भागलपुर: 5 अगस्त को राम जन्म भूमि अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण की नींव रखी जा रही है. देशभर में उत्साह का माहौल है. मंदिर पूजन के लिए नक्षत्र और तमाम मान्यताओं का विशेष ध्यान रखा गया है. ऐसी ही एक मान्यता के चलते मंदिर की नींव के लिए भागलपुर से गंगाजल और मिट्टी मंगाई गई है. इसको लेकर जिला वासियों में जहां खुशी का माहौल है. तो वहीं, अंग देश भागरपुर से एक पौराणिक दंत कथा भी सामने आई है.
धार्मिक पुराणों में भी भगवान श्री राम और भागलपुर अंग देश गहरा संबंध देखने को मिलता है. भागलपुर अंग देश स्थित बाबा अजगैबीनाथ और बूढ़ानाथ मंदिर की मिट्टी और यहां बहने वाली पतित पावनी मां गंगा का जल मंगाया गया है, जो अपने आप में काफी महत्व रखता है. ईटीवी भारत से बात करते हुए अजगैबीनाथ धाम के महंत ने कई पौराणिक कथाएं बतायी हैं.
भगवान राम की बहन शांता
महंत प्रेमानंद गिरी ने बताया कि ऐसा कहा जाता है कि श्री राम चार भाई थे. लेकिन धर्म ग्रंथों के अनुसार, 'राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या और अंग देश के राजा रोम पद की पत्नी रानी वर्षिणी दोनों सगी बहनें थीं. श्री राम के जन्म से पहले कौशल्या ने एक पुत्री को जन्म दिया था, जिसे रानी कौशल्या ने अपनी बहन वर्षिणी को सौंप दिया. इस पुत्री का नाम शांता था, जो अंग देश की राजकुमारी बनीं.
वचन अनुसार सौंपी पुत्री
कहा जाता है कि कौशल्या ने अपनी बहन को वचन दिया था कि वो अपनी पहली संतान को उन्हें सौंप देंगी क्योंकि उनकी बहन वर्षिणी निसंतान थीं. इसके बाद जैसे ही शांता हुईं. राजा दशरथ ने अपने दिए वचन के अनुसार उन्हें अंग देश के राजा रोमपद को सौंप दिया. शांता का पालन पोषण अंग देश के राजा रोमपद के यहां ही हो रहा था. इस दौरान अंग देश में अकाल पड़ गया.
श्रृंगी ऋषि से हुआ शांता का विवाह
जिस समय अंग देश में अकाल पड़ा, उस दौरान राजा रोमपद ने श्रृंगी ऋषि को अपने यहां आने का निमंत्रण दिया. ऐसा कहा जाता था कि श्रृंगी ऋषि जहां जाते थे. वहां बारिश होती थी इसलिए अंग देश के राजा ने श्रृंगी ऋषि को अंगदेश आने का निमंत्रण दिया. वहीं, श्रृंगी ऋषि राजकुमारी शांता की तरफ आकर्षित हुए और उनसे विवाह कर अंग देश में ही रहने लगे.
ऐसे जन्में भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न
अयोध्या नरेश राजा दशरथ चाहते थे कि उनका रघुकुल वंश आगे बढ़े. लेकिन उन्हें संतान प्राप्ति नहीं हो रही थी. उन्होंने पुत्रकामेश्ठि यज्ञ के लिए अंग प्रदेश ऋषि श्रृंगी को निमंत्रण भेजा. ऋषि श्रृंगी ने अपनी पत्नी एवं अंग देश की राजकुमारी शांता के साथ यज्ञ में शामिल होने की इच्छा प्रकट की. इसके बाद ऋषि श्रृंगी एवं राजकुमारी शांता भी राजा दशरथ द्वारा किए गए पुत्रकामेश्ठि यज्ञ में शामिल हुए. इस यज्ञ के बाद अयोध्या में राम, लक्ष्मण, भरत एवं शत्रुघ्न का जन्म हुआ.
- राम जन्म का इतिहास बिना अंग प्रदेश के संपूर्ण नहीं हो सकता. इसलिए अंग प्रदेश में स्थित अजगैबीनाथ धाम की मिट्टी और गंगा जल का महत्व काफी ज्यादा बढ़ जाता है.
ये भी महत्व
भागलपुर से 26 किलोमीटर पश्चिम सुल्तानगंज में उत्तरावाहिनी गंगा के बीच ग्रेनटिक पत्थर की विशाल चट्टान पर अजगैबीनाथ मंदिर स्थित है. आनंद रामायण के अनुसार, इस प्रसिद्ध मंदिर का पहले नाम विल्वेश्वर महादेव हुआ करता था. राजा राम अपने राज्याभिषेक के बाद माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ तीर्थाटन करने यहां पहुंचे थे.
दंत कथाओं के अनुसार, अजगैबीनाथ मंदिर की स्थापना ऋषि मुनि जाह्नवी ने की थी. उन्होंने भगवान शिव को धनुष 'अजगर' यहीं रखा था, जिस वजह से इस मंदिर का नाम अजगैबीनाथ पड़ गया.
इस राक्षस का वध कर भगवान राम आए भागलपुर
बूढ़ानाथ मंदिर धार्मिक धरोहर के रूप में समृद्ध और विश्व विख्यात मंदिर है. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण त्रेता युग में हुआ था. पौराणिक कथानुसार, बक्सर से ताड़का सुर का वध करने के बाद वशिष्ठ मुनी अपने शिष्य राम और लक्ष्मण के साथ भागलपुर आए थे और उसी समय यहां उन्होंने बूढ़ानाथ मंदिर की स्थापना कर शिवलिंग की पूजा-अर्चना की थी. शिव पुराण के द्वादश अध्याय में भी इसका वर्णन है. इसी मंदिर के नाम से ही मोहल्ले का नाम भी बूढ़ानाथ रखा गया है.