के सीट शेयरिंग के फैसले से भागलपुर के लोगों को काफी आश्चर्य हुआ कि बीजेपी का गढ़ माना जाने वाला भागलपुर कैसे जदयू के खाते में चला गया ना जाने ऐसे कितने अनगिनत सवाल भागलपुर की जनता के मन में मंडरा रहा है।


Body:बात जो भी हो लेकिन भारतीय जनता पार्टी का जदयू के तमाम शर्तों को मानते हुए इस तरह के निर्णय से भागलपुर के बीजेपी कार्यकर्ताओं के मन में काफी निराशा देखने को मिल रहे हैं लेकिन आलाकमान के फैसले को मानते हुए बुझे मन से पार्टी के फैसले को स्वीकार चुके हैं और उम्मीदवार के नाम की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं फिलहाल भागलपुर में जो भाजपा का कमल हमेशा खिला हुआ दिखाई देता था वह इन दिनों जदयू के तीर में तब्दील हो चुका है । भागलपुर शहर के लोग अभी भी इस संसार में है कि बीजेपी के कद्दावर नेता शाहनवाज हुसैन को जरूर टिकट मिलेगा लेकिन जब तक घोषणा नहीं हो जाती तब तक लोग सिर्फ कयास लगा सकते हैं क्योंकि लोगों को अभी भी भरोसा नहीं है शाहनवाज हुसैन जिनकी शख्सियत है भाजपा के कद्दावर नेता के रूप में है वह इतनी जल्दी हार मान लेंगे और अपने संसदीय क्षेत्र भागलपुर को छोड़ देंगे ।


Conclusion:कुल मिलाकर अगर बात करें तो भागलपुर में अभी मौजूदा परिप्रेक्ष्य में 2 विधानसभा नाथनगर और गोपालपुर प्रतिनिधि जदयू खेमे से हैं जिसकी वजह से जदयू की दावेदारी काफी मजबूत मानी जा रही है और साथ ही साथ बीजेपी ने 2014 के चुनाव में 22 सीटों पर फतेह हासिल की थी और इस बार 2019 के चुनाव में 17 सीट को लेकर आपसी निर्णय हुआ था जिसकी वजह से पांच जीते हुए उम्मीदवारों को भी भाजपा को इस बार चुनाव के मैदान से दूर करना पड़ा तो वैसी परिस्थिति में बीजेपी के शाहनवाज हुसैन तो हारे हुए उम्मीदवार थे इसलिए लोग अनुमान लगा रहे हैं कि उन्हें भागलपुर के चुनावी मैदान से दूर किया गया है और फिर हाल भागलपुर के लोग एनडीए के उम्मीदवार के नाम की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं , कयास लगाए जा रहे हैं की आरजेडी से शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल शायद इसलिए पिछले चुनाव में जीत गए क्योंकि भागलपुर लोकसभा क्षेत्र के मंडल बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है , वैसे परिस्थिति में शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल के टककर में भागलपुर में जदयू अजय मंडल के नाम की भी चर्चा हो रही है क्योंकि भागलपुर में अपनी स्थिति को मजबूत बनाने के लिए एनडीए के द्वारा मंडल कार्ड खेलने से शायद बुलो मंडल को इस बार चुनाव में पिछले चुनाव की तरह मंडलों का वोट नहीं मिले , भागलपुर में अल्पसंख्यक वोटर भी लगभग 4.5 लाख से 5 लाख की संख्या में है तो वैसे स्थिति में जदयू अल्पसंख्यक उम्मीदवार को भी मैदान में उतार सकती है फिलहाल घोषणा होने के पहले चर्चाओं का बाजार भागलपुर में पूरी तरह गर्म है और लोग उम्मीदवार के नाम घोषित होने का इंतजार कर रहे हैं ।
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