भागलपुर: अंग प्रदेश के रूप में अपनी ऐतिहासिक पहचान रखने वाला भागलपुर में सभ्यता, संस्कृति से जुड़ी कई चीजें अंकित है. भारत वर्ष के 16 जनपद में शामिल अंग प्रदेश में समय के अनुसार संस्कृति के साथ-साथ भौगोलिक परिवर्तन भी देखने को मिल रही है.
भौगोलिक परिवर्तन के पीछे प्रकृति नहीं बल्कि इंसान का हाथ है. प्रकृति के दोहन और भौगोतिक परिवर्तन में सरकार की अनदेखी से इंकार नहीं किया जा सकता है. भागलपुर की ऐतिहासिक नदी चंपा बाइपास निर्माण में भेट चढ़ गई. बाइपास निर्माण कार्य के लिए चंपा नदी के बीचों-बीच निर्माण कंपनी जीआर इंफ्रा टेक ने मिट्टी भरकर रास्ता बना दिया. इसके कारण एक तरफ तो नदी में पानी फैला है. दूसरी तरफ नदी का बड़ा हिस्सा सूख गया है.
सूख चुकी है ऐतिहासिक चंपा नदी
इस नदी में पानी की उपस्थिति के कारण किसानों को पटवन करने में काफी सहूलियत होती थी. जिससे अब वंचित रहना पड़ रहा है. नदी के किनारे कृषि योग्य भूमि नदी के सूखने की वजह से प्रभावित हो गई है. नदी सूख कर नाले में तब्दील हो गई है. भागलपुर नगर निगम का कचरा और ड्रेनेज इसी नदी में खुलने के कारण पूरे शहर का गंदा पानी और गंदगी इसमें गिर रहा है. नदी के दोनों तरफ के हिस्से संकीर्ण हो गए हैं. वही भवन निर्माण एवं अन्य कार्यों के लिए नदी की मिट्टी काटी जा रही है. नदी को बंद कर तात्कालिक रास्ता बनाया गया था. सरकार ने भले ही नदियों को बचाने के लिए नमामि गंगे योजना की शुरुआत की थी. लेकिन इस नदी का कोई सुध लेने वाला नहीं है
नगर निगम की कुव्यवस्था कर रही नदी को समाप्त
दरअसल, चंपा नदी भागलपुर से गुजर रही गंगा से कटकर निकली एक छोटी नदी है. पूर्व में इस नदी के जरिए व्यवसायिक कार्य किए जाते थे. लेकिन समय के साथ नदी धीरे-धीरे सिमटती चली गई. वर्तमान समय में ऐतिहासिक चंपा नदी का एक बड़ा सा हिस्सा पूरी तरह से सूख चुका है. जबकि दूसरा हिस्सा नाले के रूप में तब्दील हो चुका है. संरक्षित करने के बजाए नगर निगम की कुव्यवस्था तथा बचीखुची कसर बाईपास निर्माण कंपनी जीआर इंफ्रा ने नदी को बर्बादी की कगार पर ला कर पुरी कर दी है. पूरे प्रदेश में जल संकट का खतरा मंडरा रहा है. पानी की भीषण किल्लत के बाद सरकार का ध्यान अचानक पोखर तालाब और छोटी नदियों को संरक्षित करने के लिए गई है. इससे इस नदी के पुनर्जन्म की आशा बढ़ गई है.