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बाढ़ के बावजूद राहत शिविरोंं में आकर बहनों ने भाइयों को बांधी राखी, नहीं लिया कोई भी उपहार - Sisters tie rakhi to brothers in relief camp

बिहार में बाढ़ का कहर जारी है. इसके बावजूद भागलपुर में बाढ़ पीड़ितों ने रक्षाबंधन का पर्व उत्साहपूर्वक मनाया. बहनों ने अपने भाइयों की कलाई पर राहत शिविर में राखी बांधी और उन्हें रक्षाबंधन की बधाई दी. इस दौरान भाइय ने बहनों को उपहार नहीं दे पाने को लेकर चिन्तित नजर आये. पढ़ें पूरी खबर.

बांधी राखी
बांधी राखी
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Published : Aug 22, 2021, 7:38 PM IST

भागलपुर: भाई बहन के अटूट प्रेम और स्नेह का त्योहार रक्षाबंधन (Festival of Rakshabandhan) देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है. बिहार के भागलपुर में बाढ़ (Flood in Bhagalpur) की मार झेल रहे हजारों भाइयों और बहनों के लिए यह इस बार फीका रहा. लेकिन उनके उत्साह में कोई कमी नजर नहीं आयी. इस विपदा की घड़ी में भी बहनों ने भाइयों की कलाई पर रेशम की डोर बांधकर भगवान से दुआ मांगी. बहनों को उपहार और भेंट नहीं दे पाने का भाइयों को मलाल है. वहीं, बहनों ने कहा कि हमें कुछ नहीं चाहिए, हमें अपने भाइयों का प्रेम चाहिए.

ये भी पढ़ें- CM नीतीश ने पीपल के पेड़ को बांधी राखी, कहा- नई पीढ़ी के लिए पर्यावरण की सुरक्षा जरूरी

बता दें कि बाढ़ से हजारों की संख्या में लोग बेघर हो गये हैं और वे भागलपुर के हवाई अड्डा में बनाये गये सरकारी राहत शिविर में दिन काट रहे हैं. आज रक्षाबंधन के अवसर पर बाढ़ से पीड़ित होने पर भी बहनें अपने भाइयों को दूर-दूर से चलकर राखी बांधने पहुंचीं. बाढ़ के चलते उन्हें भाइयों के घर पहुंचने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. लेकिन उनका प्रेम नहीं डिगा और वे पहुंच ही गयीं. हालांकि बाढ़ पीड़ित इलाके में रह रहे लोगों ने उत्साह और उमंग के साथ राहत शिविरों में राखियां बंधवायी.

राहत शिविर में रह रहे प्रदीप कुमार ने बताया कि पिछले वर्ष धूमधाम से राखी का त्योहार मनाया गया था. राखी बांधने के बाद बहन को उपहार भी दिया था. लेकिन इस बार हम लोगों का त्योहार फीका हो गया है. राहत शिविर में राखी बांधने के लिए बहन आयी है. हमारे पास उन्हें देने के लिए कुछ नहीं है. इसका हमें काफी मलाल है.

देखें वीडियो

राखी बांधने आयी ज्योति कुमारी ने बताया कि बाढ़ के कारण रास्ता पूरी तरह से खराब हो गया है. काफी घूमकर यहां आना पड़ा. मेरा भाई राहत शिविर में शरण लिये हुए है. अपने भाई की कलाई पर राखी बांधा लेकिन उनसे कोई भी उपहार नहीं लिया. भाई अभी वो कष्ट में है. इस विपदा की घड़ी में हमेशा हम भाई के साथ हैं. राखी बांध कर हम भगवान से उसकी लंबी आयु की कामना किए हैं.

ये भी पढ़ें- LIVE VIDEO: बहन से सांप को राखी बंधवा रहा था भाई तभी नाग ने काटा, युवक की मौत

कृष्ण कुमार मंडल और विजय कुमार बताया कि उनकी बहन काफी दूर से उन्हें राखी बांधने के लिए आयी जोकि खुद भी बाढ़ से प्रभावित है. लेकिन राखी बांधने के लिए यहां शिविर में आयी है. उसे यहां तक आने के लिए काफी कष्ट सहना पड़ा. फोन बंद होने से उसे जानकारी नहीं थी कि हम लोग राहत शिविर में रह रहे हैं. पहले नाव से वो अमरी बिशनपुर हमारे घर पर गयी. जब वहां सारा गांव डूबा हुआ नजर आया तो फिर वहां लोगों से पूछकर नाव से यहां आयी. इतनी दिक्कत के बाद भी बहन को हम कुछ नहीं दे सके, इसका हम लोगों को काफी दुख है.

राखी बांधने आयी काजल कुमारी ने बताया कि उन्हें नहीं पता था कि उनका भाई घर में नहीं है. इसलिए हम घर पर गये और वहां घर डूबा देखा तो लोगों से पूछकर यहां आये. कभी नाव से तो कभी ऑटो से कभी पैदल चलने के बाद बड़ी मुश्किल से यहां पहुंचे हैं. आज का दिन ही भाई का है. इसलिए हमें यहां आना था, चाहे कितना भी कष्ट होता.

