भागलपुर: लॉकडाउन के दौरान कई मजदूरों का रोजगार छिन गया. उसे पटरी पर लाने के लिए सरकार द्वारा रोजगार उपलब्ध कराने के दावे किए गए थे. जिले में विभाग के पोर्टल पर 43,624 प्रवासी मजदूरों का पंजीकरण किया गया. लेकिन मात्र 5,000 से 6,000 लोगों को ही अब तक रोजगार मिल पाया है.
बता दें कि उद्योग विभाग महाप्रबंधक द्वारा विभिन्न विभागों को प्रवासी मजदूर के रोजगार को लेकर पत्राचार किया गया. लेकिन उन विभागों की उदासीनता की वजह से प्रवासी मजदूर को रोजगार नहीं मिला है. जिला निबंधन परामर्श केंद्र के प्रबंधक श्री प्रकाश ने बताया कि अब तक 30,000 लोगों का डाटा मिला था. जिसमें से सिर्फ 24,000 लोगों को कॉल किया गया. वहीं 18,000 लोगों का ही कॉल कनेक्ट हुआ. जिले के इस केंद्र पर महज 606 प्रवासी मजदूरों का ही निबंधन किया गया है. उनके रोजगार को लेकर प्रयास किया जा रहा है.
महज 780 लोगों को ही मिला रोजगार
वहीं जिला उद्योग विभाग के महाप्रबंधक रामशरण राम ने बताया कि दूसरे शहर से भागलपुर पहुंचे प्रवासी मजदूरों का निबंधन कराया गया है. विभाग के पोर्टल पर 43,642 लोगों का रजिस्ट्रेशन हुआ है. विभिन्न विभागों द्वारा जो रोजगार दिया जाना था उसमें 18,784 लोगों की जरूरत बतायी गई. उन विभागों के वेबसाइट पर 4,636 लोगों ने अपना डाटा लोड किया. लेकिन उसमें से महज 780 लोगों को ही रोजगार दिया गया. बाकी को रोजगार क्यों नहीं मिला इसका कारण न्योक्ता ने भी नहीं बतााया.
कुछ ही लोगों को मिल पाया रोजगार
इसके अलावा मनरेगा में 1,235 और शिक्षा विभाग में वॉल पेंटिंग में 536 लोगों को रोजगार दिया है. साथ ही आत्मनिर्भर योजना के तहत जिले में 5 जगहों पर कलस्टर तैयार किया जा रहा है. इसके अलावा एससी-एसटी के तहत रोजगार को लेकर लोन दिया जाना है. जिसमें विभाग द्वारा 460 लोगों ने आवेदन किया था. जिसमें 52 लोगों का विभाग द्वारा सत्यापन कर बैंक को भेजा गया. इसके अलावा प्रधानमंत्री रोजगार योजना द्वारा विभाग के वेबसाइट पर 90 लोगों ने डाटा लोड किया. लेकिन 38 को ही आईडेंटिफाई किया जा सका. जबकि 20 लोगों को बैंक द्वारा स्वीकृति मिली है.
पंजीकरण तक ही सिमट कर रह गई पूरी प्रक्रिया
बता दें कि लॉकडाउन के दौरान अप्रैल से जून के बीच हजारों मजदूर जिले में वापस आए हैं. दूसरे शहरों से लौटे इन प्रवासियों को काम दिलाने के लिए पूरा ब्यौरा तैयार किया गया था. ताकि प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर योजना के तहत प्रवासियों को उनकी योग्यता के आधार पर रोजगार उपलब्ध कराया जा सके. मगर यह कवायद पंजीकरण तक ही सिमट कर रह गई है. अधिकांश प्रवासी को अब तक रोजगार नहीं मिला.