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भागलपुर: घरों में बह रहा 10 फीट पानी, फिर भी जान जोखिम में डालकर डटे हैं बाढ़ पीड़ित

गंगा के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि के कारण भागलपुर के कई प्रखंडो में बाढ़ की स्थिति बनी है. लोग अपना घर छोड़कर पलायन करने को मजबूर हैं. वहीं, चोरी के डर से घरों में 10 फीट से अधिक पानी प्रवेश करने से लोग जान जोखिम में डालकर छतों पर रह रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर.

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Published : Aug 14, 2021, 8:04 PM IST

भागलपुर: देश स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ (75th Anniversary of Independence Day) मना रहा है. बिहार में कई सरकारें आयीं और चली गयीं लेकिन आज भी लोगों को बाढ़ से निजात नहीं मिली है. आजादी के 75 साल बाद भी भागलपुर समेत बिहार के ज्यादातर इलाकों में बाढ़ की त्रासदी जारी है. 5 दिनों में गंगा के जलस्तर (Water Level of Ganga) में सर्वाधिक बढ़ोतरी हुई है. 24 घंटे में गंगा का जलस्तर 20 सेंटीमीटर बढ़ रहा है. बाढ़ से जिले के 11 प्रखंड के तकरीबन 121 गांव प्रभावित है. 98 गांव पूरी तरह से पानी में डूब गये हैं. जिससे लोग पलायन करने को मजबूर हैं. वहीं, कुछ लोग पानी भरने के बावजूद चोरी के डर से घर छोड़ने को तैयार नहीं हैं.

ये भी पढ़ें- चारों ओर बाढ़ का पानी, छप्पर पर बैठकर पढ़ाई कर रहा नीतीश

गंगा के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि के चलते भागलपुर में बाढ़ का कहर जारी है. लोगों के घर-बार पूरी तरह से डूब गये हैं और वे घरों की छतों पर रहने को मजबूर हैं. कई लोगों के घरों में 10 फीट से अधिक पानी भरा हुआ है. लेकिन चोरी के डर से वे जान जोखिम में डालकर झुग्गियों के ऊपर रह रहे हैं. खासकर सबौर प्रखंड के खनकित्ता, घोषपुर और बडेरगांव में लोग अपने घर के छप्पर पर रह कर बचे हुए सामानों की रखवाली कर रहे हैं. ये लोग सत्तू और मुड़ी-चूड़ा खाकर दिन गुजार रहे हैं. इन्हें पीने का पानी नसीब नहीं हो रहा है. जिससे मजबूरन इनको दूषित पानी पीना पड़ रहा है.

घर के छप्पर पर रह रही सुलोचना देवी ने बताया कि घर का सारा सामान छप्पर पर रखकर किसी तरह रह रही हूं. बाल-बच्चों को सबौर ब्लॉक में राहत शिविर में भेज दिया है. घर में चोरी होने का डर है, इसलिए घर छोड़कर नहीं जा रही हूं. अभी तक कोई भी प्रशासनिक अधिकारी देखने के लिए नहीं आये हैं. साल में दो-तीन महीने उनका पानी में ही बीतता है. बाढ़ आने से घर के सामान को लेकर चिंता होने लगती है और बाढ़ के बाद वापस जब घर पर आते हैं तो कीचड़ को साफ करने में महीनों गुजर जाता है.

ये भी पढ़ें- मवेशियों के साथ पलायन कर रहे बाढ़ पीड़ित, सड़कों पर रहने को मजबूर लोग

बाढ़ पीड़ित कारू कुमार का कहना है कि घर के सभी लोगों को ऊंचे स्थान पर पहुंचा दिए हैं. जरूरी सामान परिजनों के साथ भेज दिया है. लेकिन जो भारी और वजनी सामान है, वो घर पर है. जिसे घर के छप्पर पर रहकर हम रखवाली कर रहे हैं. सरकार को हम लोगों के लिए व्यवस्था करना चाहिए. हर साल हम लोग बाढ़ के कारण परेशान होते हैं. इसके लिए कोई ठोस प्रबंध करे और हम लोगों को ऊंचे स्थान पर रहने की व्यवस्था की जाये.

बाढ़ पीड़ित राजा कुमार ने बताया कि उनके घर में धान और मकई का बोरा रखा हुआ है. उसे अपने घर के छप्पर पर रखकर प्लास्टिक से ढक दिए हैं. उसकी रखवाली के लिए यहां रुके हैं. यदि घर को छोड़कर चले जाएंगे तो यहां चोर आते हैं. इसलिए घर को छोड़कर नहीं जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें- आरा शहर की ओर बढ़ रहा गंगा का पानी, कभी भी हो सकती कोई अनहोनी

बता दें कि जल संसाधन विभाग के अनुसार भागलपुर जिले में गंगा नदी का जलस्तर रविवार तक 34.79 मीटर तक पहुंचाने का अनुमान है. 2016 में आयी भयावह बाढ़ का रिकार्ड इस बार टूट सकता है. 2016 में गंगा नदी का जलस्तर 34.72 मीटर तक पहुंच गया था. बाढ़ की स्थिति को लेकर अगले 2 दिनों तक भागलपुर के लिए काफी अहम माना जा रहा है.