ये भी पढ़ें- बहनों ने भाई की कलाई पर बांधी राखी, लिया रक्षा का वचन

राखी बांधने आयी मनु कुमारी ने बताया कि भाई की कलाई पर राखी बांधी है. हर वर्ष हम उपहार लेते रहे हैं. लेकिन इस बार उपहार में कुछ नहीं लिया क्योंकि भाई अभी परेशान है. उसका पूरा घर डूब गया है और सारा सामान भी बर्बाद हो गया है. इतने कष्ट में भाई से हम कैसे उपहार ले सकते हैं.

भागलपुर: भाई बहन के अटूट प्रेम और स्नेह का त्योहार रक्षाबंधन (Festival of Rakshabandhan) देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है. बिहार के भागलपुर में बाढ़ (Flood in Bhagalpur) की मार झेल रहे हजारों भाइयों और बहनों के लिए यह इस बार फीका रहा. लेकिन उनके उत्साह में कोई कमी नजर नहीं आयी. इस विपदा की घड़ी में भी बहनों ने भाइयों की कलाई पर रेशम की डोर बांधकर भगवान से दुआ मांगी. बहनों को उपहार और भेंट नहीं दे पाने का भाइयों को मलाल है. वहीं, बहनों ने कहा कि हमें कुछ नहीं चाहिए, हमें अपने भाइयों का प्रेम चाहिए.

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बता दें कि बाढ़ से हजारों की संख्या में लोग बेघर हो गये हैं और वे भागलपुर के हवाई अड्डा में बनाये गये सरकारी राहत शिविर में दिन काट रहे हैं. आज रक्षाबंधन के अवसर पर बाढ़ से पीड़ित होने पर भी बहनें अपने भाइयों को दूर-दूर से चलकर राखी बांधने पहुंचीं. बाढ़ के चलते उन्हें भाइयों के घर पहुंचने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. लेकिन उनका प्रेम नहीं डिगा और वे पहुंच ही गयीं. हालांकि बाढ़ पीड़ित इलाके में रह रहे लोगों ने उत्साह और उमंग के साथ राहत शिविरों में राखियां बंधवायी.

राहत शिविर में रह रहे प्रदीप कुमार ने बताया कि पिछले वर्ष धूमधाम से राखी का त्योहार मनाया गया था. राखी बांधने के बाद बहन को उपहार भी दिया था. लेकिन इस बार हम लोगों का त्योहार फीका हो गया है. राहत शिविर में राखी बांधने के लिए बहन आयी है. हमारे पास उन्हें देने के लिए कुछ नहीं है. इसका हमें काफी मलाल है.

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राखी बांधने आयी ज्योति कुमारी ने बताया कि बाढ़ के कारण रास्ता पूरी तरह से खराब हो गया है. काफी घूमकर यहां आना पड़ा. मेरा भाई राहत शिविर में शरण लिये हुए है. अपने भाई की कलाई पर राखी बांधा लेकिन उनसे कोई भी उपहार नहीं लिया. भाई अभी वो कष्ट में है. इस विपदा की घड़ी में हमेशा हम भाई के साथ हैं. राखी बांध कर हम भगवान से उसकी लंबी आयु की कामना किए हैं.

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कृष्ण कुमार मंडल और विजय कुमार बताया कि उनकी बहन काफी दूर से उन्हें राखी बांधने के लिए आयी जोकि खुद भी बाढ़ से प्रभावित है. लेकिन राखी बांधने के लिए यहां शिविर में आयी है. उसे यहां तक आने के लिए काफी कष्ट सहना पड़ा. फोन बंद होने से उसे जानकारी नहीं थी कि हम लोग राहत शिविर में रह रहे हैं. पहले नाव से वो अमरी बिशनपुर हमारे घर पर गयी. जब वहां सारा गांव डूबा हुआ नजर आया तो फिर वहां लोगों से पूछकर नाव से यहां आयी. इतनी दिक्कत के बाद भी बहन को हम कुछ नहीं दे सके, इसका हम लोगों को काफी दुख है.

राखी बांधने आयी काजल कुमारी ने बताया कि उन्हें नहीं पता था कि उनका भाई घर में नहीं है. इसलिए हम घर पर गये और वहां घर डूबा देखा तो लोगों से पूछकर यहां आये. कभी नाव से तो कभी ऑटो से कभी पैदल चलने के बाद बड़ी मुश्किल से यहां पहुंचे हैं. आज का दिन ही भाई का है. इसलिए हमें यहां आना था, चाहे कितना भी कष्ट होता.

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राखी बांधने आयी मनु कुमारी ने बताया कि भाई की कलाई पर राखी बांधी है. हर वर्ष हम उपहार लेते रहे हैं. लेकिन इस बार उपहार में कुछ नहीं लिया क्योंकि भाई अभी परेशान है. उसका पूरा घर डूब गया है और सारा सामान भी बर्बाद हो गया है. इतने कष्ट में भाई से हम कैसे उपहार ले सकते हैं.

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