भागलपुर: प्रदेश में हुए सृजन घोटाले का राज परत दर परत खुल रहा है. सृजन घोटाला में शामिल अधिकारियों पर कार्रवाई तेज हो गयी है. इस घोटाले में शामिल पूर्व अपर समाहर्ता राजीव रंजन सिंह का सरकारी आवास शनिवार को खाली कराया गया. झौआ कोठी स्थित सरकारी आवास को खाली कराने के दौरान कार्यकारी मजिस्ट्रेट वहां मौजूद थे. जिला प्रशासन ने आवास से बरामद सामान को जब्त कर लिया.आवास खाली कराने के दौरान राजीव रंजन सिंह की पत्नी पुर्णिमा सिंह भी मौजूद रहीं. बता दें कि राजीव रंजन फिलहाल जेल में हैं.
सदर एसडीओ ने जारी की चिट्ठी
कार्यकारी मजिस्ट्रेट नविता कुमारी ने बताया कि मुझे सदर एसडीओ की चिट्ठी मिली थी. जिसमें राजीव रंजन सिंह के आवास को खाली कराने का आदेश दिया गया था. इस आदेश के अनुसार राजीव रंजन सिंह के आवास को खाली करा दिया गया है. उन्होंने कहा कि आवास से बरामद सामान की सूची को तैयार कर पुलिस को सौंप दिया गया हैं.
क्या है सृजन घोटाला
2007 में हुए सृजन घोटाले में एक एनजीओ, सरकारी विभागों और अधिकारियों की मिलीभगत की कहानी है. जिसमें शहरी विकास के पैसे को गैर-सरकारी संगठन के खाते में पहुंचाया गया और वहीं से बंदरबांट हुई. इस मामले में सरकारी खाते का पैसा सीधे-सीधे निजी खाते में ट्रांसफर किया जा रहा था. यह घोटाला लगभग 700 करोड़ रुपये का है.
सृजन घोटाले की मुख्य बातें
1. इस घोटाले की सरगना यानि कि मास्टरमाइंड मनोरमा देवी है, जिनका इस साल 2017 के फरवरी में निधन हो गया.
2. अभी तक की जांच में ये पाया गया कि सरकारी राशि को सरकारी बैंक खाता में जमा करने के बाद तत्काल अवैध रूप से साजिश के जरिए जाली दस्तखत कर या बैंकिंग प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल कर ट्रांसफर कर लिया जाता था.
3. मनोरमा देवी के कुछ राजनेताओं से करीबी संबंध रहे हैं, जिनमें पूर्व सांसद शहनवाज हुसैन और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह शामिल हैं. इन लोगों की नजदीकी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ये उनके निजी कार्यक्रम में नियमित रूप से शामिल होते थे.