भागलपुर: देश स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ (75th Anniversary of Independence Day) मना रहा है. बिहार में कई सरकारें आयीं और चली गयीं लेकिन आज भी लोगों को बाढ़ से निजात नहीं मिली है. आजादी के 75 साल बाद भी भागलपुर समेत बिहार के ज्यादातर इलाकों में बाढ़ की त्रासदी जारी है. 5 दिनों में गंगा के जलस्तर (Water Level of Ganga) में सर्वाधिक बढ़ोतरी हुई है. 24 घंटे में गंगा का जलस्तर 20 सेंटीमीटर बढ़ रहा है. बाढ़ से जिले के 11 प्रखंड के तकरीबन 121 गांव प्रभावित है. 98 गांव पूरी तरह से पानी में डूब गये हैं. जिससे लोग पलायन करने को मजबूर हैं. वहीं, कुछ लोग पानी भरने के बावजूद चोरी के डर से घर छोड़ने को तैयार नहीं हैं.

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गंगा के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि के चलते भागलपुर में बाढ़ का कहर जारी है. लोगों के घर-बार पूरी तरह से डूब गये हैं और वे घरों की छतों पर रहने को मजबूर हैं. कई लोगों के घरों में 10 फीट से अधिक पानी भरा हुआ है. लेकिन चोरी के डर से वे जान जोखिम में डालकर झुग्गियों के ऊपर रह रहे हैं. खासकर सबौर प्रखंड के खनकित्ता, घोषपुर और बडेरगांव में लोग अपने घर के छप्पर पर रह कर बचे हुए सामानों की रखवाली कर रहे हैं. ये लोग सत्तू और मुड़ी-चूड़ा खाकर दिन गुजार रहे हैं. इन्हें पीने का पानी नसीब नहीं हो रहा है. जिससे मजबूरन इनको दूषित पानी पीना पड़ रहा है.

घर के छप्पर पर रह रही सुलोचना देवी ने बताया कि घर का सारा सामान छप्पर पर रखकर किसी तरह रह रही हूं. बाल-बच्चों को सबौर ब्लॉक में राहत शिविर में भेज दिया है. घर में चोरी होने का डर है, इसलिए घर छोड़कर नहीं जा रही हूं. अभी तक कोई भी प्रशासनिक अधिकारी देखने के लिए नहीं आये हैं. साल में दो-तीन महीने उनका पानी में ही बीतता है. बाढ़ आने से घर के सामान को लेकर चिंता होने लगती है और बाढ़ के बाद वापस जब घर पर आते हैं तो कीचड़ को साफ करने में महीनों गुजर जाता है.

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बाढ़ पीड़ित कारू कुमार का कहना है कि घर के सभी लोगों को ऊंचे स्थान पर पहुंचा दिए हैं. जरूरी सामान परिजनों के साथ भेज दिया है. लेकिन जो भारी और वजनी सामान है, वो घर पर है. जिसे घर के छप्पर पर रहकर हम रखवाली कर रहे हैं. सरकार को हम लोगों के लिए व्यवस्था करना चाहिए. हर साल हम लोग बाढ़ के कारण परेशान होते हैं. इसके लिए कोई ठोस प्रबंध करे और हम लोगों को ऊंचे स्थान पर रहने की व्यवस्था की जाये.

बाढ़ पीड़ित राजा कुमार ने बताया कि उनके घर में धान और मकई का बोरा रखा हुआ है. उसे अपने घर के छप्पर पर रखकर प्लास्टिक से ढक दिए हैं. उसकी रखवाली के लिए यहां रुके हैं. यदि घर को छोड़कर चले जाएंगे तो यहां चोर आते हैं. इसलिए घर को छोड़कर नहीं जा रहे हैं.

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बता दें कि जल संसाधन विभाग के अनुसार भागलपुर जिले में गंगा नदी का जलस्तर रविवार तक 34.79 मीटर तक पहुंचाने का अनुमान है. 2016 में आयी भयावह बाढ़ का रिकार्ड इस बार टूट सकता है. 2016 में गंगा नदी का जलस्तर 34.72 मीटर तक पहुंच गया था. बाढ़ की स्थिति को लेकर अगले 2 दिनों तक भागलपुर के लिए काफी अहम माना जा रहा है.

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