भागलपुर: जिले के इशाकचक थाना क्षेत्र के रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने को लेकर रेलवे प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है. इसको लेकर रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग ने भागलपुर जिला प्रशासन से अनुमति लेने की बात कही है.
गौरतलब है कि जिला प्रशासन ने इसकी अनुमति बीते 1 साल से नहीं दिया है. रेल प्रशासन ने दिसंबर 2019 को ही जिलाधिकारी से इस संबंध अनुमति मांगा था और अतिक्रमण हटाने के दौरान दंडाधिकारी प्रतिनियुक्त करने का मांग की थी, लेकिन पहले पैक्स चुनाव का हवाला दिया गया. इसके बाद कोरोना वायरस फिर बिहार विधानसभा चुनाव इस कारण अतिक्रमण नहीं हटाया जा सका.
रेलवे की जमीन पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा
एक बार फिर से रेल प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने को लेकर कवायद शुरू कर दी है. रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण का खेल वर्षों से चला रहा है. भागलपुर से मालदा रेल सेक्शन के बीच करीब 200 किलोमीटर के दायरे में 20 जगहों पर रेलवे की बेशकीमती जमीन पर अतिक्रमणकारियों ने अवैध कब्जा कर रखा है. बार-बार हटाए जाने के बावजूद हालात जस के तस हैं. इन्हें हटाने और बसाने के पीछे बड़ा खेल चल रहा है. जब जब रेल महाप्रबंधक और डीआरएम का दौरा होता है तो अतिक्रमणकारियों को हटाने की सूचना दे दी जाती है. दौरा के बाद अतिक्रमणकारी फिर पुरानी जगह पर लौट आते हैं.
मालदा डिवीजन के डीआरएम यतेंद्र कुमार कहा कि "अतिक्रमणकारियों को हटाने के लिए तैयारी शुरू कर दी है. इसकी सूची भी तैयार हो रही है. मुख्यालय को भी इस से अवगत कराया जा रहा."
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बता दें कि अभी मालदा रेल मंडल के अधीन मिर्जाचौकी, पीरपैंती, शिवनारायणपुर, विक्रमशिला, सबौर, लैलख, भागलपुर-कोइली खुटाहा हॉल्ट, हॉट पुरैनी जगदीशपुर हॉल्ट, भागलपुर-नाथनगर, अकबरनगर-महेशी, सुल्तानगंज, कल्याणपुर-बरियारपुर और भागलपुर भीखनपुर रेल गुमटी के पास सैकड़ों लोगों ने अतिक्रमण कर दुकान और झोपड़ी बना लिया है.
अतिक्रमण रेल परिचालन में बड़ी बाधा
रेल ट्रैक के किनारे रह रहे अतिक्रमण करने वाले लोग पटरियों पर ही शौच करते हैं. इस वजह से पटरियों और सिग्नल के रखरखाव करने वाले लोगों को परेशानी होती है. गंदगी की वजह से मरम्मत कार्य भी ठीक से नहीं हो पाता है. जो सुरक्षित रेल परिचालन के लिए खतरनाक है.