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कोरोना के कारण फीकी हुई श्रावणी मेले की चमक, इस साल नहीं नजर आएंगे कांवड़िए - अजगैबीनाथ मंदिर भागलपुर

भागलपुर का अजगैबीनाथ मंदिर वीरान पड़ा हुआ है. इस साल कोरोना संक्रमण के कारण विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला का आयोजन नहीं किया जाएगा.

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Published : Jun 26, 2020, 8:13 PM IST

Updated : Jun 26, 2020, 8:49 PM IST

भागलुपर: जिले के अजगैबीनाथ मंदिर में लगने वाला श्रावणी मेला विश्व प्रसिद्ध है. सावन के महीने में लगने वाले इस मेला का भक्त साल भर इंतजार करते हैं. महीनों पहले से इसकी तैयारियां शुरू कर दी जाती है. लेकिन, इस साल कोरोना के कहर से कोई अछूता नहीं रहा है.

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इस साल नहीं लगेगा श्रावणी मेला

अजगैबीनाथ मंदिर में लगने वाले श्रावणी मेला का आयोजन इस बार नहीं होगा. दरअसल, विश्वव्यापी कोरोना संक्रमण के मद्देनजर सरकार ने सभी तरह की सार्वजनिक गतिविधियों पर रोक लगा रखी है. इस गाइडलाइन के तहत ही 2020 में लगने वाले श्रावणी मेला को कैंसिल कर दिया गया है.

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सुल्तानगंज से शुरू होती है कांवड़ यात्रा

6 जुलाई से शुरू होना था मेला
इस साल सावन का महीना 6 जुलाई सोमवार से शुरू हो रहा है. लेकिन, श्रावणी मेला को लेकर हर साल प्रशासिनक स्तर जो तैयारियां दिखती थी वह नजर नहीं आ रही हैं. मंदिर में भक्तों की एंट्री पर रोक है. नतीजतन चारों ओर वीरानी दिखाई पड़ रही है. इसको लेकर आमजनों के साथ-साथ मेला में दुकान लगातार गुजर-बसर करने वाले दुकानदारों में खासी मायूसी नजर आ रही है.

पेश है रिपोर्ट

हर साल बड़े स्तर पर होता है आयोजन
जिला प्रशासन की ओर से श्रावणी मेला पर लगभग हर वर्ष 12 लाख रुपये खर्च किए जाते हैं. सुरक्षा व्यवस्था के दृष्टिकोण से भी पूरे कांवड़िया पथ सुल्तानगंज के अजगैबीनाथ उत्तरवाहिनी गंगा घाट पर सीसीटीवी कैमरा और पुरुष- महिला पुलिस बल की तैनाती की जाती है. साथ ही साथ भारी संख्या में मजिस्ट्रेट की तैनाती होती है. कई कंट्रोल रूम भी बनाए जाते हैं. लेकिन, इस बार सब शांत पड़ा हुआ है.

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पिछले साल के श्रावणी मेले की तस्वीर

यहीं से शुरू होती है कांवर यात्रा
कांवड़ यात्रा के लिए शिवभक्त सुल्तानगंज से जल भरकर झारखंड के बाबा बैद्यनाथ धाम एवं बासुकीनाथ धाम जाते हैं. इस कारण इसकी विशेष मान्यता है. श्रावणी मेला के दौरान देश के कई राज्यों से श्रद्धालु लाखों की संख्या में उत्तरवाहिनी गंगा में स्नान कर जल लेकर पैदल कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं.

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श्रावणी मेले की रौनक (फाइल फोटो)

मेला के कारण जलता है हजारों घरों का चूल्हा
बता दें कि श्रावणी मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है. इस मेला के कारण हजारों लोगों के घरों का चूल्हा जलता है. यह कई परिवारों के आर्थिक जीवन का आधार भी है. लेकिन, कोरोना वायरस के कारण इस बार हजारों लोगों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा. भागलपुर में श्रावणी मेला की तैयारी तकरीबन 2 महीने पहले ही शुरू हो जाती थी. लेकिन, इस बार झारखंड सरकार की ओर से देवघर और बासुकीनाथ में सावन के दौरान पूजा करने की इजाजत नहीं दी जा रही है, जिसे लेकर भागलपुर सुल्तानगंज के अजगैबीनाथ धाम में श्रावणी मेला लगाने की मनाही कर दी गई है.

