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Lockdown Effect: प्राइवेट क्लीनिकों पर लटका ताला, बढ़ी लोगों की परेशानी

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Published : Apr 22, 2020, 12:09 PM IST

लॉकडाउन के कारण सभी दुकानें बंद हैं. ऐसे में निजी क्लीनिकों पर भी ताला लगा है. इससे लोगों की परेशानी काफी बढ़ गई है.

लॉकडाउन के कारण निजी क्लीनिक बंद
लॉकडाउन के कारण निजी क्लीनिक बंद

भागलपुर: एक तरफ कोरोना के संक्रमण के खतरे के बीच जिले के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर और कर्मचारी 24 घंटे डटे हुए हैं, तो वहीं दूसरी तरफ कई निजी क्लीनिक बंद हो गए हैं. प्राइवेट डॉक्टरों ने अपने क्लीनिक में ताला लगा दिया है. इस कारण छोटी-मोटी बीमारियों से ग्रसित होने वाले लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है.

दरअसल, जिले में नर्सिंग होम और क्लीनिक को मिलाकर करीब 100 से अधिक अस्पताल संचालित हो रहे हैं. वहीं, सरकारी अस्पतालों में कई सेवा बंद है. केवल इमरजेंसी सेवाओं का संचालन हो रहा है, जिससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है. निजी क्लीनिक बंद होने के संबंध में जिलाधिकारी ने आईएमएस के साथ मीटिंग कर निजी क्लीनिक को खोलने का आह्वान किया है.

मरीजों को भर्ती करने से कन्नी काट रहे अस्पतालकर्मी
जानकारी के मुताबिक नर्सिंग होम संचालक इन दिनों सर्जरी के मामले तो देख रहे हैं. लेकिन, मरीजों को भर्ती करने से कन्नी काट रहे हैं. ऐसे में परेशान मरीज प्राइवेट अस्पतालों का चक्कर काट रहे हैं. सर्दी-जुकाम और बुखार के मरीज को लौटा दिया जा रहा है. उन्हें जिला अस्पताल जाने की सलाह दी जा रही है. कई अस्पतालों में तो इसका बोर्ड भी लगा दिया गया है.

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निजी नर्सिंग होम बंद होने से लोगों को हो रही परेशानी

विधायक ने की क्लीनिक खोलने की मांग
मामले पर नगर विधायक अजीत शर्मा ने कहा कि निजी क्लीनिक को खोला जाना चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार जब देश में लॉकडॉउन लगाया था तो सब बंद करने का निर्देश जारी किया था. लेकिन, दूसरी बार में उन्होंने सभी निजी क्लीनिक को खोलने का निर्देश दिया है. ताकि आम लोगों को परेशानी से निजात दिलाया जा सके. उन्होंने कहा कि मैं शहर के सभी निजी क्लीनिक और नर्सिंग होम के डॉक्टरों से अपील करता हूं कि वह अपने नर्सिंग होम और क्लीनिक को खोलें और आम लोगों की मदद करें.

डीएम ने की आईएमए सी अपील
जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने कहा कि निजी क्लीनिक खोलने के लिए आईएमए से बातचीत हुई है. उनसे जिले में चल रहे सभी निजी क्लीनिक और नर्सिंग होम खोलने का आग्रह किया गया है. निजी क्लीनिक और नर्सिंग होम के बंद होने से गांव और दूर-दराज क्षेत्र से आने वाले मरीज को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. नतीजतन, लोग अब लोग झोलाछाप डॉक्टरों से सलाह लेकर दवाओं का सेवन करने को मजबूर हैं.

भागलपुर: एक तरफ कोरोना के संक्रमण के खतरे के बीच जिले के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर और कर्मचारी 24 घंटे डटे हुए हैं, तो वहीं दूसरी तरफ कई निजी क्लीनिक बंद हो गए हैं. प्राइवेट डॉक्टरों ने अपने क्लीनिक में ताला लगा दिया है. इस कारण छोटी-मोटी बीमारियों से ग्रसित होने वाले लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है.

दरअसल, जिले में नर्सिंग होम और क्लीनिक को मिलाकर करीब 100 से अधिक अस्पताल संचालित हो रहे हैं. वहीं, सरकारी अस्पतालों में कई सेवा बंद है. केवल इमरजेंसी सेवाओं का संचालन हो रहा है, जिससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है. निजी क्लीनिक बंद होने के संबंध में जिलाधिकारी ने आईएमएस के साथ मीटिंग कर निजी क्लीनिक को खोलने का आह्वान किया है.

मरीजों को भर्ती करने से कन्नी काट रहे अस्पतालकर्मी
जानकारी के मुताबिक नर्सिंग होम संचालक इन दिनों सर्जरी के मामले तो देख रहे हैं. लेकिन, मरीजों को भर्ती करने से कन्नी काट रहे हैं. ऐसे में परेशान मरीज प्राइवेट अस्पतालों का चक्कर काट रहे हैं. सर्दी-जुकाम और बुखार के मरीज को लौटा दिया जा रहा है. उन्हें जिला अस्पताल जाने की सलाह दी जा रही है. कई अस्पतालों में तो इसका बोर्ड भी लगा दिया गया है.

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निजी नर्सिंग होम बंद होने से लोगों को हो रही परेशानी

विधायक ने की क्लीनिक खोलने की मांग
मामले पर नगर विधायक अजीत शर्मा ने कहा कि निजी क्लीनिक को खोला जाना चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार जब देश में लॉकडॉउन लगाया था तो सब बंद करने का निर्देश जारी किया था. लेकिन, दूसरी बार में उन्होंने सभी निजी क्लीनिक को खोलने का निर्देश दिया है. ताकि आम लोगों को परेशानी से निजात दिलाया जा सके. उन्होंने कहा कि मैं शहर के सभी निजी क्लीनिक और नर्सिंग होम के डॉक्टरों से अपील करता हूं कि वह अपने नर्सिंग होम और क्लीनिक को खोलें और आम लोगों की मदद करें.

डीएम ने की आईएमए सी अपील
जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने कहा कि निजी क्लीनिक खोलने के लिए आईएमए से बातचीत हुई है. उनसे जिले में चल रहे सभी निजी क्लीनिक और नर्सिंग होम खोलने का आग्रह किया गया है. निजी क्लीनिक और नर्सिंग होम के बंद होने से गांव और दूर-दराज क्षेत्र से आने वाले मरीज को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. नतीजतन, लोग अब लोग झोलाछाप डॉक्टरों से सलाह लेकर दवाओं का सेवन करने को मजबूर हैं.

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