भागलुपर: जिले के अजगैबीनाथ मंदिर में लगने वाला श्रावणी मेला विश्व प्रसिद्ध है. सावन के महीने में लगने वाले इस मेला का भक्त साल भर इंतजार करते हैं. महीनों पहले से इसकी तैयारियां शुरू कर दी जाती है. लेकिन, इस साल कोरोना के कहर से कोई अछूता नहीं रहा है.

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इस साल नहीं लगेगा श्रावणी मेला

अजगैबीनाथ मंदिर में लगने वाले श्रावणी मेला का आयोजन इस बार नहीं होगा. दरअसल, विश्वव्यापी कोरोना संक्रमण के मद्देनजर सरकार ने सभी तरह की सार्वजनिक गतिविधियों पर रोक लगा रखी है. इस गाइडलाइन के तहत ही 2020 में लगने वाले श्रावणी मेला को कैंसिल कर दिया गया है.

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सुल्तानगंज से शुरू होती है कांवड़ यात्रा

6 जुलाई से शुरू होना था मेला
इस साल सावन का महीना 6 जुलाई सोमवार से शुरू हो रहा है. लेकिन, श्रावणी मेला को लेकर हर साल प्रशासिनक स्तर जो तैयारियां दिखती थी वह नजर नहीं आ रही हैं. मंदिर में भक्तों की एंट्री पर रोक है. नतीजतन चारों ओर वीरानी दिखाई पड़ रही है. इसको लेकर आमजनों के साथ-साथ मेला में दुकान लगातार गुजर-बसर करने वाले दुकानदारों में खासी मायूसी नजर आ रही है.

पेश है रिपोर्ट

हर साल बड़े स्तर पर होता है आयोजन
जिला प्रशासन की ओर से श्रावणी मेला पर लगभग हर वर्ष 12 लाख रुपये खर्च किए जाते हैं. सुरक्षा व्यवस्था के दृष्टिकोण से भी पूरे कांवड़िया पथ सुल्तानगंज के अजगैबीनाथ उत्तरवाहिनी गंगा घाट पर सीसीटीवी कैमरा और पुरुष- महिला पुलिस बल की तैनाती की जाती है. साथ ही साथ भारी संख्या में मजिस्ट्रेट की तैनाती होती है. कई कंट्रोल रूम भी बनाए जाते हैं. लेकिन, इस बार सब शांत पड़ा हुआ है.

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पिछले साल के श्रावणी मेले की तस्वीर

यहीं से शुरू होती है कांवर यात्रा
कांवड़ यात्रा के लिए शिवभक्त सुल्तानगंज से जल भरकर झारखंड के बाबा बैद्यनाथ धाम एवं बासुकीनाथ धाम जाते हैं. इस कारण इसकी विशेष मान्यता है. श्रावणी मेला के दौरान देश के कई राज्यों से श्रद्धालु लाखों की संख्या में उत्तरवाहिनी गंगा में स्नान कर जल लेकर पैदल कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं.

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श्रावणी मेले की रौनक (फाइल फोटो)

मेला के कारण जलता है हजारों घरों का चूल्हा
बता दें कि श्रावणी मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है. इस मेला के कारण हजारों लोगों के घरों का चूल्हा जलता है. यह कई परिवारों के आर्थिक जीवन का आधार भी है. लेकिन, कोरोना वायरस के कारण इस बार हजारों लोगों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा. भागलपुर में श्रावणी मेला की तैयारी तकरीबन 2 महीने पहले ही शुरू हो जाती थी. लेकिन, इस बार झारखंड सरकार की ओर से देवघर और बासुकीनाथ में सावन के दौरान पूजा करने की इजाजत नहीं दी जा रही है, जिसे लेकर भागलपुर सुल्तानगंज के अजगैबीनाथ धाम में श्रावणी मेला लगाने की मनाही कर दी गई है.

Last Updated : Jun 26, 2020, 8:49 PM IST
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